July 17, 2025 Blog

Putrada Ekadashi 2025: पुत्रदा एकादशी व्रत से मिलेगा संतान प्राप्ति का सुख, जाने तिथि एवं मुहूर्त

BY : Meera Joshi – Spiritual Writer

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Putrada Ekadashi 2025: हर साल सावन महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी को सावन पुत्रदा एकादशी के रूप में श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है। इस वर्ष यह व्रत 5 अगस्त 2025 को मनाया जाएगा। सावन का महीना जहां भगवान शिव की भक्ति के लिए विशेष माना जाता है, वहीं एकादशी व्रत भगवान विष्णु को समर्पित होता है। ऐसे में इस दिन शिवजी और लक्ष्मी-नारायण की पूजा का विशेष महत्व होता है।


ऐसा विश्वास किया जाता है कि सावन पुत्रदा एकादशी का व्रत रखने से व्यक्ति को न केवल संतान सुख की प्राप्ति होती है, बल्कि जीवन में सौभाग्य और समृद्धि भी आती है। इस पावन दिन पर शुभ मुहूर्त में विधिपूर्वक पूजा करने और व्रत नियमों का पालन करने से भगवान की विशेष कृपा प्राप्त होती है। आइए जानें इस एकादशी के पूजन विधि, शुभ समय और व्रत पारण की जानकारी।



पुत्रदा एकादशी 2025 तिथि (Putrada Ekadashi 2025 Date & Time)

सावन पुत्रदा एकादशी 2025 का शुभ मुहूर्त काफी विशेष माना गया है। पंचांग के अनुसार, एकादशी की तिथि 4 अगस्त को सुबह 11:41 बजे शुरू होकर 5 अगस्त को दोपहर 1:12 बजे समाप्त होगी। इस दिन पूजा के लिए कई शुभ योग भी बन रहे हैं। ब्रह्म मुहूर्त पूजा के लिए सबसे श्रेष्ठ समय है, जो सुबह 4:20 से 5:02 बजे तक रहेगा। रवि योग का शुभ संयोग सुबह 5:45 से 11:23 बजे तक रहेगा, जो धार्मिक अनुष्ठानों और मांगलिक कार्यों के लिए अत्यंत लाभकारी माना जाता है। इसके अतिरिक्त, दोपहर 12:00 से 12:54 बजे तक का अभिजीत मुहूर्त भी पूजा के लिए उत्तम समय होगा। वहीं, यदि आप शाम को पूजा करना चाहें, तो 7:09 से 7:30 बजे तक का समय अनुकूल रहेगा।



श्रावण पुत्रदा एकादशी व्रत पारण विधि (Sawan Putrada Ekadashi Vrat Paran Vidhi) 

पुत्रदा एकादशी का व्रत उपवास के अगले दिन पारण कर पूर्ण किया जाता है। इस वर्ष पारण का शुभ समय 6 अगस्त की सुबह 5:45 से 8:26 बजे तक निर्धारित है। ध्यान रहे कि पारण तिथि के दिन द्वादशी दोपहर 2:08 बजे तक रहेगी, इसलिए व्रत खोलने का कार्य इसी अवधि में करना शुभ माना जाता है।


श्रावण पुत्रदा एकादशी पर भद्रा का साया (Sawan putrada Ekadashi par Bhadra ka saya)

सावन पुत्रदा एकादशी के दिन भद्रा काल का प्रभाव रहेगा। ज्योतिषीय मान्यताओं के अनुसार, भद्रा के दौरान पूजा-पाठ और शुभ कार्य करने से बचना चाहिए, क्योंकि इसे अशुभ समय माना जाता है। इस वर्ष सावन पुत्रदा एकादशी पर भद्रा सुबह 5:45 बजे शुरू होकर दोपहर 1:12 बजे तक रहेगी। इसलिए भक्तों को सलाह दी जाती है कि वे पूजा और व्रत से जुड़ी मुख्य विधियां इस अवधि के बाद ही संपन्न करें।


श्रावण पुत्रदा एकादशी शुभ योग (Sawan Putrada ekadashi shubh yoga)

सावन पुत्रदा एकादशी के दिन कई शुभ योगों का खास संयोग बन रहा है, जो इस तिथि को और भी फलदायी बनाता है। ज्योतिषीय गणनाओं के अनुसार इस दिन इंद्र योग सुबह 7:23 बजे तक रहेगा, जो किसी भी पूजा-पाठ और धार्मिक कार्य के लिए शुभ माना जाता है। वहीं भद्रावास योग भी बन रहा है, जो सुबह 11:23 बजे तक रहेगा, इस दौरान भद्रा पाताल लोक में रहेंगी, जिससे शुभ कार्यों में कोई विघ्न नहीं आएगा।

शिववास योग: इसके अलावा, सुबह 11:23 बजे तक रवि योग भी रहेगा, जो विशेष फलदायी माना जाता है। साथ ही दोपहर 1:12 बजे से शिववास योग का भी शुभ संयोग बन रहा है। मान्यता है कि जब शिववास योग बनता है और भगवान शिव कैलाश पर निवास करते हैं, उस समय शिव अभिषेक और पूजा करने से घर में सुख, शांति और सौभाग्य की वृद्धि होती है।


श्रावण पुत्रदा एकादशी व्रत विधि (Sawan Putrada Ekadashi vrat vidhi)

सावन पुत्रदा एकादशी के दिन व्रत की शुरुआत सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद व्रत का संकल्प लेने से होती है। इसके बाद भगवान विष्णु, माता लक्ष्मी, भगवान शिव और माता पार्वती की श्रद्धा पूर्वक पूजा करें। पूजा में पंचामृत अर्पित करें और धूप-दीप जलाएं। अंत में आरती करें और भक्ति भाव से विष्णु सहस्रनाम व शिव चालीसा का पाठ करें। यह व्रत न केवल संतान सुख की कामना को पूरा करता है, बल्कि मानसिक शांति और आध्यात्मिक लाभ भी प्रदान करता है।


श्रावण पुत्रदा एकादशी का महत्व (Significance Of Sawan Putrada Ekadashi)

पुत्रदा एकादशी का व्रत धार्मिक रूप से बहुत ही शुभ और फलदायक माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन श्रद्धा से व्रत रखने और भगवान विष्णु व माता लक्ष्मी की पूजा करने से जीवन में सुख-समृद्धि का आगमन होता है। खासकर जिन दंपत्तियों को संतान प्राप्ति की कामना होती है, उनके लिए यह एकादशी विशेष रूप से कल्याणकारी मानी गई है।


निष्कर्ष

पुत्रदा एकादशी का व्रत न सिर्फ संतान प्राप्ति की इच्छा रखने वाले दंपत्तियों के लिए विशेष फलदायक है, बल्कि यह जीवन में सुख, शांति और आध्यात्मिक समृद्धि भी लाता है। इस दिन श्रद्धा, भक्ति और नियमपूर्वक व्रत करने से भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्त होती है। कुल मिलाकर, यह एकादशी जीवन में पुण्य अर्जित करने और परिवारिक सुख-समृद्धि पाने का एक श्रेष्ठ अवसर है।

Author: Meera Joshi – Spiritual Writer

Meera Joshi, a spiritual writer with 12+ years’ expertise, documents pooja vidhis and rituals, simplifying traditional ceremonies for modern readers to perform with faith, accuracy, and devotion.