June 25, 2025 Blog

Onam 2025: इस साल ओणम कब है जानिए इसका महत्व पूजा विधि एवं इस पर्व की पौराणिक कथा

BY : STARZSPEAK

Onam 2025: भारत के सबसे रंगीन और परंपराओं से भरपूर त्योहारों में से एक ओणम (Onam 2025), सिर्फ एक पर्व नहीं बल्कि केरल की सांस्कृतिक पहचान और लोकभावना का प्रतीक है। यह उत्सव नई फसल की खुशी और राजा महाबली की स्मृति में मनाया जाता है, जिनकी न्यायप्रियता और प्रजा के प्रति प्रेम आज भी लोगों के दिलों में बसे हैं।

ओणम की शुरुआत मलयालम कैलेंडर के चिंगम महीने में होती है, और इसका सबसे महत्वपूर्ण दिन थिरुवोनम होता है, जो इस त्योहार का मुख्य आकर्षण है।

ओणम कब है (When Is Onam 2025)

ओणम का पर्व साल 2025 (Onam 2025 Date) में 5 सितंबर, शुक्रवार को पूरे धूमधाम और परंपरा के साथ मनाया जाएगा। द्रिक पंचांग के अनुसार, थिरुवोणम नक्षत्र का आरंभ 4 सितंबर को रात 11:44 बजे होगा और इसका समापन 5 सितंबर की रात 11:38 बजे तक होगा।

इसी थिरुवोणम नक्षत्र के दौरान ओणम का मुख्य दिन आता है, जब राजा महाबली के स्वागत की तैयारियाँ अपने चरम पर होती हैं और हर घर में पूजा, साज-सज्जा और पारंपरिक भोज का आयोजन होता है।

ओणम का महत्व – परंपरा, पूजा और प्रसन्नता का पर्व

ओणम (Kerala Onam) दक्षिण भारत, खासतौर पर केरल का एक बेहद पुराना और पारंपरिक त्योहार है, जिसे पूरे उत्साह, भक्ति और रंगारंग अंदाज़ में मनाया जाता है। जैसे उत्तर भारत में दशहरा, पूर्वी भारत में दुर्गा पूजा और महाराष्ट्र में गणेशोत्सव दस दिनों तक बड़े धूमधाम से मनाए जाते हैं, ठीक वैसे ही ओणम भी केरल में दस दिवसीय महापर्व के रूप में मनाया जाता है।

यह पर्व सिर्फ एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि संस्कृति, विरासत और लोक परंपराओं का उत्सव भी है।
मलयालम कैलेंडर के अनुसार ओणम का पर्व चिंगम महीने में आता है, जो मलयाली नए साल का पहला महीना होता है। यह समय प्रकृति की हरियाली, नई फसल और सामाजिक मेल-जोल का प्रतीक माना जाता है, और यहीं से ओणम की उमंग शुरू होती है।

यह आम तौर पर अगस्त या सितंबर के बीच आता है। इस पर्व का सबसे खास दिन होता है थिरुवोणम, जो ओणम का दसवां और अंतिम दिन होता है।

मलयालम भाषा में श्रावण नक्षत्र को थिरु ओणम कहा जाता है। जब चिंगम महीने में यह नक्षत्र प्रभाव में आता है, तब ओणम पर्व का विशेष पूजन किया जाता है। मान्यता है कि इसी दिन केरल के प्रिय और परोपकारी राजा महाबली अपनी प्रजा से मिलने धरती पर आते हैं, और उनके स्वागत के लिए यह पर्व मनाया जाता है।

ओणम (Onam 2025 festival) के दौरान लोग अपने घरों को फूलों से सजाते हैं, जिसे पूकलम  कहते हैं। पूरे दस दिनों तक हर दिन रंग-बिरंगे फूलों से इस पूकलम को सजाया जाता है। साथ ही, लोग पारंपरिक तरीके से भगवान विष्णु और राजा महाबली की पूजा करते हैं।

यह पर्व न सिर्फ धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह नई फसल के आगमन की खुशी में भी मनाया जाता है। ओणम किसानों के लिए धन्यवाद का अवसर होता है, जब वे धरती और प्रकृति के आशीर्वाद के लिए कृतज्ञता प्रकट करते हैं।

हर दिन का अपना एक अलग महत्व होता है, लेकिन थिरुवोणम के दिन घर-घर में विशेष पकवान बनते हैं, पूजा होती है और परंपराओं के साथ राजा महाबली का स्वागत किया जाता है।

ओणम (Onam 2025), यूं कहें तो सिर्फ एक त्योहार नहीं, बल्कि केरल की संस्कृति, श्रद्धा और सामाजिक एकता का प्रतीक है, जो परंपरा और समृद्धि को एक साथ जोड़ता है।

Onam 2025

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थिरुवोणम और उसका महत्व – ओणम का सबसे शुभ दिन

थिरुवोणम (Thiruvonam) शब्द दो भागों से मिलकर बना है – 'थिरु' जिसका अर्थ होता है पवित्र और 'ओणम', यानी यह दिन ओणम पर्व का सबसे खास और शुभ दिन माना जाता है। 'थिरु' शब्द संस्कृत के 'श्री' के समान माना जाता है, जो सम्मान और दिव्यता का प्रतीक है।

लोक मान्यताओं के अनुसार, थिरुवोणम के दिन केरल के प्रिय राजा महाबली हर साल पाताल लोक से अपनी प्रजा का हाल जानने और उन्हें आशीर्वाद देने धरती पर आते हैं। यह दिन उनके स्वागत और उनके प्रति प्रेम व सम्मान जताने का प्रतीक है।

इसके साथ ही एक और महत्वपूर्ण धार्मिक मान्यता यह भी है कि इसी दिन भगवान विष्णु ने वामन अवतार लिया था और राजा महाबली से तीन पग भूमि मांगकर उन्हें पाताल लोक भेजा था। यह कथा ओणम पर्व की धार्मिक आस्था और आध्यात्मिक गहराई को दर्शाती है।

केरल में ओणम पर्व (Onam Festival 2025) को लेकर चार दिन का अवकाश होता है, जो थिरुवोणम से एक दिन पहले शुरू होता है और उसके दो दिन बाद तक चलता है। इन चार दिनों को प्रथम ओणम, द्वितीय ओणम, तृतीय ओणम और चतुर्थ ओणम कहा जाता है। इनमें से द्वितीय ओणम, यानी थिरुवोणम का दिन सबसे विशेष और भव्य रूप से मनाया जाता है।

इस दिन लोग पारंपरिक वेशभूषा पहनते हैं, घरों को फूलों की सजावट (पूकलम) से सजाते हैं, विशेष पूजा करते हैं और ओणम सध्या नामक भव्य भोज का आयोजन करते हैं। थिरुवोणम वास्तव में श्रद्धा, परंपरा और सांस्कृतिक एकता का उत्सव है, जो केरल की आत्मा को जीवंत कर देता है।


दस दिवसीय ओणम पर्व

ओणम (onam Festival) , केरल का एक ऐसा पर्व है जो परंपरा, भक्ति, रंग-बिरंगे फूलों और सांस्कृतिक उत्सवों से जुड़ा होता है। यह त्योहार पूरे दस दिनों तक बड़े ही हर्षोल्लास और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। आइए जानते हैं इन दस दिनों का महत्व और हर दिन से जुड़ी खास बातें—

पहला दिन – अथम (एथम)

ओणम की शुरुआत (Happy Onam) अथम से होती है। इस दिन लोग सुबह जल्दी उठकर स्नान करके मंदिर जाते हैं और पूजा करते हैं। परंपरागत रूप से नाश्ते में केले और पापड़ का सेवन करते हैं, जिसे कई लोग पूरे त्योहार के दौरान अपनाते हैं। इस दिन से घरों के आंगन में फूलों की रंगोली पूकलम (Onam Pookalam Designs) बनाना शुरू किया जाता है।

दूसरा दिन – चिथिरा

यह दिन भी पूजा-पाठ से शुरू होता है। महिलाएं पूकलम (Onam Pookalam Designs) में ताजे फूलों की परतें जोड़ती हैं, जिन्हें पुरुष बाजार से लाकर देते हैं। हर दिन फूलों की सजावट में एक नई खूबसूरती जुड़ती जाती है।

तीसरा दिन – चोदी

चोदी को त्योहार की तैयारियों का दिन कहा जा सकता है। इस दिन लोग नए कपड़े, सजावट की चीजें और उपहार खरीदते हैं। खासकर थिरुवोणम के लिए घर और खुद को सजाने की तैयारियां होती हैं।

चौथा दिन – विसाकम

विसाकम के दिन फूलों की रंगोली बनाने की प्रतियोगिताएं होती हैं। इसके साथ ही महिलाएं ओणम सध्या के लिए अचार, चिप्स और अन्य व्यंजन पहले से तैयार करने लगती हैं। ओणम सध्या (Onam Sadhya) यानी ओणम का पारंपरिक भोज, इस पर्व का सबसे स्वादिष्ट और प्रतीक्षित हिस्सा होता है। केले के पत्ते पर परोसे जाने वाले इस 26-30 व्यंजनों वाले भोज में अवियल, थोरन, साम्बर, ओलन, पचड़ी, पायसम जैसे व्यंजन शामिल होते हैं। यह पारंपरिक भोजन एकता, समृद्धि और सद्भाव का प्रतीक माना जाता है।

पांचवां दिन – अनिज़म

इस दिन का सबसे बड़ा आकर्षण होता है वल्लमकली यानी पारंपरिक नौका दौड़। केरल की नदियों में चलने वाली यह प्रतियोगिता रोमांच और उत्सव का अद्भुत संगम होती है।

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छठा दिन – थ्रिकेता

थ्रिकेता के दिन गांव-गांव में सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन होता है। हर उम्र के लोग इसमें भाग लेते हैं और अपने रिश्तेदारों व दोस्तों से मिलने जाते हैं।

सातवां दिन – मूलम

इस दिन बाजारों में खूब चहल-पहल रहती है। हर ओर पारंपरिक व्यंजनों और मिठाइयों की महक बिखरी रहती है। लोग बाहर घूमने और खाने-पीने का भरपूर आनंद उठाते हैं।

आठवां दिन – पूरादम

इस दिन लोग मिट्टी से छोटी-छोटी पिरामिड जैसी आकृतियाँ बनाते हैं, जिन्हें सम्मानपूर्वक "माँ" कहा जाता है। इन पर फूल चढ़ाकर पूजा की जाती है।

नौवां दिन – उथिरादम

इसे 'प्रथम ओणम' भी कहा जाता है। माना जाता है कि इस दिन राजा महाबली के आगमन की तैयारी शुरू होती है। लोग उत्साह से उनके स्वागत की तैयारियों में जुट जाते हैं।

दसवां दिन – थिरुवोणम

ओणम (Onam 2025) का सबसे विशेष और मुख्य दिन होता है थिरुवोणम। यही वह दिन है जब राजा महाबली अपनी प्रजा से मिलने धरती पर आते हैं। इस दिन घरों को सुंदर पूकलम से सजाया जाता है, पारंपरिक भोज सध्या तैयार किया जाता है और लोग एक-दूसरे को बधाइयां देते हैं। इसे ‘द्वितीय ओणम’ के नाम से भी जाना जाता है।

अंतिम दो दिन – ओणम के बाद भी उत्सव जारी

हालांकि मुख्य ओणम दस दिनों तक चलता है, लेकिन उत्सव का रंग दो दिन और बना रहता है। यानी ओणम का पूरा पर्व कुल 12 दिन तक मनाया जाता है, जिनमें पहले 10 दिन विशेष रूप से महत्वपूर्ण होते हैं।

ओणम(Happy Onam)  केवल एक पर्व नहीं, बल्कि संस्कृति, परंपरा और सामाजिक समरसता का उत्सव है, जो लोगों को आपस में जोड़ता है और जीवन को सुंदरता से भर देता है।


ओणम की पौराणिक कथा – राजा महाबली और भगवान वामन की प्रेरणादायक कहानी

ओणम का त्योहार (Onam Festival 2025)  सिर्फ एक सांस्कृतिक उत्सव नहीं, बल्कि एक पौराणिक कहानी से जुड़ा हुआ है जो राजा महाबली की उदारता, भक्ति और भगवान विष्णु के वामन अवतार की कथा को जीवंत करती है।

कहा जाता है कि प्राचीन काल में राजा महाबली नाम के एक शक्तिशाली और धर्मप्रिय असुर राजा थे। राक्षस कुल में जन्म लेने के बावजूद, वे बेहद दयालु, न्यायप्रिय और प्रजा की भलाई के लिए समर्पित थे। उनकी लोकप्रियता इतनी अधिक थी कि तीनों लोक—स्वर्ग, धरती और पाताल—पर उनका प्रभाव था। लेकिन जब उन्होंने देवताओं को युद्ध में परास्त कर स्वर्गलोक पर भी अधिकार कर लिया, तो देवता असहज हो उठे।

घबराए हुए देवता भगवान विष्णु के पास पहुंचे और उनसे अपना अधिकार वापस दिलाने की प्रार्थना की। तब भगवान विष्णु ने वामन अवतार लिया—एक छोटे कद के ब्राह्मण बालक का रूप धारण करके वे राजा महाबली के दरबार में पहुंचे।

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राजा महाबली ने वामन रूपी विष्णु से पूछा कि वे क्या चाहते हैं। उन्होंने विनम्रता से बस तीन पग भूमि की याचना की। राजा ने बिना संकोच यह वचन दे दिया। जैसे ही वचन दिया गया, भगवान विष्णु ने अपना विराट रूप धारण कर लिया।

उन्होंने पहला कदम स्वर्गलोक में रखा, दूसरा धरती पर, और अब तीसरे कदम के लिए कोई स्थान शेष नहीं था। तब राजा महाबली ने बड़ी श्रद्धा से अपना सिर भगवान के आगे झुका दिया। भगवान विष्णु ने तीसरा कदम उनके सिर पर रखकर उन्हें पाताल लोक भेज दिया।

लेकिन इस पूरे घटनाक्रम में राजा महाबली ने कोई विरोध नहीं किया, बल्कि अपने वचन का पूर्ण रूप से पालन किया। उनकी इस विनम्रता और भक्ति से भगवान विष्णु बहुत प्रसन्न हुए। उन्होंने राजा से कोई वरदान मांगने को कहा।

राजा महाबली ने केवल एक ही इच्छा जताई—"हे प्रभु! मुझे साल में एक बार अपनी प्रिय प्रजा से मिलने का अवसर मिले।"
भगवान विष्णु ने उनकी इस भावनात्मक प्रार्थना को स्वीकार कर लिया।

तभी से यह मान्यता है कि थिरुवोणम के दिन राजा महाबली पाताल लोक से धरती पर आते हैं, अपनी प्रजा का हाल जानने और उन्हें आशीर्वाद देने। उनके स्वागत के लिए ही केरल में दस दिनों तक चलने वाला ओणम पर्व (Onam Festival 2025) पूरे उत्साह और प्रेम से मनाया जाता है।

यह कथा केवल धर्म और भक्ति की नहीं, बल्कि त्याग, सत्यनिष्ठा और प्रजा के प्रति प्रेम की प्रेरणा भी देती है, जो ओणम को एक विशेष आध्यात्मिक गहराई प्रदान करती है।

निष्कर्ष – उत्सव, संस्कृति और आत्मीयता का संगम

ओणम 2025 (Onam 2025) केवल एक त्योहार नहीं, बल्कि यह एक ऐसा अवसर है जो आस्था, प्रेम, एकता और साथ मिलकर खुशियां मनाने की भावना को जीवंत करता है। यह पर्व हर दिल को जोड़ता है और सिखाता है कि जब हम एक साथ आते हैं, तो जीवन और भी खूबसूरत हो जाता है। यह त्योहार हर उम्र और हर वर्ग के लोगों को एक साथ जोड़ता है और हमें याद दिलाता है कि खुशियां तब और बढ़ती हैं जब उन्हें मिलकर मनाया जाए।

इस ओणम, अपने घर को रंग-बिरंगे फूलों की पूकलम से सजाएं, परिवार के साथ पारंपरिक ओणम सध्या का आनंद लें और सांस्कृतिक कार्यक्रमों में शामिल होकर इस खास त्योहार की रौनक और उमंग का हिस्सा बनें।

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