Vishwakarma Puja 2025: विश्वकर्मा जयंती, जिसे हम विश्वकर्मा पूजा के नाम से भी जानते हैं, उन भगवान विश्वकर्मा को समर्पित है जिन्हें सृष्टि का पहला शिल्पकार और वास्तुकार माना जाता है। कहा जाता है कि उन्होंने द्वारका नगरी का निर्माण किया था, जहां भगवान कृष्ण ने राज किया था। इसके साथ ही उन्होंने देवताओं के लिए कई दिव्य अस्त्र-शस्त्र भी बनाए।
हर साल यह दिन भगवान विश्वकर्मा के जन्मोत्सव (Vishwakarma Jayanti 2025) के रूप में मनाया जाता है, जो आमतौर पर ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार 16 या 17 सितंबर को पड़ता है। तिथि का निर्धारण 'बिशुद्ध सिद्धांत' के अनुसार किया जाता है। पूर्वी भारत जैसे त्रिपुरा, ओडिशा, झारखंड और पश्चिम बंगाल में इसे विशेष श्रद्धा के साथ 'बिस्वकर्मा पूजा' के रूप में मनाया जाता है। यह दिन खासतौर पर कारीगरों, मशीनरी से जुड़े लोगों और निर्माण क्षेत्र में काम करने वालों के लिए बेहद महत्वपूर्ण होता है। वहीं बिहार और कुछ उत्तर भारतीय राज्यों में इसे दिवाली के बाद भी मनाने की परंपरा है।
विश्वकर्मा दिवस 2025 में एक सीमित अवकाश के रूप में मनाया जाएगा। यह पर्व (Vishwakarma Puja 2025 Date and Time) बुधवार, 17 सितंबर 2025 को पड़ रहा है और खासतौर पर राजस्थान, हरियाणा और पंजाब जैसे राज्यों में इसे श्रद्धा और आस्था के साथ मनाया जाता है। इस दिन कारीगर, श्रमिक और तकनीकी पेशों से जुड़े लोग भगवान विश्वकर्मा की पूजा कर अपने औजारों और मशीनों के प्रति कृतज्ञता जताते हैं।
विश्वकर्मा पूजा के दिन श्रद्धालु सुबह स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करते हैं और पूजा की तैयारी करते हैं। सबसे पहले पूजा स्थल पर एक चौकी रखकर उस पर भगवान विश्वकर्मा की प्रतिमा को विधिपूर्वक स्थापित किया जाता है। इसके बाद एक कलश में शुद्ध जल या गंगाजल भरकर उसमें हल्दी और अक्षत डालें। कलश पर रक्षा सूत्र बांधें और स्वास्तिक का चिन्ह बनाकर उसकी स्थापना करें।
फिर भगवान की प्रतिमा पर हल्दी, अक्षत (चावल), रोली, फूल, चंदन, धूप, अगरबत्ती, दही, सुपारी, मिठाई, फल और रक्षा सूत्र अर्पित किए जाते हैं। इसके बाद धूप-दीप से आरती की जाती है। पूजा करते समय "ॐ विश्वकर्मणे नमः" मंत्र का जप किया जाता है।
पूजा संपन्न होने के बाद प्रसाद को सभी में बांटा जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस श्रद्धा और विधिपूर्वक की गई पूजा से भगवान विश्वकर्मा प्रसन्न होते हैं और व्यवसाय, कार्यक्षेत्र व तकनीकी क्षेत्र में उन्नति और समृद्धि प्रदान करते हैं।
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विश्वकर्मा दिवस का महत्व बहुत खास है, खासकर उन लोगों के लिए जो निर्माण, तकनीकी या औद्योगिक क्षेत्रों से जुड़े हैं। यह दिन भगवान विश्वकर्मा को समर्पित होता है। भगवान विश्वकर्मा को शिल्प, वास्तुकला और यांत्रिकी के देवता माना जाता है, और इस दिन लोग उनके योगदान को श्रद्धा से याद करते हैं। ऋग्वेद में उनके योगदान की महिमा का उल्लेख किया गया है, और श्रमिक वर्ग इस दिन को पूरे सम्मान और हर्षोल्लास के साथ मनाता है, ताकि उन्हें अपने काम में सफलता और उन्नति प्राप्त हो।
जो लोग बढ़ई, इंजीनियर, आर्किटेक्ट या किसी तकनीकी काम से जुड़े होते हैं, वे इस दिन अपने औजारों और मशीनों की पूजा करते हैं। सुबह जल्दी उठकर कार्यस्थल को साफ-सुथरा किया जाता है, उसे फूलों और रंगों से सजाया जाता है। औजारों और मशीनों को भी अच्छे से साफ कर उन्हें सजाया जाता है, और पूरे दिन उनका उपयोग नहीं किया जाता – यह उनके प्रति आभार और सम्मान जताने का एक तरीका है। पूजा के अंत में भगवान को मिठाई और फल चढ़ाए जाते हैं और फिर सबको प्रसाद बांटा जाता है। यह पर्व न केवल आस्था का, बल्कि मेहनतकश लोगों के प्रति सम्मान का प्रतीक भी है।
विश्वकर्मा जयंती के दिन खास तौर पर दफ्तरों, फैक्ट्रियों और कार्यस्थलों पर पूजा-पाठ का आयोजन किया जाता है। इन जगहों को फूलों और रंगीन सजावट से खूबसूरत तरीके से सजाया जाता है। भगवान विश्वकर्मा की प्रतिमा को सजे हुए पंडाल में स्थापित कर श्रद्धापूर्वक पूजा की जाती है। इस अवसर पर श्रमिक अपने औजारों और मशीनों की भी पूजा करते हैं, जिससे माहौल भक्तिमय और उत्साह से भरा होता है।
त्योहार की खास बात यह है कि इस दिन मालिक और कर्मचारी मिलकर स्वादिष्ट भोजन का आनंद लेते हैं, जिससे आपसी सहयोग और सम्मान की भावना और भी मजबूत होती है।
विश्वकर्मा पूजा (Vishwakarma Puja 2025) के दिन अगर आप भगवान विश्वकर्मा की कृपा और आशीर्वाद पाना चाहते हैं, तो कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना जरूरी होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन कुछ चीजें बिल्कुल नहीं करनी चाहिए:
इन छोटे लेकिन अहम नियमों का पालन करके आप भगवान विश्वकर्मा की कृपा प्राप्त कर सकते हैं और अपने कार्यों में समृद्धि और सफलता का मार्ग प्रशस्त कर सकते हैं।
विश्वकर्मा पूजा (Vishwakarma Puja 2025) केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि यह उन सभी औजारों, उपकरणों और साधनों के प्रति धन्यवाद प्रकट करने का विशेष अवसर है, जो हमारे रोज़मर्रा के जीवन और कामकाज को आसान बनाते हैं। इस दिन हम अपने औजारों, मशीनों और कार्यस्थलों का आदर करते हैं और भगवान विश्वकर्मा से प्रगति, सुरक्षा और समृद्धि की कामना करते हैं। यदि पूजा विधि और सावधानियों का सही ढंग से पालन किया जाए, तो यह दिन न केवल आध्यात्मिक लाभ देता है, बल्कि जीवन और व्यवसाय में उन्नति का द्वार भी खोलता है। इसलिए श्रद्धा और नियमों के साथ की गई विश्वकर्मा पूजा (Vishwakarma Puja) जीवन को शुभता और सकारात्मक ऊर्जा से भर देती है।
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