Sheetala Saptami 2025: होली के ठीक सात दिन बाद शीतला सप्तमी का पर्व मनाया जाता है, जो माता शीतला की उपासना का विशेष दिन होता है। इसे बसौड़ा भी कहा जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि को यह व्रत रखा जाता है। इस वर्ष शीतला सप्तमी 21 मार्च 2025, शुक्रवार को मनाई जाएगी।
सनातन धर्म में माता शीतला को आरोग्य और सुख-समृद्धि की देवी माना जाता है। कहा जाता है कि उनकी कृपा से रोग, विशेष रूप से त्वचा संबंधी बीमारियां दूर होती हैं। इस दिन देवी को बासी भोजन (बसौड़ा) का भोग लगाने की परंपरा है, क्योंकि मां शीतला ठंडक प्रदान करने वाली देवी मानी जाती हैं। उनकी उपासना करने से न केवल स्वास्थ्य लाभ मिलता है बल्कि मनोकामनाएं भी पूर्ण होती हैं।
शीतला सप्तमी का पर्व इस वर्ष 21 मार्च 2025 को मनाया जाएगा।
माना जाता है कि इस दिन विधिपूर्वक व्रत और पूजा करने से आरोग्य का आशीर्वाद मिलता है और जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है।
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शीतला सप्तमी (Sheetala Saptami) के दिन भद्रा का प्रभाव रहेगा, जो 21 मार्च 2025 को सुबह 06:24 बजे शुरू होकर दोपहर 03:38 बजे समाप्त होगी। पूजा एवं शुभ कार्यों के लिए भद्रा समाप्त होने के बाद का समय उत्तम माना जाता है।
शीतला माता की पूजा और भोग अर्पण करते समय इस पवित्र मंत्र का जाप करें—
"शीतले त्वं जगन्माता, शीतले त्वं जगत्पिता।
शीतले त्वं जगद्धात्री, शीतलायै नमो नमः।।"
यह मंत्र माता शीतला की कृपा प्राप्त करने के लिए अत्यंत प्रभावी माना जाता है।
शीतला सप्तमी के दिन तीन विशेष योग बन रहे हैं, जो इस दिन की महत्ता को और बढ़ा देते हैं—
सिद्धि योग – शाम 6:42 बजे तक रहेगा। इस शुभ योग में माता शीतला की पूजा करने से कार्यों में सफलता और सिद्धि प्राप्त होती है।
रवि योग – शीतला सप्तमी (Sheetala Saptami) पर रवि योग का संयोग भी बन रहा है। इस योग में माता शीतला की आराधना करने से आरोग्य एवं दीर्घायु का आशीर्वाद मिलता है।
भद्रावास योग – इस दिन दोपहर 3:38 बजे तक भद्रावास योग रहेगा। भद्रा समाप्त होने के बाद शुभ कार्य करना अधिक लाभकारी माना जाता है।
शीतला सप्तमी (Sheetala Saptami) के अगले दिन शीतला अष्टमी पर माता शीतला को बसौड़ा भोग अर्पित किया जाता है। इस विशेष भोग में एक दिन पहले, सप्तमी को ही तैयार किया गया भोजन माता को चढ़ाया जाता है। आमतौर पर, इसमें गुड़-चावल या गन्ने के रस से बनी खीर शामिल होती है।
इस दिन ताजा भोजन पकाने की मनाही होती है, और सभी भक्त माता के भोग स्वरूप यही प्रसाद ग्रहण करते हैं। मान्यता है कि शीतला सप्तमी और अष्टमी की पूजा विधि का श्रद्धापूर्वक पालन करने से माता शीतला की कृपा प्राप्त होती है, जिससे जीवन में सुख-समृद्धि आती है और रोग-कष्टों से मुक्ति मिलती है।
शीतला सप्तमी (Sheetala Saptami) का यह व्रत स्वास्थ्य और समृद्धि की कामना के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है।
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Meera Joshi, a spiritual writer with 12+ years’ expertise, documents pooja vidhis and rituals, simplifying traditional ceremonies for modern readers to perform with faith, accuracy, and devotion.