March 10, 2025 Blog

Yogini Ekadashi 2025: योगिनी एकादशी कब है जान ले तिथि, मुहूर्त, पूजाविधि और महत्व

BY : STARZSPEAK

Yogini Ekadashi 2025: हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का विशेष महत्व माना जाता है, क्योंकि यह दिन भगवान विष्णु को समर्पित होता है। आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को योगिनी एकादशी के रूप में मनाया जाता है, जिसे सभी पापों को नष्ट करने वाली और मोक्ष प्रदान करने वाली एकादशी माना गया है।

धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस व्रत के प्रभाव से व्यक्ति के समस्त पाप समाप्त हो जाते हैं, और उसे 88 हजार ब्राह्मणों को भोजन कराने जितना पुण्य प्राप्त होता है। कहा जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करने से न केवल इस लोक में सुख-समृद्धि मिलती है, बल्कि परलोक में मोक्ष की भी प्राप्ति होती है।


योगिनी एकादशी 2025: तिथि एवं शुभ मुहूर्त (Yogini Ekadashi 2025 Date and Auspicious Time)

साल 2025 में योगिनी एकादशी व्रत (Yogini Ekadashi Vrat) 21 जून, शनिवार को रखा जाएगा। इस दिन भक्तजन उपवास और भगवान विष्णु की आराधना कर पुण्य लाभ प्राप्त करेंगे।

  • एकादशी तिथि प्रारंभ – 21 जून 2025, सुबह 07:18 बजे
  • एकादशी तिथि समाप्त – 22 जून 2025, सुबह 04:27 बजे
  • व्रत पारण का शुभ मुहूर्त – 22 जून 2025, दोपहर 01:47 बजे से शाम 04:35 बजे तक
इस पावन अवसर पर विधिपूर्वक व्रत रखने और पूजा करने से व्यक्ति के समस्त पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस पावन दिन का सटीक पूजा विधि और विशेष उपायों की जानकारी प्राप्त करने के लिए आगे पढ़ें।

व्रत पारण का सही समय: हरि वासर का ध्यान रखें

एकादशी व्रत का पारण करने से पहले हरि वासर की अवधि का ध्यान रखना आवश्यक होता है। इस दौरान व्रत का पारण नहीं करना चाहिए, बल्कि इसके समाप्त होने की प्रतीक्षा करनी चाहिए।

अब सवाल यह है कि हरि वासर क्या होता है?
द्वादशी तिथि की पहली एक-चौथाई अवधि हरि वासर कहलाती है। इसलिए, व्रत का पारण प्रातःकाल करना सबसे उपयुक्त माना जाता है।

ध्यान रखें कि द्वादशी तिथि समाप्त होने से पहले ही व्रत का पारण करना चाहिए। यदि द्वादशी तिथि सूर्योदय से पहले समाप्त हो जाती है, तो पारण सूर्योदय के बाद ही करना उचित होता है।


yogini ekadashi 2025


यह भी पढ़ें - Nirjala Ekadashi 2025: जानिए निर्जला एकादशी तिथि, व्रत कथा, पूजा विधि एवं महत्त्व


योगिनी एकादशी 2025: पूजा विधि (Yogini Ekadashi Puja Vidhi)

योगिनी एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें और व्रत का संकल्प लें। इसके बाद घर के मंदिर या पूजा स्थान को अच्छे से साफ करें। फिर भगवान विष्णु का जल और पंचामृत से अभिषेक करें। लकड़ी की चौकी पर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की मूर्ति स्थापित कर, उन्हें पीला चंदन और पीले फूल अर्पित करें।

भगवान के समक्ष घी का दीपक जलाएं और अगर संभव हो तो उपवास रखें। इसके बाद योगिनी एकादशी व्रत कथा का पाठ करें और “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जाप करें। अंत में भगवान विष्णु की आरती करें और तुलसी पत्र अर्पित कर उन्हें भोग लगाएं। पूजा समाप्त होने के बाद, यदि कोई त्रुटि रह गई हो तो भगवान से क्षमा याचना करें।

योगिनी एकादशी का महत्व (Significance Of Yogini Ekadashi)

योगिनी एकादशी व्रत को बेहद पुण्यदायी माना गया है। इस व्रत के प्रभाव से व्यक्ति के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और जीवन में सुख, समृद्धि और आनंद की प्राप्ति होती है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस व्रत को करने से स्वर्ग लोक की प्राप्ति संभव होती है। तीनों लोकों में प्रसिद्ध इस एकादशी का फल 88 हजार ब्राह्मणों को भोजन कराने के समान माना जाता है, जिससे इसका महत्व और अधिक बढ़ जाता है।

योगिनी एकादशी व्रत के शुभ उपाय (Remedies Of Yogini Ekadashi Fast)

योगिनी एकादशी (Yogini Ekadashi) भगवान विष्णु को समर्पित होती है, और इस दिन पूरी श्रद्धा और विधि-विधान से उनकी पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। जीवन में सुख-समृद्धि पाने के लिए कुछ विशेष उपाय किए जा सकते हैं:

  • धार्मिक मान्यता के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति योगिनी एकादशी के दिन व्रत रखकर पीपल के वृक्ष के नीचे घी का दीपक जलाता है और 108 बार परिक्रमा करते हुए विष्णु मंत्रों का जाप करता है, तो उसे भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इससे घर की दरिद्रता दूर होती है और समृद्धि का आगमन होता है।
  • इस दिन व्रती को केवल फलाहार करना चाहिए और मांस, मछली, अंडा, लहसुन, प्याज जैसी तामसिक चीजों से पूरी तरह परहेज रखना चाहिए।

योगिनी एकादशी व्रत कथा (Yogini Ekadashi Vrat Katha)

प्रत्येक एकादशी व्रत की अपनी अलग कथा होती है। योगिनी एकादशी की कथा के अनुसार, प्राचीनकाल में अलकापुरी नामक नगर में कुबेर नाम के राजा के यहाँ एक माली कार्यरत था। उसका प्रतिदिन का कार्य पूजा के लिए फूल लाना था।

एक दिन वह अपनी पत्नी के साथ समय व्यतीत करने में इतना मग्न हो गया कि पूजा के लिए फूल समय पर नहीं पहुँचा सका। जब राजा कुबेर को इसकी जानकारी मिली, तो वे अत्यंत क्रोधित हो गए और माली को कुष्ठ रोग होने का शाप दे दिया।

शाप के प्रभाव से माली रोगग्रस्त होकर इधर-उधर भटकने लगा। भटकते हुए वह महर्षि मार्कंडेय के आश्रम पहुँचा। ऋषि ने अपनी तपस्या से उसके कष्ट का कारण जान लिया और उसे योगिनी एकादशी का व्रत (Yogini Ekadashi Vrat) करने की सलाह दी।

ऋषि की सलाह मानकर हेममाली ने पूरी श्रद्धा और समर्पण के साथ भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना की और योगिनी एकादशी का व्रत विधिपूर्वक रखा। इस व्रत के प्रभाव से वह शाप से मुक्त हो गया और अपनी पूर्व की स्वस्थ अवस्था और स्वरूप पुनः प्राप्त कर लिया। इसके बाद वह अपनी पत्नी विशालाक्षी से मिला और दोनों ने मिलकर सुखी और आनंदमय जीवन व्यतीत किया।

योगिनी एकादशी 2025 व्रत के लाभ (Benefits Of Yogini Ekadashi 2025)

योगिनी एकादशी का व्रत रखने से भक्तों को कई आध्यात्मिक और जीवन से जुड़े लाभ प्राप्त होते हैं:

  • भगवान कृष्ण की कृपा प्राप्त होती है, जिससे जीवन में शांति और समृद्धि आती है।
  • यह व्रत मोक्ष प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त करता है और सांसारिक सुखों का अनुभव कराने में सहायक होता है।
  • व्यक्ति को पापों और नकारात्मक कर्मों से मुक्ति मिलती है, जिससे जीवन शुद्ध और पवित्र बनता है।
  • आध्यात्मिक जागरूकता को बढ़ाता है और आत्मा की शुद्धि में मदद करता है।
  • यह व्रत सफलता, सकारात्मक ऊर्जा और खुशहाल जीवन की ओर प्रेरित करता है।
  • दान, जप और पुण्य कार्यों से इच्छाएं पूर्ण होने का मार्ग प्रशस्त होता है।
  • योगिनी एकादशी व्रत के प्रभाव से रोगों का नाश होता है और स्वास्थ्य में सुधार होता है।


निष्कर्ष

समाप्ति तौर पर, योगिनी एकादशी (Yogini Ekadashi 2025) सिर्फ एक व्रत नहीं, बल्कि आत्मशुद्धि, सुख-समृद्धि और आध्यात्मिक उन्नति का शुभ अवसर है। यह दिन भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करने, पापों से मुक्ति पाने और एक संतुलित व समृद्ध जीवन की ओर बढ़ने का मार्ग दिखाता है। यदि पूरे श्रद्धा और नियमों के साथ इस व्रत का पालन किया जाए, तो यह न सिर्फ आध्यात्मिक बल्कि मानसिक और शारीरिक रूप से भी लाभदायक सिद्ध होता है। आने वाली एकादशियों की जानकारी के लिए हमारे साथ जुड़े रहें और धर्म से जुड़े शुभ अवसरों का लाभ उठाते रहें।


यह भी पढ़ें- Mahesh Navami 2025: महेश नवमी के दिन भगवान शिव की पूजा से मिलता है उत्तम फल