Apara Ekadashi 2025: हिंदू पंचांग के अनुसार, प्रत्येक माह की ग्यारहवीं तिथि को एकादशी कहा जाता है, जिसका धार्मिक दृष्टि से विशेष महत्व है। इस दिन व्रत, उपवास और पूजा करना अत्यंत पुण्यदायी माना जाता है।
एक वर्ष में कुल 24 एकादशियां आती हैं, लेकिन मलमास (अधिकमास) के कारण इनकी संख्या बढ़कर 26 हो जाती है। हर माह की दोनों एकादशियों का अपना अलग महत्व होता है।
विशेष रूप से, ज्येष्ठ मास की कृष्ण और शुक्ल पक्ष की एकादशियां अत्यधिक महत्वपूर्ण मानी जाती हैं। हालांकि, सभी एकादशियों में ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की निर्जला एकादशी को सबसे श्रेष्ठ माना गया है, लेकिन इसी महीने की कृष्ण पक्ष की एकादशी, जिसे अपरा एकादशी या अचला एकादशी कहा जाता है, भी उतनी ही फलदायी मानी जाती है।
आइए जानते हैं अपरा एकादशी की तिथि (Apara Ekadashi 2025 Date), व्रत कथा और पूजन विधि।
साल 2025 में अपरा एकादशी (Apara Ekadashi 2025 ) व्रत 23 मई, शुक्रवार को रखा जाएगा। एकादशी तिथि 23 मई को रात 1:12 बजे से शुरू होकर उसी दिन रात 10:29 बजे तक रहेगी। व्रत समाप्ति के लिए पारण का समय 24 मई को प्रातः 5:26 बजे से सुबह 8:11 बजे तक निर्धारित है। इस शुभ अवसर पर भक्तजन व्रत एवं पूजा-पाठ कर भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त कर सकते हैं।
अपरा एकादशी का व्रत (Apara Ekadashi Vrat) और अनुष्ठान भक्तों के लिए विशेष महत्व रखते हैं। इस दिन विधिपूर्वक पूजा करने और व्रत रखने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है।
स्नान और संकल्प
व्रतधारी को प्रातःकाल जल्दी उठकर पवित्र स्नान करना चाहिए और व्रत के संकल्प के साथ दिन की शुरुआत करनी चाहिए।
श्रद्धा और निष्ठा के साथ पूजा
सभी अनुष्ठान पूरे समर्पण और श्रद्धा भाव से किए जाने चाहिए। भक्तों को भगवान विष्णु की पूजा करके उन्हें पुष्प, तुलसी पत्ते और अगरबत्ती अर्पित करनी चाहिए।
व्रत का पालन
अपरा एकादशी (Apara Ekadashi 2025) पर उपवास रखना अनिवार्य माना जाता है। व्रत दशमी तिथि की संध्या से ही शुरू होता है, जिसमें सूर्यास्त से पहले एक बार ही सात्विक भोजन करना चाहिए।
अपरा एकादशी कथा और आरती
व्रत को पूर्ण करने के लिए अपरा एकादशी की कथा का श्रवण या पाठ करना आवश्यक होता है। इसके बाद भगवान की आरती कर प्रसाद वितरण करना चाहिए।
मंदिर दर्शन और भजन-कीर्तन
इस दिन भक्तों को भगवान विष्णु के मंदिर जाकर उनके दर्शन करने चाहिए और मंत्रों का जाप करना चाहिए। 'विष्णु सहस्रनाम' का पाठ विशेष रूप से शुभ माना जाता है।
रात्रि जागरण
व्रतधारी को पूरी रात जागकर भगवान विष्णु के भजन-कीर्तन और मंत्र जाप करने चाहिए। इस दिन सोना वर्जित माना जाता है।
दान का महत्व
अपरा एकादशी (Apara Ekadashi ) की पूर्व संध्या पर दान करना अत्यंत फलदायी माना जाता है। इस दिन ब्राह्मणों को अन्न, वस्त्र और धन का दान करने से विशेष पुण्य प्राप्त होता है।
अपरा एकादशी का यह व्रत न केवल आध्यात्मिक शुद्धि का मार्ग प्रदान करता है, बल्कि भगवान विष्णु की कृपा से जीवन में सुख, समृद्धि और मोक्ष प्राप्त करने का अवसर भी देता है।
हिंदू धर्मग्रंथों में वर्णित कथा के अनुसार, प्राचीन काल में महिद्वज नामक एक धर्मपरायण राजा थे, जो सदैव सत्य और धर्म के मार्ग पर चलते थे। लेकिन उनके छोटे भाई, वज्रध्वज के मन में उनके प्रति ईर्ष्या और द्वेष था।
एक दिन, लोभ और क्रोध में आकर वज्रध्वज ने महिद्वज की हत्या कर दी और उनके शरीर को एक पीपल के वृक्ष के नीचे गाड़ दिया। असमय और अनियंत्रित मृत्यु के कारण, महिद्वज की आत्मा मोक्ष प्राप्त नहीं कर सकी और वह पीपल के पेड़ पर भटकती रही। यह आत्मा वहां से गुजरने वाले लोगों को डराने और कष्ट देने लगी।
समय बीतता गया, और एक दिन, एक महान ऋषि उस मार्ग से गुजरे। अपनी दिव्य दृष्टि से उन्होंने इस पीड़ित आत्मा की उपस्थिति को महसूस किया और उसके दुख का कारण जान लिया। ऋषि ने करुणा वश महिद्वज की आत्मा को मोक्ष दिलाने का संकल्प लिया।
ऋषि ने स्वयं अपरा एकादशी का व्रत रखा और उसके समस्त पुण्य महिद्वज को अर्पित कर दिए। भगवान विष्णु की कृपा और व्रत के प्रभाव से, महिद्वज की आत्मा पापों से मुक्त हुई और उसे मोक्ष की प्राप्ति हुई।
तभी से, अपरा एकादशी (Apara Ekadashi 2025) का व्रत करने की परंपरा चली आ रही है। यह व्रत आत्मा की शुद्धि, पापों से मुक्ति और मोक्ष प्राप्ति के लिए अत्यंत फलदायी माना जाता है।
अपरा एकादशी का विशेष महत्व हिंदू धर्म ग्रंथों में बताया गया है। मान्यता है कि भगवान कृष्ण ने स्वयं राजा युधिष्ठिर को इस पावन तिथि का महत्व समझाया था।
पापों से मुक्ति और मोक्ष का मार्ग
जो भी श्रद्धा और नियमपूर्वक अपरा एकादशी का व्रत रखता है, वह अपने जीवन के पुराने और वर्तमान पापों से मुक्त होकर सकारात्मकता और भलाई की ओर अग्रसर होता है।
धन, सम्मान और सफलता की प्राप्ति
इस व्रत को करने वाले भक्तों को जीवन में समृद्धि, मान-सम्मान और सफलता प्राप्त होती है। यह व्रत व्यक्ति के अच्छे कर्मों को कई गुना बढ़ा देता है और उसके जीवन में सुख-समृद्धि लाता है।
जन्म-मरण के चक्र से मुक्ति
ऐसा कहा जाता है कि जो व्यक्ति पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ अपरा एकादशी का व्रत करता है, वह जन्म-मरण के चक्र से मुक्त होकर मोक्ष प्राप्त करता है।
गंगा स्नान के बराबर पुण्य
हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार, कार्तिक मास में गंगा स्नान करने का जो पुण्य मिलता है, वही पुण्य अपरा एकादशी व्रत से भी प्राप्त होता है।
हजारों गायों के दान और यज्ञ के समान फल
इस व्रत का पालन करने से उतना ही पुण्य प्राप्त होता है जितना कि हजारों गायों का दान करने या बड़े यज्ञ करने से मिलता है।
संक्षेप में, अपरा एकादशी (Apara Ekadashi 2025) सिर्फ एक व्रत नहीं, बल्कि आत्मशुद्धि, पापों से मुक्ति और आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग है, जो व्यक्ति को ईश्वरीय कृपा और मोक्ष की ओर ले जाता है।
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