February 25, 2025 Blog

Baglamukhi Jayanti 2025: माँ बगलामुखी की आराधना से मिलती है परेशानियों से मुक्ति

BY : STARZSPEAK

Baglamukhi Jayanti 2025 :  संस्कृत में 'बगला' शब्द का अर्थ 'दुल्हन' होता है, जो उनके दिव्य सौंदर्य और अपार शक्ति को दर्शाता है। इसी कारण उन्हें बगलामुखी कहा जाता है। माता को पीताम्बरा, बगला, वल्गामुखी, वगलामुखी और ब्रह्मास्त्र विद्या के नाम से भी जाना जाता है। माना जाता है कि माँ बगलामुखी का मंत्र कुंडलिनी के स्वाधिष्ठान चक्र को जाग्रत करने में सहायक होता है।

माँ बगलामुखी दस महाविद्याओं में आठवीं महाविद्या हैं और इन्हें स्तम्भन शक्ति की देवी माना जाता है। देवी का सिंहासन रत्नों से जड़ा हुआ है, जिस पर विराजमान होकर वे शत्रुओं का नाश करती हैं। उनकी उपासना शत्रु नाश, वाकसिद्धि, और वाद-विवाद में विजय के लिए की जाती है। भक्तों का मानना है कि माँ की कृपा से व्यक्ति सभी बाधाओं से मुक्त होकर जीवन के हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त करता है और तीनों लोकों में अजेय हो जाता है।

माँ बगलामुखी (Baglamukhi Jayanti 2025) को प्रसन्न करने के लिए पीले फूल और नारियल अर्पित करना शुभ माना जाता है। देवी की मूर्ति पर पीला वस्त्र चढ़ाने और हल्दी के ढेर पर दीपदान करने से जीवन की बड़ी से बड़ी बाधा भी समाप्त हो जाती है। माँ बगलामुखी के मंत्र का जाप स्वाधिष्ठान चक्र की कुंडलिनी ऊर्जा को जागृत करने में सहायक माना जाता है। इस शुभ अवसर पर भक्त अन्नदान करते हैं, और माँ को मंगल ग्रह से जुड़ी बाधाओं के निवारण के लिए पूजनीय माना जाता है। आइए जानते है माँ बगलामुखी के बारे में विस्तार से : 

बगलामुखी जयंती 2025 – महत्व और पूजन विधि (Baglamukhi Jayanti 2025 – Significance and Worship Method) 


कौन हैं देवी बगलामुखी?

देवी बगलामुखी दस महाविद्याओं में से एक हैं, जिन्हें बुद्धि और शक्ति की देवी के रूप में पूजा जाता है। उनके नाम का अर्थ है—वह शक्ति जो शत्रुओं की वाणी और बुद्धि को नियंत्रित कर सके। माँ बगलामुखी को विभिन्न क्षेत्रों में पीताम्बरा देवी के नाम से भी जाना जाता है।

बगलामुखी जयंती 2025 कब है? (When Is Baglamukhi Jayanti 2025)

हिंदू पंचांग के अनुसार, बगलामुखी जयंती हर वर्ष वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है। ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार, यह तिथि अप्रैल या मई के महीने में आती है।
इस वर्ष बगलामुखी जयंती 5 मई 2025 (Baglamukhi Jayanti 2025 Date)को मनाई जाएगी। ऐसी मान्यता है कि जो भक्त सच्चे मन से माँ बगलामुखी की आराधना करते हैं, उन्हें जीवन में किसी भी तरह की परेशानी का सामना नहीं करना पड़ता।


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बगलामुखी जयंती का महत्व (Importance Of Baglamukhi Jayanti)

हिंदू धर्म में देवी बगलामुखी की पूजा शत्रु नाश, मानसिक और वाणी पर नियंत्रण तथा आत्मसाक्षात्कार के लिए की जाती है। बगलामुखी जयंती (Baglamukhi Jayanti 2025) को माँ बगलामुखी प्रकटोत्सव के नाम से भी जाना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, माँ बगलामुखी दस महाविद्याओं में से एक हैं, इसलिए कई राज्यों में उन्हें बुद्धि की देवी के रूप में भी पूजा जाता है।


माँ बगलामुखी की उपासना से मिलने वाले लाभ
:

  • शत्रुओं पर विजय: देवी की कृपा से व्यक्ति अपने विरोधियों पर पूर्ण नियंत्रण प्राप्त कर सकता है।
  • आत्मसंयम: देवी साधक को क्रोध, आवेग, वाणी और खाने की आदतों पर नियंत्रण रखने की शक्ति देती हैं।
  • नकारात्मक शक्तियों से सुरक्षा: माँ की आराधना करने से व्यक्ति काले जादू और दुष्प्रभावों से बच सकता है।
  • सम्मोहन शक्ति: देवी की पूजा से व्यक्ति दूसरों को प्रभावित करने की अद्भुत शक्ति प्राप्त कर सकता है।
  • कानूनी विवादों से मुक्ति: जिन लोगों को कानूनी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है, उनके लिए माँ की आराधना विशेष फलदायी मानी जाती है।
  • सफलता और वर्चस्व: देवी के भक्त संपन्नता, प्रभाव और शक्ति से संपन्न होते हैं।


बगलामुखी जयंती के अनुष्ठान (Rituals of Baglamukhi Jayanti)


कैसे करें माँ बगलामुखी की पूजा?

माँ बगलामुखी की पूजा के लिए इस शुभ दिन प्रातः स्नान आदि से निवृत्त होकर पीले वस्त्र धारण करें। ध्यान रखें कि साधना एकांत में, मंदिर में या किसी सिद्ध गुरु के सान्निध्य में ही करनी चाहिए। पूजा के दौरान पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठें।

पूर्व दिशा में एक चौकी पर पीला वस्त्र बिछाकर माँ बगलामुखी की मूर्ति या चित्र स्थापित करें। देवी के समीप स्वच्छ जल से भरा कलश रखें। इसके बाद दीप प्रज्वलित करें और हाथ में पीले चावल, पीले फूल, हल्दी (हरिद्रा) और दक्षिणा लेकर संकल्प करें। संकल्प के उपरांत आचमन कर हाथ धोएं और आसन पवित्र करें।

अब माँ को सिंदूर, रोली, पान, धूप, चावल, बेलपत्र, गंध, नैवेद्य आदि अर्पित करें। इसके पश्चात देवी की आरती करें और अंत में भक्तों के बीच प्रसाद का वितरण करें। (Baglamukhi Jayanti 2025)

माँ बगलामुखी को पीले फूल और नारियल अर्पित करने से वे शीघ्र प्रसन्न होती हैं। देवी की मूर्ति पर पीला वस्त्र चढ़ाने और हल्दी के ढेर पर दीपदान करने से सभी प्रकार की बाधाएँ दूर होती हैं।

बगलामुखी जयंती कैसे मनाई जाती है? 

  • इस दिन भक्त मंदिरों में पूजा-अर्चना करते हैं।
  • छोटी कन्याओं को माँ का स्वरूप मानकर पूजन किया जाता है और उन्हें भोजन कराया जाता है।
  • भजन, कीर्तन और जागरण का आयोजन किया जाता है।
  • भक्त उत्साह और समर्पण के साथ माँ की पूजा करते हैं।


बगलामुखी जयंती से जुड़ी पौराणिक कथा

पुराणों के अनुसार, एक बार भीषण बाढ़ के कारण सम्पूर्ण सृष्टि विनाश के कगार पर आ गई। जीव-जंतुओं और मानव जाति के अस्तित्व पर संकट आ गया। सभी देवता भगवान शिव के पास सहायता मांगने पहुंचे। शिवजी ने कहा कि इस आपदा को रोकने की शक्ति केवल देवी शक्ति के पास है। तब माँ बगलामुखी हरिद्रा सरोवर से प्रकट हुईं और अपने दिव्य तेज से इस संकट को समाप्त कर दिया।

इसी कारण, माँ बगलामुखी को संकटमोचक देवी माना जाता है और विपत्तियों से बचाव के लिए उनकी उपासना की जाती है।

माँ बगलामुखी मंत्र जाप (Baglamukhi Jayanti Mantra)


“ॐ ह्रीं बगलामुखी सर्वदुष्टानां वाचं, मुखं, पदं स्तंभय, जिह्वां कीलय, बुद्धिं विनाशय, ह्रीं ॐ स्वाहा।”

ऐसा माना जाता है कि यदि इस मंत्र का कम से कम 108 बार जाप किया जाए, तो माँ बगलामुखी प्रसन्न होती हैं और अपने भक्तों को सभी दुखों और बाधाओं से मुक्ति प्रदान करती हैं।

संक्षेप में, माँ बगलामुखी की पूजा भक्तों को शत्रुओं पर विजय, बाधाओं से मुक्ति और आत्मशक्ति प्रदान करने वाली मानी जाती है। विधि-विधान से की गई साधना और श्रद्धा से किया गया पूजन जीवन में सफलता, समृद्धि और आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग प्रशस्त करता है। पीले वस्त्र, हल्दी, दीपदान और भक्तिभाव से की गई अर्चना माँ की कृपा प्राप्त करने के प्रभावी साधन हैं।


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