Varuthini Ekadashi 2025: वरूथिनी एकादशी हिंदू धर्म में एक अत्यंत पवित्र और शक्तिशाली व्रत माना जाता है। यह विशेष दिन भगवान विष्णु की आराधना और भक्ति के लिए समर्पित है, जो हमारे जीवन में सुख, समृद्धि और सफलता के प्रतीक हैं। यह व्रत न केवल आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग दिखाता है, बल्कि हमारे जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाने का भी एक सुनहरा अवसर प्रदान करता है।
इस दिन उपवास और भगवान की पूजा से हमें यह सीख मिलती है कि किस प्रकार शुभता और समृद्धि को अपने जीवन का हिस्सा बनाया जाए। साथ ही, यह व्रत हमें धार्मिक और आध्यात्मिक ज्ञान को बढ़ाने का अवसर भी देता है।
तो आइए, इस पावन अवसर को और भी विशेष बनाते हैं और जानते हैं कि वरूथिनी एकादशी (Varuthini Ekadashi 2025) कैसे हमें ईश्वर के और अधिक निकट लाने के साथ-साथ हमारे जीवन से सभी नकारात्मकता और पापों का नाश करने में सहायक होती है…
वरूथिनी एकादशी हिंदू धर्म में एक अत्यंत शुभ और पुण्यदायी व्रत माना जाता है। यह हर साल वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को मनाया जाता है। इस साल वरूथिनी एकादशी (Varuthini Ekadashi 2025 Date) 24 अप्रैल 2025 दिन गुरुवार को मनाई जाएगी। इस दिन भगवान विष्णु के मधुसूदन स्वरूप की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। मान्यता है कि इस व्रत को पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ करने से जीवन के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसे सौभाग्य प्रदान करने वाली एकादशी भी कहा जाता है, क्योंकि यह भक्तों के जीवन में सुख-समृद्धि, शांति और उन्नति लाने का कार्य करती है।
इस शुभ अवसर पर भक्त उपवास रखते हैं, भगवान विष्णु की पूजा करते हैं और आध्यात्मिक लाभ प्राप्त करने के लिए रात्रि जागरण भी करते हैं।
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पापों का नाश:
इस व्रत को करने से जीवन के सभी पाप समाप्त हो जाते हैं और आत्मा को शुद्धि मिलती है। अगर इसे संपूर्ण श्रद्धा और विश्वास के साथ किया जाए, तो यह मोक्ष प्राप्ति का मार्ग भी प्रशस्त करता है।
सुख-समृद्धि और सौभाग्य:
वरूथिनी एकादशी का व्रत (Varuthini Ekadashi 2025 Vrat) जीवन में सकारात्मकता, शांति और समृद्धि लाने वाला माना जाता है। भगवान विष्णु की कृपा से घर में खुशहाली बनी रहती है और जीवन की कठिनाइयाँ दूर होती हैं।
स्वास्थ्य और दीर्घायु:
इस दिन उपवास और साधना करने से न केवल आत्मिक बल्कि शारीरिक शुद्धि भी होती है। उपवास से शरीर में ऊर्जा का संचार होता है और मानसिक शांति भी प्राप्त होती है, जिससे दीर्घायु और अच्छे स्वास्थ्य का आशीर्वाद मिलता है।
वरूथिनी एकादशी (Varuthini Ekadashi 2025) का व्रत हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र माना जाता है। इसे विधिपूर्वक करने से भक्त को भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होती है और जीवन में शुभता एवं समृद्धि आती है। इस व्रत को पूरी श्रद्धा और नियमों के साथ करने के लिए निम्नलिखित विधि को अपनाया जाता है:
व्रत रखने से एक दिन पहले हल्का और सात्विक भोजन करना चाहिए ताकि शरीर व्रत के लिए तैयार हो सके। मानसिक रूप से भी खुद को भक्तिभाव से भर लेना आवश्यक है, जिससे व्रत को संपूर्ण निष्ठा के साथ किया जा सके।
रात्रि में भजन-कीर्तन करना और श्रीकृष्ण की लीलाओं का स्मरण करना शुभ माना जाता है। यह जागरण भक्त को आध्यात्मिक ऊर्जा प्रदान करता है और व्रत के पुण्यफल को कई गुना बढ़ा देता है।
एकादशी व्रत का समापन द्वादशी तिथि को किया जाता है।
प्राचीन काल में राजा मानधाता नर्मदा नदी के तट पर शासन करते थे। वे एक परम दानी और तपस्वी राजा थे, जो धर्म के मार्ग पर चलने के लिए प्रसिद्ध थे।
एक दिन, राजा मानधाता वन में गहन तपस्या कर रहे थे। वे पूरी तरह ध्यानमग्न थे, तभी अचानक एक जंगली भालू वहां आ पहुंचा। भालू ने राजा के पैर को पकड़कर चबाना शुरू कर दिया। लेकिन राजा विचलित नहीं हुए, न ही उन्होंने हिंसा का सहारा लिया। इसके बजाय, वे भगवान विष्णु का ध्यान करने लगे और उनकी स्तुति करने लगे।
राजा की अटूट भक्ति देखकर भगवान विष्णु प्रकट हुए और भालू को वहां से दूर कर दिया। लेकिन तब तक भालू राजा का पैर पूरी तरह क्षतिग्रस्त कर चुका था। राजा अपने अंग को देखकर अत्यंत दुखी हो गए।
भगवान विष्णु ने उन्हें सांत्वना देते हुए कहा,
"हे पुत्र, शोक मत करो। यह सब तुम्हारे पूर्व जन्म के कर्मों का परिणाम है। मथुरा जाओ और वरूथिनी एकादशी का व्रत करो। इस व्रत के प्रभाव से तुम्हारा शरीर पुनः पूर्ण और सुंदर हो जाएगा।"
भगवान विष्णु के वचनों पर विश्वास रखते हुए राजा मानधाता मथुरा पहुंचे और पूरे श्रद्धा भाव से वरूथिनी एकादशी का व्रत किया। उन्होंने भगवान विष्णु के वराह अवतार की पूजा की। इस व्रत की अद्भुत शक्ति से उनका शरीर पहले की तरह स्वस्थ और संपूर्ण हो गया।
इस दिव्य व्रत के प्रभाव से राजा मानधाता ने अपने सभी पापों से मुक्ति पाई और अंततः स्वर्ग लोक की प्राप्ति की।
यह कथा हमें सिखाती है कि वरूथिनी एकादशी (Varuthini Ekadashi 2025) का व्रत सिर्फ पापों का नाश ही नहीं करता, बल्कि यह भक्त को शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक रूप से भी लाभ प्रदान करता है। अगर कोई व्यक्ति श्रद्धा और विश्वास के साथ इस व्रत का पालन करता है, तो भगवान विष्णु की कृपा से सभी संकट दूर हो जाते हैं और जीवन में सुख, समृद्धि और शांति प्राप्त होती है।
"इस पवित्र एकादशी पर भगवान विष्णु की भक्ति करें और उनके आशीर्वाद से अपने जीवन को दिव्यता से भरें!"