February 17, 2025 Blog

Papmochani Ekadashi 2025: जानिए पापमोचिनी एकादशी की तिथि, व्रत पूजा विधि और महत्त्व

BY : STARZSPEAK

Papmochani Ekadashi 2025: सालभर में कुल 24 एकादशियां आती हैं, जिनमें से पापमोचनी एकादशी विशेष रूप से महत्वपूर्ण मानी जाती है। यह दिन भगवान विष्णु को समर्पित होता है और इसे सभी पापों से मुक्ति दिलाने वाला माना जाता है।

अगर इसके नाम को देखें, तो "पापमोचनी" दो शब्दों से मिलकर बना है— "पाप", जिसका अर्थ है अपराध या बुरे कर्म, और "मोचनी", जिसका मतलब है मुक्ति या निष्कासन। यानी, यह एकादशी (Papmochani Ekadashi 2025) उन भक्तों के लिए एक अवसर है, जो अपने अतीत और वर्तमान के पापों से मुक्ति पाना चाहते हैं।

इस पावन दिन पर भक्तगण श्रद्धा भाव से भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना करते हैं, व्रत रखते हैं और भक्ति मार्ग को अपनाकर आत्मशुद्धि का प्रयास करते हैं।

पापमोचनी एकादशी: पापों से मुक्ति दिलाने वाला शुभ व्रत

हिंदू पंचांग के अनुसार, पापमोचनी एकादशी (Papmochani Ekadashi 2025) चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को आती है। इसे साल की अंतिम एकादशी माना जाता है, जो दो प्रमुख पर्वों— होलिका दहन और चैत्र नवरात्रि— के बीच पड़ती है।
पापमोचनी एकादशी हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण व्रत है, जो भक्तों को उनके पापों से मुक्ति दिलाने में सहायक माना जाता है। 


पापमोचनी एकादशी 2025 की तिथि और समय (Papmochani Ekadashi 2025 Date & Time)

वर्ष 2025 में, यह पावन तिथि मंगलवार, 25 मार्च को पड़ेगी।

  • एकादशी तिथि प्रारंभ: 25 मार्च 2025 को प्रातः 05:05 बजे
  • एकादशी तिथि समाप्त: 26 मार्च 2025 को प्रातः 03:45 बजे
  • व्रत पारण का समय: 26 मार्च 2025 को दोपहर 01:41 बजे से 04:08 बजे तक


पापमोचनी एकादशी 2025 के शुभ संयोग (Auspicious Coincidences Of Papmochani Ekadashi 2025)

इस वर्ष पापमोचनी एकादशी (Papmochani Ekadashi 2025) के दिन शिव योग और सिद्ध योग का दुर्लभ संयोग बन रहा है, जिसे ज्योतिष शास्त्र में अत्यंत शुभ माना गया है। इन योगों में लक्ष्मी-नारायण जी की पूजा करने से सभी इच्छाएं पूरी होती हैं और जीवन में सफलता का मार्ग प्रशस्त होता है।


विशेष योग और उनका महत्व:

  • शिव योग – इस योग में भगवान शिव की उपासना करने से सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति मिलती है।
  • सिद्ध योग – यह योग शुभ कार्यों की सिद्धि में सहायक होता है और साधकों को मनचाहा फल प्रदान करता है।
  • शिववास योग – इस दिन भगवान शिव माता पार्वती के साथ कैलाश पर्वत पर निवास करेंगे, जिससे इस तिथि का महत्व और बढ़ जाता है।

इन शुभ योगों में किया गया व्रत और पूजन विशेष फलदायी होता है, जिससे व्यक्ति को पापों से मुक्ति और आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होती है।


Papmochani Ekadashi 2025 date


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पापमोचनी एकादशी का महत्व (Importance Of Papmochani Ekadashi 2025)

यह एकादशी विशेष रूप से पुण्यदायी मानी जाती है। मान्यता है कि जो श्रद्धालु इस दिन व्रत रखते हैं, वे अपने सभी पापों से मुक्त होकर सुख-समृद्धि और शांति प्राप्त करते हैं। यह व्रत न केवल आध्यात्मिक शुद्धि देता है, बल्कि मानसिक शांति और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार भी करता है। साथ ही, इसे पालन करने से धन-संपत्ति और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।

पापों से मुक्ति और आत्मिक शांति की चाह रखने वालों के लिए यह एकादशी अत्यंत फलदायी मानी जाती है। 


पापमोचनी एकादशी के अनुष्ठान और विधि (Rituals and Methods of Papmochani Ekadashi)

पापमोचनी एकादशी (Papmochani Ekadashi 2025) की तैयारियां दशमी तिथि से ही शुरू हो जाती हैं, यानी एकादशी से एक दिन पहले। इस दिन से भक्त सत्कर्म और आध्यात्मिक साधना में संलग्न हो जाते हैं।

व्रत और पूजा विधि:
  • श्रद्धालु निर्जला व्रत रखते हैं, यानी बिना अन्न और जल के उपवास करते हैं। हालांकि, कुछ भक्त फलाहार और जल ग्रहण कर सकते हैं।
  • व्रत के दिन सुबह जल्दी उठकर किसी पवित्र नदी, झील या घर में स्नान कर शुद्धता का पालन किया जाता है।
  • स्नान के बाद भगवान विष्णु की पूजा की जाती है, जिसमें चंदन, पुष्प, धूप-दीप, और नैवेद्य (प्रसाद) अर्पित किया जाता है।
  • भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए विष्णु सहस्रनाम, सत्यनारायण कथा और अन्य वैदिक मंत्रों का जाप किया जाता है।

यह व्रत न केवल आध्यात्मिक शुद्धि प्रदान करता है बल्कि पुण्य, सुख, और समृद्धि की प्राप्ति का मार्ग भी प्रशस्त करता है।

पापमोचनी एकादशी व्रत कथा (Papmochani Ekadashi Vrat Katha)

प्राचीन काल में मेधावी नाम के एक महान ऋषि थे, जो भगवान शिव के अनन्य भक्त थे। वे गहन तपस्या में लीन रहते और चित्ररथ वन में ध्यान साधना करते थे।

इंद्र का भय और मंजूघोषा का प्रयास

चित्ररथ वन अपनी अद्भुत प्राकृतिक सुंदरता के लिए प्रसिद्ध था, जहाँ अक्सर देवताओं के राजा इंद्र अपनी अप्सराओं के साथ भ्रमण किया करते थे। जब इंद्र ने देखा कि मेधावी ऋषि की तपस्या अत्यंत प्रभावशाली होती जा रही है, तो उन्हें यह चिंता हुई कि यदि यह ऋषि अपनी साधना पूरी कर लेते हैं, तो वे स्वर्ग में एक उच्च स्थान प्राप्त कर सकते हैं।

इस भय से इंद्र ने अप्सरा मंजूघोषा को भेजा ताकि वह मेधावी ऋषि का ध्यान भंग कर सके। मंजूघोषा ने मधुर स्वर में गाना गाया, नृत्य किया और ऋषि को आकर्षित करने के अनेक प्रयास किए, लेकिन उनकी साधना इतनी प्रबल थी कि वह सफल नहीं हो सकी।


कामदेव का हस्तक्षेप और मेधावी का पतन

जब मंजूघोषा के प्रयास विफल हो गए, तो प्रेम के देवता कामदेव स्वयं आगे आए। उन्होंने अपने शक्तिशाली प्रेम के बाण चलाए, जिससे ऋषि मेधावी का ध्यान भटक गया। मंत्रमुग्ध होकर ऋषि मंजूघोषा के सौंदर्य के वशीभूत हो गए और अपनी साधना भूलकर उनके प्रेम में पड़ गए।


ऋषि का क्रोध और मंजूघोषा का श्राप

कई वर्षों तक इस मोह में पड़े रहने के बाद, जब मंजूघोषा ने ऋषि को छोड़ने का निर्णय लिया, तब मेधावी को अहसास हुआ कि वे माया के जाल में फंसकर अपनी कठिन तपस्या से भटक गए थे। क्रोध में आकर उन्होंने मंजूघोषा को भयंकर राक्षसी बनने का श्राप दे दिया।

पापमोचनी एकादशी का व्रत और मोक्ष

पश्चाताप से ग्रस्त होकर, ऋषि मेधावी अपने पिता ऋषि च्यवन के पास गए और अपनी भूल के लिए मार्गदर्शन मांगा। ऋषि च्यवन ने उन्हें पापमोचनी एकादशी का व्रत करने का सुझाव दिया, जिससे वे अपने पापों से मुक्त हो सकते थे।

मंजूघोषा ने भी अपने किए पर पछतावा व्यक्त किया और भगवान विष्णु को समर्पित इस व्रत को पूरी श्रद्धा से किया। इस व्रत के प्रभाव से दोनों ही अपने पापों से मुक्त हो गए और उन्हें मोक्ष की प्राप्ति हुई।


व्रत का महत्व

पापमोचनी एकादशी (Papmochani Ekadashi 2025) का व्रत पापों से मुक्ति दिलाने वाला और आध्यात्मिक शुद्धि प्रदान करने वाला माना जाता है। जो व्यक्ति इस दिन सच्चे हृदय से व्रत रखता है, वह अपने भूतकाल और वर्तमान के सभी पापों से मुक्त हो जाता है और जीवन में सुख, समृद्धि, और शांति प्राप्त करता है।

निष्कर्ष

पापमोचनी एकादशी (Papmochani Ekadashi 2025) न केवल पापों से मुक्ति दिलाने वाला व्रत है, बल्कि यह आध्यात्मिक शुद्धि और मन की शांति प्रदान करने वाला भी माना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा और व्रत करने से व्यक्ति को जीवन में सुख, समृद्धि और सफलता प्राप्त होती है। विशेष रूप से इस वर्ष बनने वाले शुभ योग इसे और भी फलदायी बनाते हैं। श्रद्धा और भक्ति के साथ इस व्रत का पालन करने से सभी मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं और आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग प्रशस्त होता है।


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