October 8, 2024 Blog

Anuradha Paudwal Ambe Tu Hai Jagdambe Kali lyrics: पढ़े माँ दुर्गा आरती अम्बे तू है जगदम्बे काली

BY : STARZSPEAK

Anuradha Paudwal Ambe Tu Hai Jagdambe Kali lyrics: जगत जननी मां जगदंबा की उपासना का महापर्व नवरात्रि को अत्यंत शुभ और विशेष माना जाता है। इस वर्ष 3 अक्टूबर से शारदीय नवरात्रि का आरंभ हो रहा है। वैसे तो माता रानी हर समय अपने भक्तों का ध्यान रखती हैं, परंतु नवरात्रि के दिनों में उनकी पूजा का महत्व और भी बढ़ जाता है। इस दौरान मां दुर्गा पृथ्वी पर विराजती हैं और अपने भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करती हैं। यही कारण है कि इन दिनों की गई पूजा का फल शीघ्र मिलता है। यदि आप माता रानी की कृपा प्राप्त करना चाहते हैं, तो नवरात्रि के नौ दिनों में प्रतिदिन 'अंबे जी' की आरती करें। इस लेख में 'अंबे तू है जगदंबे काली...' आरती के बोल दिए गए हैं, जिससे आप प्रतिदिन मां अंबे की आरती कर सकते हैं।                                                                                                                                                                                                                                                              


।।
माँ अम्बे जी की आरती ।।
।। Maa Ambe Ji Ki Aarti ।।

अम्बे तू है जगदम्बे काली,
जय दुर्गे खप्पर वाली,
तेरे ही गुण गावें भारती,
ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती।

अम्बे तू है जगदम्बे काली,
जय दुर्गे खप्पर वाली,
तेरे ही गुण गावें भारती,
ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती।


Anuradha Paudwal Ambe Tu Hai Jagdambe Kali lyrics

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तेरे भक्त जनो पर माता भीड़ पड़ी है भारी।
दानव दल पर टूट पडो माँ करके सिंह सवारी
तेरे भक्त जनो पर माता भीड़ पड़ी है भारी।
दानव दल पर टूट पडो माँ करके सिंह सवारी॥
सौ-सौ सिहों से बलशाली, है अष्ट भुजाओं वाली,
दुष्टों को तू ही ललकारती।
ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती॥

अम्बे तू है जगदम्बे काली,
जय दुर्गे खप्पर वाली,
तेरे ही गुण गावें भारती,
ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती।

माँ-बेटे का है इस जग मे बडा ही निर्मल नाता।
पूत-कपूत सुने है पर ना माता सुनी कुमाता॥
माँ-बेटे का है इस जग मे बडा ही निर्मल नाता।
पूत-कपूत सुने है पर ना माता सुनी कुमाता॥
सब पे करूणा दर्शाने वाली, अमृत बरसाने वाली,
दुखियों के दुखडे निवारती।
ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती॥

अम्बे तू है जगदम्बे काली,
जय दुर्गे खप्पर वाली,
तेरे ही गुण गावें भारती,
ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती।

नहीं मांगते धन और दौलत, न चांदी न सोना।
हम तो मांगें तेरे मन में छोटा सा कोना॥
नहीं मांगते धन और दौलत, न चांदी न सोना।
हम तो मांगें तेरे मन में छोटा सा कोना॥
सबकी बिगड़ी बनाने वाली, लाज बचाने वाली,
सतियों के सत को सवांरती।
ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती॥

अम्बे तू है जगदम्बे काली,
जय दुर्गे खप्पर वाली,
तेरे ही गुण गावें भारती,
ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती।


चरण शरण में खड़े तुम्हारी, ले पूजा की थाली।
वरद हस्त सर पर रख दो माँ संकट हरने वाली॥
चरण शरण में खड़े तुम्हारी, ले पूजा की थाली।
वरद हस्त सर पर रख दो माँ संकट हरने वाली॥
माँ भर दो भक्ति रस प्याली, अष्ट भुजाओं वाली,
भक्तों के कारज तू ही सारती।। 
ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती।

अम्बे तू है जगदम्बे काली, 
जय दुर्गे खप्पर वाली,
तेरे ही गुण गावें भारती, 
ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती।

।। इति श्री अम्बे जी की आरती ।। 


आरती के बाद बोला जाने वाला मंत्र 


दुर्गा आरती के बाद 'कर्पूरगौरं' मंत्र का उच्चारण किया जाता है: 

"कर्पूरगौरं करुणावतारं संसारसारं भुजगेन्द्रहारम्,

सदा वसन्तं हृदयारविन्दे भवं भवानी सहितं नमामि"


इस मंत्र का अर्थ है: जो भगवान शिव कर्पूर की तरह उज्ज्वल हैं, करुणा के अवतार हैं, संसार के सार हैं, और जिनके गले में सर्पों का हार है, वे माता भवानी के साथ सदैव मेरे हृदय में वास करें। मैं उन दोनों को नमन करता हूँ।

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