April 4, 2024 Blog

Lord Ganesh: बुधवार के दिन इस स्तोत्र का पाठ करें, जीवन के दुःख शीघ्र ही समाप्त हो जायेंगे

BY : STARZSPEAK

बुधवार का दिन गणपति बप्पा को समर्पित है। मान्यता है कि इस दिन भगवान गणेश (Ganesha Stotram) की विशेष पूजा और व्रत करने से साधक के सुख-सौभाग्य में वृद्धि होती है। साथ ही सभी प्रकार के दुखों से मुक्ति मिलती है। इसके अलावा बुधवार के दिन पूजा के दौरान गणेश स्तोत्र का पाठ अवश्य करना चाहिए। मान्यता है कि ऐसा करने से जीवन में शुभता आती है।

Ganesha Stotram: बुधवार का दिन भगवान शिव के पुत्र गणपति बप्पा को समर्पित है। इस दिन भगवान गणेश की विधिपूर्वक पूजा और व्रत किया जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार बुधवार के दिन गणपति बप्पा की पूजा करने से भगवान गणेश प्रसन्न होते हैं और साधक को शुभ फल मिलता है। साथ ही व्यक्ति को जीवन के सभी दुखों से मुक्ति मिल जाती है। इसके अलावा बुधवार के दिन पूजा के दौरान गणेश स्तोत्र का पाठ अवश्य करना चाहिए। मान्यता है कि ऐसा करने से जीवन में शुभता आती है। आइये गणेश स्तोत्र का पाठ करें.

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Ganesha Stotram
गणेश स्तोत्र (Ganesha Stotram)

शृणु पुत्र महाभाग योगशान्तिप्रदायकम् ।

येन त्वं सर्वयोगज्ञो ब्रह्मभूतो भविष्यसि ॥


चित्तं पञ्चविधं प्रोक्तं क्षिप्तं मूढं महामते ।

विक्षिप्तं च तथैकाग्रं निरोधं भूमिसज्ञकम् ॥


तत्र प्रकाशकर्ताऽसौ चिन्तामणिहृदि स्थितः ।

साक्षाद्योगेश योगेज्ञैर्लभ्यते भूमिनाशनात् ॥


चित्तरूपा स्वयंबुद्धिश्चित्तभ्रान्तिकरी मता ।

सिद्धिर्माया गणेशस्य मायाखेलक उच्यते ॥


अतो गणेशमन्त्रेण गणेशं भज पुत्रक ।

तेन त्वं ब्रह्मभूतस्तं शन्तियोगमवापस्यसि ॥


इत्युक्त्वा गणराजस्य ददौ मन्त्रं तथारुणिः ।

एकाक्षरं स्वपुत्राय ध्यनादिभ्यः सुसंयुतम् ॥


तेन तं साधयति स्म गणेशं सर्वसिद्धिदम् ।

क्रमेण शान्तिमापन्नो योगिवन्द्योऽभवत्ततः ॥

गणेश गायत्री मंत्र / Ganesh Gayatri Mantra

ॐ एकदंताय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात् ॥

ॐ महाकर्णाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात् ॥

ॐ गजाननाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात् ॥

सिद्धि प्राप्ति हेतु मंत्र / MANTRA FOR ASHTA SIDDHI

श्री वक्रतुण्ड महाकाय सूर्य कोटी समप्रभा निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्व-कार्येशु सर्वदा ॥

धन लाभ हेतु मंत्र / Dhan Prapti Mantra

ॐ श्रीं गं सौभ्याय गणपतये वर वरद सर्वजनं में वशमानय स्वाहा।

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