December 7, 2023 Blog

Ganesha Stotram: आज पूजा के दौरान इस चमत्कारी स्तोत्र का पाठ करें, सभी कष्टों से मुक्ति मिलेगी

BY : STARZSPEAK

धार्मिक दृष्टि से ऐसा माना जाता है कि जब कोई साधक बुधवार के दिन भगवान गणेश की पूजा करता है तो उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और उसे रिद्धि-सिद्धि की प्राप्ति होती है। साथ ही उसकी आय, सौभाग्य और धन में वृद्धि होती है। इसलिए साधक श्रद्धापूर्वक भगवान गणेश (Ganesha Stotram) की पूजा करता है। ज्योतिष भी इस बात का समर्थन करता है और बुधवार के दिन भगवान गणेश की पूजा करने की सलाह देता है, जिससे कुंडली में बुध ग्रह मजबूत होता है।

Ganesha Stotram: सनातन धर्म में बुधवार के दिन भगवान गणेश की विशेष पूजा की जाती है। इस दिन सृष्टि के रचयिता भगवान श्रीकृष्ण की भी पूजा की जाती है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, बुधवार के दिन भगवान गणेश की पूजा करने से साधक की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और उसे रिद्धि-सिद्धि की प्राप्ति होती है। साथ ही उसकी आय, सौभाग्य और धन में वृद्धि होती है। इसलिए साधक श्रद्धापूर्वक भगवान गणेश की पूजा करता है।

Ganesha Stotram

ज्योतिष शास्त्र भी बुधवार के दिन भगवान गणेश की पूजा करने की सलाह देता है, जिससे कुंडली में बुध ग्रह मजबूत होता है। अगर आप भी भगवान गणेश की कृपा (Ganesha Stotram) के भागीदार बनना चाहते हैं तो आज भगवान गणेश की विधि-विधान से पूजा करें। पूजा के दौरान इस चमत्कारी स्तोत्र का पाठ भी करें।

।। श्री गणपती स्तोत्रम।।

।। Shree Ganesha Stotram।। 

अनन्ता अवताराश्च गणेशस्य महात्मनः ।
न शक्यते कथां वक्तुं मया वर्षशतैरपि ॥
संक्षेपेण प्रवक्ष्यामि मुख्यानां मुख्यतां गतान् ।
अवतारांश्च तस्याष्टौ विख्यातान् ब्रह्मधारकान् ॥
 
वक्रतुण्डावतारश्च देहिनां ब्रह्मधारकः ।
मत्सरासुरहन्ता स सिंहवाहनगः स्मृतः ॥
एकदन्तावतारो वै देहिनां ब्रह्मधारकः ।
मदासुरस्य हन्ता स आखुवाहनगः स्मृतः ॥
 
महोदर इति ख्यातो ज्ञानब्रह्मप्रकाशकः ।
मोहासुरस्य शत्रुर्वै आखुवाहनगः स्मृतः ॥
गजाननः स विज्ञेयः सांख्येभ्यः सिद्धिदायकः ।
लोभासुरप्रहर्ता च मूषकगः प्रकीर्तितः ॥
 
लम्बोदरावतारो वै क्रोधसुरनिबर्हणः ।
आखुगः शक्तिब्रह्मा सन् तस्य धारक उच्यते ॥
विकटो नाम विख्यातः कामासुरप्रदाहकः ।
मयूरवाहनश्चायं सौरमात्मधरः स्मृतः ॥
 
विघ्नराजावतारश्च शेषवाहन उच्यते ।
ममासुरप्रहन्ता स विष्णुब्रह्मेति वाचकः ॥
धूम्रवर्णावतारश्चाभिमानासुरनाशकः ।
आखुवाहनतां प्राप्तः शिवात्मकः स उच्यते ॥
 
एतेऽष्टौ ते मया प्रोक्ता गणेशांशा विनायकाः ।
एषां भजनमात्रेण स्वस्वब्रह्मप्रधारकाः ॥
स्वानन्दवासकारी स गणेशानः प्रकथ्यते ।
स्वानन्दे योगिभिर्दृष्टो ब्रह्मणि नात्र संशयः ॥
 
तस्यावताररूपाश्चाष्टौ विघ्नहरणाः स्मृताः ।
स्वानन्दभजनेनैव लीलास्तत्र भवन्ति हि ॥
माया तत्र स्वयं लीना भविष्यति सुपुत्रक ।
संयोगे मौनभावश्च समाधिः प्राप्यते जनैः ॥
 
अयोगे गणराजस्य भजने नैव सिद्ध्यति ।
मायाभेदमयं ब्रह्म निवृत्तिः प्राप्यते परा ॥
योगात्मकगणेशानो ब्रह्मणस्पतिवाचकः ।
तत्र शान्तिः समाख्याता योगरूपा जनैः कृता ॥
 
नानाशान्तिप्रभेदश्च स्थाने स्थाने प्रकथ्यते ।
शान्तीनां शान्तिरूपा सा योगशान्तिः प्रकीर्तिता ॥
योगस्य योगता दृष्टा सर्वब्रह्म सुपुत्रक ।
न योगात्परमं ब्रह्म ब्रह्मभूतेन लभ्यते ॥
 
एतदेव परं गुह्यं कथितं वत्स तेऽलिखम् ।
भज त्वं सर्वभावेन गणेशं ब्रह्मनायकम् ॥
पुत्रपौत्रादिप्रदं स्तोत्रमिदं शोकविनाशनम् ।
धनधान्यसमृद्ध्यादिप्रदं भावि न संशयः ॥
 
धर्मार्थकाममोक्षाणां साधनं ब्रह्मदायकम् ।
भक्तिदृढकरं चैव भविष्यति न संशयः ॥
 
।। श्री गणपती स्तोत्रम।।

।। Shree Ganesha Stotram।।