भगवान गणेश हमें बहुत प्रिय हैं और सबसे अधिक पूजे जाने वाले देवता हैं। उनके श्लोकों और मंत्रों के जाप से हमें बहुत लाभ मिल सकता है। ऐसा करने के सर्वोत्तम तरीकों में से एक है दिन की शुरुआत "वक्रतुंड महाकाय सूर्यकोटि संप्रभ" (ब्रह्मांड के महान भगवान, सूर्यकोटि) मंत्र का जाप करना। इससे हमें अपना सारा काम जल्दी और आसानी से पूरा करने में मदद मिलेगी। हम भगवान गणेश के आशीर्वाद के लिए उनके प्रति कृतज्ञ महसूस कर सकते हैं और उनकी उपस्थिति में खुश रह सकते हैं।
अर्थ – “हे हाथी के जैसे विशालकाय गणेश, जिनका तेज सूर्य की सहस्त्र किरणों के समान है, सदा मेरे सभी कार्य बिना किसी विघ्न के पूर्ण करें”।
अर्थ – विघ्नेश्वर, वर देनेवाले, देवताओं को प्रिय, लम्बोदर, कलाओंसे परिपूर्ण, जगत् का हित करनेवाले, गजके समान मुखवाले और वेद तथा यज्ञ से विभूषित पार्वतीपुत्र को नमस्कार है ; हे गणनाथ ! आपको नमस्कार है ।
अर्थ – हे हेरम्ब ! आपको किन्ही प्रमाणों द्वारा मापा नहीं जा सकता, आप परशु धारण करने वाले हैं, आपका वाहन मूषक है । आप विश्वेश्वर को बारम्बार नमस्कार है ।
अर्थ – जिनके एक दाँत और सुन्दर मुख है, जो शरणागत भक्तजनों के रक्षक तथा प्रणतजनों की पीड़ा का नाश करनेवाले हैं, उन शुद्धस्वरूप आप गणपति को बारम्बार नमस्कार है ।

Dr. Rahul Nair, with 15+ years in student counseling, integrates psychology and spirituality to guide learners toward aligned educational paths, personal growth, and meaningful success in life.