February 28, 2020 Blog

इस दिन रखेंगे व्रत तो हर मनोकामना होगी पूर्ण

BY : STARZSPEAK

क्या आप भी उन लोगों में से हैं जिनके बनते काम बिगड़ जाते हैं? क्या आपकी भी मनोकामनाएं अधूरी रह जाती हैं? क्या आपको तरक्की और सफलता मिलते-मिलते रूक जाती है? क्या आपके हर काम में अड़चन आती है? अगर हां, तो आपको अब चिंता करने की जरूरत नहीं है। हम आपको एक ऐसा उपाय बता रहे हैं जिसे अपनाने से आपके संकट दूर होंगे और आपके काम बनेंगे। आपको सिर्फ एक उपवास रखना है। ये कोई और उपवास नहीं बल्कि महाशिवरात्रि का उपवास है। महाशिवरात्रि उपवास को फाल्गुन महीने के कृष्ण पक्ष के समय चतुर्थी के दिन किया जाता है। शिवरात्रि उपवास को सफल बनाने के लिए अर्धरात्रि‍ में इस उपवास को करने का सही समय माना गया है। आपको अपनी सभी मनोकामनाओं और इच्छाओं को पूर्ण करना है तो महाशिवरात्रि व्रत उस दिन करें जब फाल्‍गुनी माह में कृष्ण पक्ष के समय चतुर्थी अर्धरात्रि‍ से आरंभ हो रही हो। कृष्ण पक्ष के समय अर्धरात्रि‍ में चतुर्दशी के योग को निशीथव्यापिनी चतुर्दशी के रूप में जाना जाता है, ये बहुत ही शुभ संयोग माना गया है। इस घड़ी को शिवरात्रि‍ उपवास के लिए सबसे शुभ माना गया है।

क्यों कहते हैं शिवजी के व्रत को महाशिवरात्रि‍ -

शिवरात्रि‍ यानि शिव की रात। फाल्गुनी माह की कृष्ण पक्ष के समय अर्धरात्रि‍ में चतुर्दशी के योग के कारण इस व्रत को शिवरात्रि‍ के नाम से जाना जाता है। ये भी मत है कि कृष्ण पक्ष पर चंद्रमा कमजोर होता है और शिवजी को रात्रि‍ प्रिय होने के कारण महाशिवरात्रि‍ आधी रात से आरंभ होती है। ये भी कहा गया है कि रात्रि‍ में तामसिक शक्तियां अधिक प्रबल होती हैं और उनके नियंत्रक भगवान शिव हैं। दरअसल मध्य रात्रि‍ में इस दिन ज्योतिर्लिंग के प्रादुर्भाव के कारण शिवरात्रि‍ व्रत का महत्व है। ऐसा माना जाता है कि हर महीने शिवरात्रि‍ का व्रत आता है लेकिन साल में एक बार महाशिवरात्रि‍ व्रत आता है जिसे अर्धशिवरात्रि‍ व्रत भी कहा जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस व्रत को कोई भी वर्ग कर सकता है फिर वो शादीशुदा हो या कुंवारा। इस व्रत को करने वाले भक्तों का उम्र और जाति से कोई ताल्लुक नहीं है।

क्या कहते हैं ज्योतिष शास्त्र -

ज्योतिष शास्त्रों के मुताबिक, भगवान शिव चतुर्दशी के स्वामी है यानि शिवजी को प्रसन्न करने के लिए चतुर्थी के दिन पूजा-पाठ करना चाहिए। ऐसे में सच्चे मन से पूरे विधि‍ विधान से महाशिवरात्रि‍ के व्रत को करने से शुभ लाभ होता है।

क्या है महाशिवरात्रि‍ व्रत का महत्व –

भगवान शिव को मोक्ष प्राप्ति वाले देवता के रूप में पूजा जाता है। पुराणों के अनुसार, अपने पापों का नाश करने और पुण्य कमाने के लिए शिवरात्रि‍ का व्रत करना सबसे उत्त्म है। पुराणों के मुताबिक, जो भक्तजन हर माह शिव भगवान का उपवास रखते हैं, रूदाक्ष का जाप करते हैं और रोजाना भगवान शिव की पूजा-अर्चना करते हैं साथ ही शिव मंदिर जाते हैं उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है। इन सबके अलावा महाशिवरात्रि‍ का उपवास करने वाले भक्तों की हर मनोकामना आसानी से पूर्ण होती है। आपको बता दें, महाशिवरात्रि‍ के व्रत की पूजा भक्तजन रात्रि‍ में जागरण करते हैं, क्योंकि भगवान शिव को खुश करने का इससे बेहतर तरीका और क्या हो सकता है।

 महाशिवरात्रि‍ व्रत की पूजा विधि –

महाशिवरात्रि‍ उपवास में व्रती रातभर जागरण करके शिवजी का जाप करते हैं। इसके बाद प्रातःकाल स्नानादि नित्य कर्मों से मुक्त होकर स्वच्छ या नए कपड़े पहनते हैं। इसके बाद माथे पर भस्म और तिलक लगाकर, 11 रूदाक्षों की माला गले में धारा करके शिवजी का जाप करते हैं। य‍दि घर में शिवलिंग नहीं है तो लोग शिव मंदिर जाकर शिवजी की उपासना करते हैं। शिवजी के पूजन के लिए बेल पात्र, धतूरा, दूध, फूलमाला, नारियल, घी का दीया, धूप और अगरबत्ती तैयार करते हैं। इसके बाद शिवजी के मंत्रों का उच्चारण ‘ओइम नमः शिवाय’ का जाप करते हुए शिवलिंग को पहले जल से फिर दूध से स्नान करवाते हैं। इसके बाद शिवलिंग पर तिलक करके अगरबत्ती, धूप, दीया, फूलमाला, धतूरा, बेल पात्र इत्यादि चढ़ाकर पूजा-अर्चना करते हैं। इसके बाद भगवान के आगे अपने पापों की क्षमा याचना करते हुए आगे कुछ गलत ना करने का संकल्प लेते हैं और अपनी मनोकामनाएं पूर्ण होने के लिए अर्चना करते हैं।

 महाशिवरात्रि‍ की पूजा के दौरान जाप किए जाने वाले मंत्र –

भगवान शिव के पूजन के दौरान इस मंत्र का जाप किया जाता है- 

शिवरात्रिव्रतं ह्येतत् करिष्येऽहं महाफलम्।

निर्विघ्नमस्तु मे चात्रा त्वत्प्रसादाज्जगत्पते।।

 भगवान शिव की पूजा समाप्ति के बाद इस मंत्र का जाप किया जाता है - 

 देवदेव महादेव नीलकण्ठ नमोऽस्तु ते।

कर्तुमिच्छाम्यहं देव शिवरात्रिव्रतं तव।।

तव प्रसादाद्देवेश निर्विघ्नेन भवेदिति।

कामाद्याः शत्रावो मां वै पीडां कुर्वन्तु नैव हि।। 

इस तरह पूरे विधि-विधान से महाशिवरात्रि‍ का व्रत करके आप आसानी से अपनी सभी मनोकामनाएं पूर्ण कर सकते हैं।