February 27, 2020 Blog

हस्तरेखा - हथेली का अध्ययन

BY : Raghav Kapoor – Vastu Consultant & Architectural Advisor

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हस्तरेखा विज्ञान या हस्तरेखा शास्त्र की शुरुआत भारतीय, चीनी ज्योतिष और रोमा की भाग्य बताने वाली विद्या से हुई थी। भारत के खंडहरों से यह पता चलता है की उस समय भारत में हस्तरेखा विज्ञान बहुत लोकप्रिय था। हस्तरेखा विज्ञान का चीन में एक लंबा इतिहास रहा हैं। चीन में हस्तरेखा विज्ञान का पहला काम पश्चिमी हान राजवंश (206 ईसा पूर्व - 9AD) में दिखाई दिया था। इसे फिजियोलॉजी का हिस्सा माना जाता था। ज्योतिष शास्त्र में हस्त रेखा का बहुत बड़ा महत्व है। हस्तरेखा शास्त्र यानि हथेली का अध्ययन जिसमे मुख्य रूप से हथेली के आकार, रंग और रेखाओं के साथ-साथ उंगलियों की लंबाई का निरीक्षण किया जाता है। कुछ हस्त रेखा ज्योतिष उंगलियों के सर्पिल को भी पढ़ सकते हैं।
हस्त रेखा ज्ञान से अच्छे या बुरे भाग्य को निर्धारित करने, अपने जीवन के बारे में जानने में मदद करता है।ऐसा माना जाता है कि हस्तरेखा की सहायता से किसी व्यक्ति के भविष्य का अनुमान लगाया जा सकता है। हस्तरेखा ज्योतिष के द्वारा किसी व्यक्ति के हाथ के आकार, हथेली की लकीर आदि का अध्ययन करके उसके भविष्य की जानकारी का अनुमान लगाया जाता है।
अगर हम हस्तरेखा विद्या में हाथों के द्वारा जानकारी जाने की बात करें तो सवाल यह उठता है कि किस हाथ से जानकारी मिलती हैं। हस्तरेखा विज्ञान में, बायां हाथ जन्मजात जानकारी से संबंधित होता है और दाहिना हाथ जन्म के बाद की जानकारी से संबंधित होता है। हस्तरेखा विज्ञान में दाहिने हाथ को अनुमान लगाने में प्राथमिकता दी जाती हैं। दाईं हथेली का उपयोग 80% ज्ञान देता हैं और बाईं हथेली को अन्य 20% ज्ञान निर्धारित करता है। एक हस्तरेखा विद्यवान दाईं हथेली का मुख्य रूप से उपयोग करता है और फिर बाईं हथेली से रीडिंग के अनुसार जानकारी जोड़ता या घटाता है।

हस्त रेखा ज्योतिष विद्या से चार तरह का ज्ञान प्राप्त होता हैं -

1. जन्मजात स्थिति - इसमें पारिवारिक पृष्ठभूमि और उसके बारें में पता लगाया जाता हैं।
2. काम और जीवन शैली
- इसमें परिवार के लोगों, माता-पिता और सभी के साथ के सम्बन्ध का अनुमान लगाया जाता हैं। काम के क्षेत्र में सहकर्मियों के साथ संबंध और काम के वातावरण के बारें में पता लगाया जाता हैं।

3. शारीरिक स्थिति - इसके द्वारा किसी के स्वास्थ्य से सम्बंधित जानकारी दी जाती हैं।

4. भाग्य - हस्तरेखा का सबसे महत्वपूर्ण भाग होता है भाग्य के बारें में जानना और उसकी विशेषताएं बताना।

हाथ की हथेली में मुख्य लकीरें

हस्तरेखा में मुख्य लकीरों के रूप में जीवन रेखा, बुद्धि रेखा, प्रेम रेखा, भाग्य रेखा और विवाह रेखा है। इन मुख्य रेखाओं की सहायता से व्यक्ति के जीवन की कई तरह की जानकारियाँ प्राप्त होती है।
यहाँ पर इन रेखाओं के बारे में संक्षिप्त में बताया जा रहा है -
1. जीवन रेखा - इसको "पृथ्वी रेखा" भी कहा जाता है। यह वह रेखा है जो अंगूठे के चारों ओर फैली हुई होती है और यह किसी के स्वास्थ्य और शारीरिक जीवन शक्ति के बारें में दर्शाती है।
2. बुद्धि रेखा -  इसको "मानव रेखा" भी कहा जाता है, यह अंगूठे और तर्जनी के बीच से हथेली के दूसरी ओर तक फैली हुई होती है। आमतौर पर ऐसा लगता है कि यह रेखा हथेली को विभाजित कर रही होती है और यह किसी व्यक्ति की मानसिकता और व्यक्तित्व को दर्शाती है।
3. प्रेम रेखा - इसको "स्वर्ग रेखा" भी कहा जाता है। यह वह रेखा है जो छोटी उंगली के नीचे तर्जनी तक फैली हुई होती है।यह व्यक्ति के प्रेम जीवन और उसका प्रेम के प्रति दृष्टिकोण को दर्शाती है।
4. भाग्य रेखा - इसको "कैरियर लाइन" भी कहा जाता है। यह वह रेखा है जो कलाई से मध्यमा उंगली तक फैली हुई होती है। यह किसी के भाग्य और करियर के बारे में दर्शाती है।
5. विवाह रेखा - इसको प्रेम रेखा भी कहा जाता हैं। यह छोटी उंगली के बीच की फैलती हुई एक छोटी रेखा होती है। यह किसी के रोमांटिक संबंधों और विवाह के बारें में दर्शाता है।

हाथ की झुर्रिया - हर व्यक्ति के हाथ में तीन प्रकार की झुर्रियां होती हैं -
1. क्रॉस रिंकल - यह हथेली में दो छोटी रेखाओं का जंक्शन होता है यानि यहाँ पर दो छोटी रेखाओ का मिलान होता हैं। एक वयक्ति के हाथ में इन झुर्रियों को पढ़ना हथेली के विभिन्न भागों के साथ भिन्न होता है।
2. स्टार झुर्रियाँ - यह तीन या अधिक लाइनों का जंक्शन है यानि यहाँ पर तीन या अधिक छोटी रेखाओ का मिलान होता हैं। इसमें हर एक स्टार झुर्रियों का विशिष्ट अर्थ होता है जो इनकी स्थिति पर निर्भर करता हैं।
3. द्वीप झुर्रियाँ - इस तरह की झुर्रियां यानी द्वीप झुर्रियाँ तब बनती है जब पांच लाइनों का मिलान होता है या वो एक साथ दिखाई देती है। इसका सामान्य रूप से अर्थ बुरी दशा को दर्शाता है है और इसकी विशिष्ट जानकारी इस बात पर निर्भर करती है कि यह झुर्रियां किस रेखा पर बन रही है।

हाथ की हथेली में माइनर रेखाएं
हर व्यक्ति के हाथ में जीवन रेखा, बुद्धि रेखा, प्रेम रेखा, भाग्य रेखा और विवाह रेखा के अलावा भी कुछ रेखाएं होती हैं जिन्हे हम माइनर रेखाएं कहते हैं।
आइये जानते है कौनसी माइनर रेखाएं होती हैं -


सूर्य  रेखा - सूर्य रेखा हर व्यक्ति के हाथ में हो यह जरूरी नहीं। यह रेखा जीवन की सफलता का अनुमान लगाता है। अगर इस रेखा को कोई और रेखा काट जाती है तो यह बुरा समय, असफलता और बीमारी के समय को दर्शाता है।

ब्रेसलेट लाइन - यह रेखाएं किसी व्यक्ति की कलाई पर होती है जो स्वस्थ जीवन को दर्शाती है। एक ब्रेसलेट रेखा स्वास्थ्य को और दूसरी ब्रेसलेट रेखा एक अच्छी आर्थिक दशा को दर्शाता है। तीसरी ब्रेसलेट जीवन में मिलने वाली प्रतिष्ठा को दर्शाता है।

बच्चों की रेखाएं - यह व्यक्ति के जीवन में बच्चों का महत्व दिखती है और सबसे छोटी उंगली के नीचे वाली रेखाएं होती हैं। इन रेखाओं से बच्चे के स्वास्थ्य के बारें में भी पता लगाया जा सकता है।

वृहस्पति रेखा - हाथ की यह महत्वपूर्ण रेखा एक व्यक्ति के व्यवहार के बारें में बताती हैं।

स्वास्थ रेखा - इसको ‘लाइन ऑफ लीवर’ भी कहा जाता हैं और के नाम से भी जाना जाता है। यह रेखा एक व्यक्ति के नर्वस सिस्टम के बारे में बताती हैं।

सहज रेखा - यह रेखा एक व्यक्ति के हाथ में बहुत कम दिखाई देती है। इसको बहुत ध्यान से देखना पड़ता हैं और ये व्यक्ति के व्यवहार में संवेदनशीलता को दर्शाती हैं।

सिमियन रेखा - यह रेखा एक व्यक्ति के जिद्दी व्यवहार के बारें में बताती हूँ।

रिंग ऑफ सोलोमन - यह रेखा वृहस्पति रिंग के नाम से जानी जाती हैं। यह रेखा व्यक्ति के नेतृत्व के बारें में भी बात करती हैं।

रिंग ऑफ सैटर्न - यह रेखा व्यक्ति की गंभीर,नाखुश प्रवृत्ति को दर्शाता हैं।

रिंग ऑफ अपोलो - यह रेखा व्यक्ति के क्रिएटिव पार्ट को दर्शाती हैं।

Author: Raghav Kapoor – Vastu Consultant & Architectural Advisor

Raghav Kapoor, with 10+ years of expertise, blends traditional Vastu Shastra and modern architecture to create harmonious living and working spaces that enhance prosperity, balance, and overall well-being.