BY : Dr. Sandeep Ahuja – Ayurvedic Practitioner & Wellness Writer
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हमारे हिंदू धर्म में किसी शुभ चीज की शुरुआत करने के लिए एक अच्छा मुहूर्त देखा जाता है। मुहूर्त की उत्पत्ति शुभ योगों से ही होती है।कई सारे शुभ योग होते हैं जिनमें एक अमृत सिद्धि योग भी शामिल है। अमृत सिद्धि योग अत्यंत ही फलदायक योग होता है।
इसके नाम के ही अनुरूप यह हमें कई सारे फल प्रदान करता है इस योग में शुभ कार्यों को करने पर किसी भी विपत्ति का सामना करना नहीं पड़ता है और हमेशा कार्यों की पूर्ति होती है।
यही कारण है कि अमृत सिद्धि योग में किए गए कार्य हमेशा उच्च फल प्रदान करने वाले होते हैं| वार और नक्षत्र का शुभ तालमेल ही अमृत सिद्धियोग की उत्पत्ति करता है। अमृत सिद्धि योग तब और अधिक फलदाई बन जाता है जब किसी त्योहार में इसका योग बन रहा हो।
सिद्ध योग से विष योग
अमृत सिद्धि योग में अगर तिथियों का अशुभ मेल होता है तो यह अमृत योग से विष योग का रूप धारण कर लेता है। इस दौरान किए गए शुभ कार्यों में हमेशा अड़चन उत्पन्न होती है और भारी हानि भी होती है।
रविवार में सिद्धि योग
हस्त नक्षत्र और रविवार का सम्मेलन अमृत सिद्धि योग की उत्पत्ति करता है। अगर रविवार के दिन हस्त नक्षत्र नजर आता है तो यह दिन बहुत ही शुभ बन जाता है। और अगर इसी शुभ दिन में पंचमी तिथि आ जाती है तो यह विष योग बन जाता है।
सोमवार में सिद्धि योग
यदि, सोमवार के दिन मृगशिरा नक्षत्र का योग बनता है तो यह दिन अमृत सिद्धि योग में परिवर्तित हो जाता है। जबकि इसी दिन षष्ठी तिथि होने पर अमृत सिद्धि योग नष्ट होकर विष योग में परिवर्तित हो जाता है।
मंगलवार में अमृत सिद्ध योग
अश्विनी नक्षत्र और मंगलवार का दिन अमृत सिद्धि योग को जन्म देता है। अगर इस दिन और योग के मिलन के बीच सप्तमी तिथि आ जाती है तो यह योग विष योग बन जाता है।
बुद्धवार में अमृत सिद्धि योग
अनुराधा नक्षत्र और बुधवार के सम्मेलन से अमृत सिद्धि योग की उत्पत्ति हो जाती है। अगर इस शुभ दिन में अष्टमी तिथि आ जाती है तो यह दिन शुभ नहीं रह जाता और विष योग में परिवर्तित हो जाता है।
गुरुवार में अमृत सिद्धि योग
गुरुवार दिन के साथ साथ अगर पुष्प नक्षत्र होता है तो यह दिन बहुत ही शुभ बन जाता है। इस वार और नक्षत्र का मेल तभी तक शुभ रहता है जबतक नवमी तिथि इनके बीच नही आती।
शुक्रवार में अमृत सिद्धि योग
शुक्रवार में अमृत सिद्धि योग तभी उत्पन्न होता है जब इस दिन रेवती नक्षत्र हो अगर दशमी तिथि भी शुक्रवार के दिन होती है तो यह शुभ दिन विष योग में बदल जाता है।
शनिवार में अमृत सिद्धि योग शनिवार का दिन और रोहणी नक्षत्र मिलकर अमृत सिद्धि का योग करते हैं। लेकिन एकादशी तिथि होने पर यह योग भंग हो जाता है।
मंगलवार के दिन अगर अमृत सिद्धि योग पड़ता है तो इस दिन ग्रह प्रवेश नहीं करना चाहिए, बृहस्पतिवार के दिन इस योग का निर्माण होने पर शादी विवाह करना वर्जित है और शनिवार के दिन इस योग की उपस्थिति में शुभ यात्रा नहीं करना चाहिए| वरना यह खतरनाक हो सकता।
Author: Dr. Sandeep Ahuja – Ayurvedic Practitioner & Wellness Writer
Dr. Sandeep Ahuja, an Ayurvedic doctor with 14 years’ experience, blends holistic health, astrology, and Ayurveda, sharing wellness practices that restore mind-body balance and spiritual harmony.