आपकी कुंडली में शुभ और अशुभ दोनों तरह के योग पाये जाते हैं। जहाँ एक तरफ शुभ योग आपके सुख, समृद्धि, मान-सम्मान का कारण बनते हैं, वहीं दूसरी तरफ अशुभ योग आपके जीवन में चिंता, तनाव और परेशानियों को लेकर आते हैं। ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार जब दो ग्रहों के मध्य किसी तरह का संयोग बनता है तब जाकर किसी योग का निर्माण होता है। आइये जानते हैं ऐसे ही कुछ शुभ-अशुभ योगों के बारे में जो आपके जीवन को प्रभावित करते हैं।
अशुभ योग-
1) ग्रहण योग- यदि कुंडली के किसी भाव में चन्द्रमा के साथ राहू या केतु विराजमान है तो ग्रहण योग बनता है। यदि सूर्य भी इस स्थिति का भागीदार बन जाए तो व्यक्ति की मानसिक हालत बेहद खराब हो जाती है। उसके जीवन में स्थिरता पूरी तरह समाप्त हो जाती है। ऐसी स्थिति से बचने के लिए सूर्य और चंद्रमा की आराधना करनी चाहिए। सूर्य देव को नियमित रूप से जल चढ़ाने से भी ग्रहण योग का असर कम होता है।
2) केमद्रुम योग- बुरे योगों की श्रेणी में इसका नंबर सबसे पहले आता है। इसका निर्माण चंद्रमा के कारण होता है। आपकी कुंडली में जब चंद्रमा दूसरे या बारहवें भाव में हो और उसके आगे-पीछे कोई अपयश ग्रह न हो तो केमद्रुम योग बनता है। ऐसे लोगों को जीवनभर धन की कमी का सामना करना पड़ता है। इसके प्रभाव से बचने के लिए गणेश और महालक्ष्मी की आराधना करनी चाहिए।
3) चांडाल योग- जिसकी कुंडली में गुरु और राहू एक साथ आ जायें वहाँ गुरु चांडाल योग का निर्माण होता है। इसका प्रभाव मूलतः शिक्षा और धन पर पड़ता है। अगर आप इस योग के घेरे में फँस जायें तो आपको गुरूवार का व्रत करना लाभ देगा। इसके अलावा गुरूवार के दिन पीली दाल का दान भी दिया जा सकता है।
4) अल्पायु योग- जिस व्यक्ति की कुंडली में यह योग बैठ जाए उसके ऊपर हमेशा मौत मंडराती रहती है। अर्थात उसकी उम्र कम आंकी जाती है। जब आपकी कुंडली में चंद्रमा पाप ग्रहों से युक्त होकर छठें, आठवें या बाहरवें स्थान पर बैठा हो या फिर लग्नेश पर पाप ग्रहों की दृष्टी पड़ रही हो, ऐसी स्थिति में अल्पायु योग का निर्माण होता है। इस योग के प्रभाव से बचने के लिए व्यक्ति को महामृत्युंजय का जाप करना चाहिए।
5) षड़यंत्र योग- यदि कुंडली का लग्नेश आठवें घर में विराजमान हो और उसके साथ कोई भी शुभ ग्रह मौजूद न हो तो षड़यंत्र योग का निर्माण होता है। इस योग की चपेट में आये व्यक्ति को अपने ही सगे-संबंधी के रचे किसी षड़यंत्र का सामना करना पड़ता है। धोखे से उसकी संपत्ति आदि छीन ली जाती है। इस योग से बचने के लिए शिवजी की आराधना करें।
शुभ योग-
1) नृप योग- यदि आपकी कुंडली में तीन या उससे अधिक ग्रह उच्च स्थिति में हैं तो इस योग का निर्माण होता है। जिस जातक की कुंडली में यह योग बन जाए उसका जीवन धन्य हो जाता है। उसे कभी भी खराब आर्थिक स्थिति से नहीं गुज़ारना पड़ता है।
2) महालक्ष्मी योग- इस योग को धन और ऐश्वर्य का प्रदाता माना जाता है। महालक्ष्मी योग तब बनता है जब गुरुग्रह बृहस्पति एकादश भाव में बैठकर द्वितीय भाव पर दृष्टी डाल रहा हो। इसके जातक का जीवन सुख और समृद्धि से भरा रहता है।
3) सरस्वती योग- सरस्वती योग तब बनता है जब शुक्र, बृहस्पति और बुध ग्रह एक दूसरे के साथ हों या फिर केंद्र में विराजमान होकर युति या दृष्टी किसी भी प्रकार से एक दूसरे से सम्बन्ध बना रहे हों। जातक के ऊपर माँ सरस्वती का आशीर्वाद होता है। इसके जातक कला, संगीत, लेखन आदि के क्षेत्र में खूब नाम कमाते हैं। इसके अलावा शिक्षा के क्षेत्र में भी इन्हें सफलता मिलती है।
4) गजकेसरी योग- जब चंद्रमा और बृहस्पति एक साथ हों तब इस योग का निर्माण होता है। जिसकी कुंडली में यह योग होता है उस व्यक्ति को बहुत ही भाग्यशाली माना जाता है। उसे कभी भी जीवन में किसी चीज की कमी नहीं पड़ती है।
5) छत्र योग- जब किसी की कुंडली में दशवें भाव तब सभी ग्रह मौजूद होते हैं तब जाकर इस योग का निर्माण होता है। इस योग के जातक अपने जीवन में लगातार उन्नति करते हैं। इसके अलावा इन्हें हमेशा उच्च पद प्राप्त होता है।