October 22, 2020 Blog

दिवाली पर ऐसे करें लक्ष्मी-गणेश की पूजा, घर में आएगी सुख समृद्धि

BY : Neha Jain – Cultural & Festival Content Writer

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By: Starzspeak 
 

भारत में दिवाली का पर्व सबसे अहम पर्वों में से एक माना जाता है. जिसके लिए एक महीने पहले से ही सभी लोग तैयारियों में जुट जाते हैं और अपने अपने घरों की अच्छे से साफ सफाई शुरू कर देते हैं. दिवाली पर मां लक्ष्मी, सरस्वती और गणेश जी की पूजा की जाती है. इस खास दिन इन तीनों देवी-देवताओं की विशेष पूजा-अर्चना कर उनसे सुख-समृद्धि, बुद्धि तथा घर में शांति, तरक्की का वरदान मांगा जाता है.


दिवाली पर देवी-देवताओं की पूजा में कुछ विशेष बातों का ध्यान रखा जाता है जो निम्न प्रकार हैं-

दिवाली की पूजा के लिए पूजन सामग्री

दीवाली की पूजा के सामान की लगभग सभी चीजें घर में ही मिल जाती हैं. कुछ अतिरिक्त चीजों को बाहर से लाया जा सकता है. ये वस्तुएं हैं- लक्ष्मी, सरस्वती और गणेश जी का चित्र या प्रतिमा, रोली, कुमकुम, चावल, पान, सुपारी, लौंग,इलायची, धूप, कपूर, अगरबत्तियां, मिट्टी तथा तांबे के दीपक, रुई, कलावा (मौलि), नारियल, शहद, दही, गंगाजल, गुड़, धनिया, फल, फूल, जौ, गेहूँ, दूर्वा, चंदन, सिंदूर, घृत, पंचामृत, दूध, मेवे, खील, बताशे, गंगाजल, यज्ञोपवीत (जनेऊ), श्वेत वस्त्र, इत्र, चौकी, कलश, कमल गट्टे की माला, शंख, आसन, थाली, चांदी का सिक्का, देवताओं के प्रसाद हेतु मिष्ठान्न (बिना वर्क का).

 

दिवाली की पूजा विधि 

दिवाली की पूजा में सबसे पहले एक चौकी पर सफेद वस्त्र बिछा कर उस पर मां लक्ष्मी, सरस्वती और गणेश जी का चित्र या प्रतिमा को विराजमान करें. इसके बाद हाथ में पूजा के जलपात्र से थोड़ा-सा जल लेकर उसे प्रतिमा के ऊपर निम्न मंत्र पढ़ते हुए छिड़कें. बाद में इसी तरह से स्वयं को तथा अपने पूजा के आसन को भी इसी तरह जल छिड़क कर पवित्र कर लें.

ऊँ अपवित्र: पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोपि वा। य: स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स: वाह्याभंतर: शुचि:।।
इसके बाद मां पृथ्वी को प्रणाम करके निम्न मंत्र बोलें तथा उनसे क्षमा प्रार्थना करते हुए अपने आसन पर विराजमान हों

पृथ्विति मंत्रस्य मेरुपृष्ठः ग ऋषिः सुतलं छन्दः कूर्मोदेवता आसने विनियोगः॥ ॐ पृथ्वी त्वया धृता लोका देवि त्वं विष्णुना धृता। त्वं च धारय मां देवि पवित्रं कुरु चासनम्‌॥ पृथिव्यै नमः आधारशक्तये नमः

इसके बाद "ॐ केशवाय नमः, ॐ नारायणाय नमः, ॐ माधवाय नमः" कहते हुए गंगाजल का आचमन करें

ध्यान और संकल्प विधि

इस पूरी प्रक्रिया के बाद मन को शांत कर आंखें बंद करें तथा मां को मन ही मन प्रणाम करें. इसके बाद हाथ में जल लेकर पूजा का संकल्प करें. संकल्प के लिए हाथ में अक्षत (चावल), पुष्प और जल ले लीजिए. साथ में एक रूपए (या यथासंभव धन) का सिक्का भी ले लें. इन सब को हाथ में लेकर संकल्प करें कि मैं अमुक व्यक्ति अमुक स्थान व समय पर मां लक्ष्मी, सरस्वती तथा गणेशजी की पूजा करने जा रहा हूं, जिससे मुझे शास्त्रोक्त फल प्राप्त हों.

इसके बाद सबसे पहले भगवान गणेशजी व गौरी का पूजन कीजिए. तत्पश्चात कलश पूजन करें फिर नवग्रहों का पूजन कीजिए. हाथ में अक्षत और पुष्प ले लीजिए और नवग्रह स्तोत्र बोलिए. इसके बाद भगवती मातृकाओं का पूजन किया जाता है. इन सभी के पूजन के बाद 16 मातृकाओं को गंध, अक्षत व पुष्प प्रदान करते हुए पूजन करें. पूरी प्रक्रिया मौलि लेकर गणपति, माता लक्ष्मी व सरस्वती को अर्पण कर और स्वयं के हाथ पर भी बंधवा लें. अब सभी देवी-देवताओं के तिलक लगाकर स्वयं को भी तिलक लगाएं.

 

इसके बाद मां महालक्ष्मी की पूजा आरंभ करें. मां को रिझाने के लिए करें श्रीसूक्त, लक्ष्मीसूक्त व कनकधारा स्रोत का पाठ. सबसे पहले भगवान गणेशजी, लक्ष्मीजी का पूजन करें. उनकी प्रतिमा के आगे 7, 11 अथवा 21 दीपक जलाएं तथा मां को श्रृंगार सामग्री अर्पण करें. मां को भोग लगा कर उनकी आरती करें. श्रीसूक्त, लक्ष्मीसूक्त व कनकधारा स्रोत का पाठ करें. इस तरह से आपकी पूजा पूर्ण होती है.

 

क्षमा-प्रार्थना करें

 

पूजा पूर्ण होने के बाद मां से जाने-अनजाने हुए सभी भूलों के लिए क्षमा-प्रार्थना करें. उन्हें कहें- मां न मैं आह्वान करना जानता हूँ, न विसर्जन करना. पूजा-कर्म भी मैं नहीं जानता. हे परमेश्वरि! मुझे क्षमा करो. मन्त्र, क्रिया और भक्ति से रहित जो कुछ पूजा मैंने की है, हे देवि! वह मेरी पूजा सम्पूर्ण हो. यथा-सम्भव प्राप्त उपचार-वस्तुओं से मैंने जो यह पूजन किया है, उससे आप भगवती श्रीलक्ष्मी प्रसन्न हों.
Author: Neha Jain – Cultural & Festival Content Writer

Neha Jain is a festival writer with 7+ years’ experience explaining Indian rituals, traditions, and their cultural meaning, making complex customs accessible and engaging for today’s modern readers.