हर व्यक्ति की इच्छा होती है की वह अपने भविष्य के बारे में जाने । यह हस्त रेखा विज्ञानं, फेस रीडिंग, समुद्ता शास्त्र तथा ज्योतिष शास्त्र के माध्यम से जाना जा सकता है । आजकल ज्योतिष शास्त्र ज़्यादा प्रचलन में है । ज्योतिष शास्त्र में कुंडली में स्थित ग्रहो की स्थिति के अनुसार, गृह उच्चा का है, राजयोग कारक है इत्यादि देखकर आकलन करते है । कभी - कभी ग्रहो की स्थिति बहुत अच्छी होती है लेकिन व्यक्ति के जीवन में बहुत अच्छी स्थितियाँ नहीं होती, इसका कारण है की हमे उन ग्रहो की दशा प्राप्त नहीं होगी।
दशा का हमारी कुंडली में बहुत महत्व होता है, यदि कुंडली कमजोर हो लेकिन अच्छे ग्रह की दिशा मिल जाए तो वह व्यक्ति को ऊंचाइयों पर पंहुचा सकती है ।
भारतीय ज्योतिष शास्त्र में मनुष्य की आयु को 120 वर्षा का मानकर उसके ग्रहो में बाटा गया है । क्रम से हर ग्रह की दिशा आती है जैसी सूर्य की 6 वर्ष, चन्दर की 10 वर्ष, मंगल की 7 वर्ष, बुध की 17 वर्ष, गुरु 16, शुक्र 20, शनि 19, राहु 18, केतु 7 ।
कहावत है की जिसकी दशा बदल जाती है उसकी दिशा बदल जाती है, दशाएं व्यक्ति को अगर ऊंचे मुकाम पर ले जाती है तो ख़राब ग्रह की दशा उसे नीचे ले जाती है । हमे कुंडली का आकलन करके जान लेना चाहिए की कौन सा ग्रह हमारे लिए शुभ है और कौन सा ग्रह अशुभ । यदि अशुभ ग्रह की दशा चल रही हो तो हमे उससे सम्बन्धी उपाय करने चाहिए ताकि उस ग्रह के अशिष्ट प्रभाव कम हो जाए ।
Dr. Sandeep Ahuja, an Ayurvedic doctor with 14 years’ experience, blends holistic health, astrology, and Ayurveda, sharing wellness practices that restore mind-body balance and spiritual harmony.