हिन्दू धर्म में अनेको देवी देवताओ को पूजा जाता हैं। हर इंसान अपने अपने इष्ट देव और देवी देवता की पूजा करता है। पूजा करने का तरीका भी सबका अपना अलग अलग होता है लेकिन मुख्य तौर पर हर इंसान पूजा की सामग्री में फूलो का प्रयोग जरूर करता हैं। पूजा में सुगन्धित फूलो को देवी देवता पर चढ़ा कर हम लोग देवी देवताओ को खुश करने की कोशिश करते हैं। लेकिन क्या आप जानते है की शिव की पूजा के दौरान कभी भी केतकी का फूल जिससे केवड़ा भी कहा जाता है उसका प्रयोग नहीं किया जाता हैं। चलिए आपको बताते है इसके पीछे की कहानी की क्यों शिव पूजा में केतकी के फूल का प्रयोग वंचित माना जाता हैं।
इसके पीछे की कहानी कुछ इस प्रकार हैं। एक बार ब्रह्मा जी और विष्णु जी के बीच में विवाद हो गया की आखिर उन दोनों में से श्रेष्ठ कौन हैं। दोनों ही अपने आप को श्रेष्ठ मान रहे थे। ब्रह्मा जी का कहना था की वह सृष्टि के रचियता है इसलिए वह श्रेष्ठ है वही विष्णु जी का कहना था की वह पूरी सृष्टि का पालन करता है इसलिए वह ब्रह्मा जी से ज्यादा श्रेष्ठ होने का दवा कर रहे थे। दोनों में विवाद चल ही रहा था की तभी वहा पर एक विशाल ज्योतिर्मय लिंग प्रकट हुआ। अब दोनों देवताओ ने यह फैसला किया की जो भी उस लिंग के छोर का पहले पता लगा लेगा वह ही उन दोनों में से बेहतर और श्रेष्ठ कहलायेगा।
इसके बाद दोनों ही विपरीत दिशा में निकल गए लिंग के छोर को ढूंढ़ने के लिए। जब विष्णु जी को छोर नहीं मिला तो वह वापिस लौट आये। ब्रह्मा जी को भी छोर नहीं मिला लेकिन उन्होंने वापिस आकर विष्णु जी को कहा की वह छोर तक पहुंच गए थे और उन्होंने एक केतकी के फूल को इस बात का साक्षी बताया। केतकी के फूल ने भी ब्रह्मा जी के झूठ में उनका साथ दिया और उनकी हां में हां मिलायी। ब्रह्मा जी का झूठ सुनकर स्वयं भगवान शिव वहा प्रकट हो गए और उन्होंने आके ब्रह्मा जी के झूठ बोलने पर उनकी निंदा की।
भगवन शिव ने दोनों देवताओ को बताया की मैं ही सृष्टि का कारण और स्वामी हूँ। मैंने ही तुम दोनों को उत्पन्न किया हैं। साथ साथ शिव ने केतकी के फूल को कहा की उसने झूठ का साथ दिया है इसलिए उससे दंड देते हुए शिव भगवन ने कहा की आज से शिव की पूजा में कभी भी केतकी के फूल का प्रयोग नहीं किया जाएगा। और तबसे शिव की पूजा में कभी भी केतकी का फूल नहीं चढ़ाया जाता हैं।
Dr. Sandeep Ahuja, an Ayurvedic doctor with 14 years’ experience, blends holistic health, astrology, and Ayurveda, sharing wellness practices that restore mind-body balance and spiritual harmony.