किसी भी व्यक्ति के लिए आँखों का बहुत महत्व होता है, अंधापन मनुष्य के जीवन में अभिशाप है । बिना आँखों के जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती लेकिन कभी - कभी व्यक्ति अपने पूर्व जन्मों के कर्मो के कारण अंधापन लेकर पैदा होता है ।
कुंडली में दूसरा भाव दायी आँख तथा बारहवा भाव बायी आँख का कारक है, यदि कुंडली में बारहवे भाव में सूर्य, चंद्र, मंगल, राहु तथा केतु बहुत कमजोर हो तो व्यक्ति को नेत्र से सम्बन्धी बीमारी होती है ।
यदि मिथुन लग्न की कुंडली में सूर्य, बुध, शुक्र व चंद्र छटे भाव में स्थित हो तथा केतु दशम भाव में स्थित हो तो केतु की नवम दृष्टि इन ग्रहों पर पड़ती है, ऐसा जातक अँधा होता है । इसी प्रकार मिथुन लग्न में दूसरे भाव में कर्क राशि में मंगल स्थित हो जो नीच का है तो यह आँखों के लिए बहुत ही अशुभ है ।
यदि शुक्र बारहवे भाव में स्थित हो तथा उसके साथ अशुभ ग्रहों की युति हो तो व्यक्ति के नेत्र बहुत ही छोटे - छोटे होते है और दृष्टि भी बहुत कम होती है, इसी प्रकार यदि कुंडली में चंद्र बहुत ही अधिक कमजोर हो तथा उसपर शुक्र व शनि की दृष्टि हो तो व्यक्ति के नेत्र छोटे तथा दृष्टि भी बहुत कम होती है ।
यदि कुंडली में राहु, केतु अशुभ हो तो वह नेत्रों में विरूपता प्रदान करते है तथा मंगल अत्यधिक पाप प्रभाव में हो तो वह नेत्रों में वक्रता देता है ।