हर व्यक्ति रात्रि में स्वप्न देखता है, स्वप्न दो प्रकार के होते है; दैवीय स्वप्न और दूसरा बीमारी की वजह से, शरीर में वात पित कफ का संतुलन बिगड़ने से, चिंता तथा तनाव से तथा हमारे अवचेतन मन में जो विचार आते है वह रात्रि में स्वप्न के रूप में दिखते है ।
जो स्वप्न दैवीय होते है वहीं सत्य होते है बाकि स्वप्नों का कोई महत्व नहीं होता । स्वप्नों का फल पहर, तिथि के अनुसार अलग - अलग होता है । जो स्वप्न रात्रि के प्रथम पहर में देखे जाते है ।उनका फल हमे एक वर्ष के अंदर मिल जाता है, दूसरे पहर में देखे गए स्वप्न का फल आठ महीने में मिलता है और तीसरे पहर का तीन महीने और चौथे पहर का फल एक महीने में प्राप्त हो जाता है ।
ब्रह्म मुहूर्र्त में देखा गया स्वप्न 10 दिन में फल देता है तथा सूर्योदय से पूर्व देखा गया स्वप्न बहुत ही शीघ्र शुभ या अशुभ फल देता है ।
जो स्वप्न शुक्ल पक्ष की प्रतिप्रदा को देखा गया हो उसका फल विलम्ब से मिलता है, द्वितीय को देखने पर विपरीत फल यानि यदि स्वप्न अपने लिए देखा गया हो तो दुसरे को फल देता है और यदि दूसरे के लिए देखा हो तो अपने को फल देता है । वह फल शुभ या शुभ कोई भी हो सकता है ।
तृतीया को भी विपरीत फल या विलम्ब से फल मिलता है, चतुर्थी व पंचमी को फल दो महीने से लेकर दो वर्ष के बीच में मिलता है । षष्ठी, सप्तमी, अष्टमी, नवमी व दशमी तिथि को फल की प्राप्ति बहुत शीघ्र होती है तथा वह स्वप्न एकदम सत्य होता है ।
Dr. Sandeep Ahuja, an Ayurvedic doctor with 14 years’ experience, blends holistic health, astrology, and Ayurveda, sharing wellness practices that restore mind-body balance and spiritual harmony.