August 5, 2025 Blog

Sab Kuch Tero Sarkar Mera To Kuch Bhi Nahi lyrics

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"सब कुछ तेरो सरकार, मेरा तो कुछ भी नहीं" एक ऐसा भक्ति गीत है, जो समर्पण, विनम्रता और ईश्वर के प्रति पूर्ण आत्मनिवेदन की भावना को दर्शाता है। यह गीत भक्त के उस भाव को प्रकट करता है, जहां वह अपने अस्तित्व, अपने धन, अपनी शक्ति, यहां तक कि अपनी पहचान को भी प्रभु की कृपा मानता है।

इस गीत की रचना किसने की?

इस गीत (Sab Kuch Tero Sarkar Mera To Kuch Bhi Nahi) को लेकर कई लोगों का मानना है कि यह संत तुलसीदास की रचनाओं से प्रेरित है, हालांकि "सब कुछ तेरो सरकार" गीत के मूल लेखक के बारे में स्पष्ट जानकारी सार्वजनिक रूप से उपलब्ध नहीं है। यह भजन वर्षों से भारत के संतों, कीर्तनकारों और भजन गायकों द्वारा गाया जाता रहा है, खासकर वृंदावन और मथुरा की भजन परंपरा में यह गीत काफी लोकप्रिय है।


सब कुछ तेरो सरकार, मेरा तो कुछ भी नहीं गीत के बोल

Sab Kuch Tero Sarkar Mera To Kuch Bhi Nahi Lyrics

मेरी गाड़ी मेरा बंगला मेरा पैसा सब तेरा,
सब कुछ तेरो सरकार मेरो तो कुछ भी नहीं,
सब तेरो सांवरिया सेठ मेरा तो कुछ भी नहीं,
मेरा तो कुछ भी नहीं।

ये पलोट रोकड़ नोट सांवरिया का है सपोर्ट,
मेरे बिजनेस में तेरा हाथ मेरा तो कुछ भी नहीं,
मैं तो पुतला हूं सांवरिया सेठ,
चाबी तेरे हाथ में रखी,

मेरी शॉप चले टॉप बिजनेस दिया तुझे सौंप,
मैं तो चाकर हूं तेरो रे सांवरिया,
मैं तो दर का हूं तेरा रे भिखारी,
मेरा तो कुछ भी नहीं।

मेरा सोना मेरी चांदी दुनिया तो है दीवानी,
खाली हाथ आए सरकार, मेरा तो कुछ भी नहीं,
सब तेरो सांवरिया सेठ मेरा तो कुछ भी नहीं,
मेरा तो कुछ भी नहीं।

मेरे बच्चे तेरे पर्चे तू उठावें घर खर्चे,
मै तो बालक हूं तेरा अंजान, मेरा तो कुछ भी नहीं,
सब तेरी कृपा है सेठ मेरा तो कुछ भी नहीं।

मेरा खेत मेरा लसन मेरा अमल मेरा कमल,
सब कुछ तेरो सरकार मेरो तो कुछ भी नहीं,
सब तेरो सांवरिया सेठ मेरा तो कुछ भी नहीं,

मेरा मन मेरा धन मेरा तन अर्पण,
सब कुछ तेरो सरकार मेरो तो कुछ भी नहीं,
सब तेरो सांवरिया सेठ मेरा तो कुछ भी नहीं ।

मारुतिनंदन गौशाला तू है गाय का गोपाला,
ये भी तो तू जाणे और तेरो काम, मेरा तो कुछ भी नहीं,
सब गायों का रखे ध्यान मैं तो कुछ जाणू नहीं,
मेरा गाने तू चलाते इंस्टा फेसबुक पे छाते,
ये भी तेरे है सांवरिया सेठ मेरा तो कुछ भी नहीं,

मेरे डीजे पे तेरा नाम वो भी मेरा नहीं,
ये स्टूडियो तेरा बोस जाए फायदा तो
या लॉस गोकुल केवे है सच्ची बात,
मेरा तो कुछ भी नहीं,

सब सेठों के तुम सरताज,
मंडफिया सा और नहीं।

मेरी गाड़ी मेरा बंगला मेरा पैसा सब तेरा,
सब कुछ तेरो सरकार मेरो तो कुछ भी नहीं,
सब तेरो सांवरिया सेठ मेरा तो कुछ भी नहीं।

sab kuch tero sarkar mera to kuch bhi nahi

गीत का भावार्थ और आध्यात्मिक संदेश

"सब कुछ तेरो सरकार" का शाब्दिक अर्थ है: "हे प्रभु, जो कुछ भी है, वह आपका है; मेरा कुछ भी नहीं है।"

यह भाव अत्यंत गहन और विनम्रता से भरा हुआ है। इसमें एक साधक यह स्वीकार करता है कि जीवन में जो भी है — तन, मन, धन, यश, प्रतिष्ठा, ज्ञान, अधिकार — वह सब ईश्वर की कृपा का ही परिणाम है। यह गीत अहंकार का विसर्जन है, जहां भक्त खुद को पूरी तरह भगवान के चरणों में समर्पित कर देता है।


क्यों है यह गीत इतना प्रिय?

  • यह भजन श्रोता के हृदय में विनम्रता, कृतज्ञता और श्रद्धा को जाग्रत करता है।

  • इसे गाते या सुनते समय एक आत्मिक शांति और संतोष का अनुभव होता है।

  • यह गीत हमें अहंकार से दूर रखकर जीवन की सच्ची आध्यात्मिक दिशा की ओर ले जाता है।

यह गीत कब गाया जाता है?

यह भजन अक्सर सुबह-सुबह कीर्तन, सत्संग या मंदिरों में आरती के समय गाया जाता है। कई भक्तजन इसे अपनी नित्य भक्ति साधना का हिस्सा बनाते हैं, खासकर जब वे जीवन में कठिनाई, भ्रम या अहंकार से घिरे होते हैं।


निष्कर्ष:

"सब कुछ तेरो सरकार" (Sab Kuch Tero Sarkar Mera To Kuch Bhi Nahi) सिर्फ एक भजन नहीं, बल्कि आत्मसमर्पण और भक्तिभाव का जीवंत प्रतीक है। यह हमें याद दिलाता है कि हम ईश्वर की कृपा से ही सब कुछ पा सकते हैं, और जब तक हम उस असीम शक्ति के आगे झुकते नहीं, तब तक असली शांति और सच्चा ज्ञान नहीं मिल सकता।

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