April 30, 2025 Blog

Aja Ekadashi 2025: कब रखा जायेगा अजा एकादशी का व्रत, जानिए इसकी पूजा विधि एवं महत्त्व

BY : STARZSPEAK

Aja Ekadashi 2025: हिंदी पंचांग के अनुसार साल भर में कुल 24 एकादशियां आती हैं, और ये सभी भगवान विष्णु को समर्पित मानी जाती हैं। इनमें से भाद्रपद महीने के कृष्ण पक्ष की एकादशी को अजा एकादशी कहा जाता है। इस दिन व्रत रखने और श्रद्धा से भगवान विष्णु की पूजा करने से जीवन में सुख-शांति आती है, पाप नष्ट होते है और मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

अजा एकादशी (Aja Ekadashi 2025) को अन्नदा एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। इस शुभ दिन भगवान विष्णु के साथ-साथ माता लक्ष्मी की आराधना करना अत्यंत लाभकारी माना जाता है। जो भी भक्त इस दिन उपवास रखते हैं और विधिपूर्वक पूजा-अर्चना के साथ व्रत कथा का श्रवण या पाठ करते हैं, उनके जीवन से दुखों का नाश होता है और सभी पाप कट जाते हैं।  इतना ही नहीं, अजा एकादशी की कथा सुनने से भी अश्वमेध यज्ञ के बराबर पुण्य मिलता है।

अजा एकादशी 2025: तिथि और शुभ मुहूर्त (Aja Ekadashi 2025 Date & Muhurat)

भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को अजा एकादशी के रूप में मनाया जाता है। इस वर्ष अजा एकादशी का व्रत दिन मंगलवार, 19 अगस्त 2025 को रखा जाएगा। ग्रंथों में अजा एकादशी व्रत को बहुत ही फलदायी और पुण्य देने वाली माना गया है। मान्यता है कि इस दिन श्रद्धा और नियमपूर्वक भगवान विष्णु की पूजा करने से न केवल श्रीहरि की कृपा प्राप्त होती है, बल्कि माता लक्ष्मी का आशीर्वाद भी मिलता है।

व्रत से जुड़ी प्रमुख जानकारियाँ :

अजा एकादशी व्रत (Aja Ekadashi vrat) से जुड़ी कुछ प्रमुख जानकारियाँ इस प्रकार हैं: इस बार व्रत मंगलवार, 19 अगस्त 2025 को रखा जाएगा। एकादशी तिथि की शुरुआत 18 अगस्त को शाम 5:22 बजे से होगी और यह 19 अगस्त को दोपहर 3:32 बजे तक रहेगी। व्रत का पारण, यानी व्रत खोलने का समय, अगले दिन बुधवार, 20 अगस्त को सुबह 6:18 बजे से 8:52 बजे के बीच निर्धारित है। इन शुभ समयों का पालन करके व्रत करने से पूर्ण फल की प्राप्ति होती है।

इस दिन उपवास के साथ भगवान श्रीहरि विष्णु का पूजन और कथा-श्रवण करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।

अजा एकादशी व्रत कथा (Aja Ekadashi Vrat Katha)

राजा हरिश्चंद्र, जो अपनी सत्यनिष्ठा के लिए प्रसिद्ध थे, एक बार ऋषि विश्वामित्र की परीक्षा में अपने पूरे राज्य को दान कर काशी चले गए। वहां उन्होंने अपने परिवार की भलाई के लिए खुद को और पत्नी-पुत्र को बेच दिया। वर्षों तक कठिन जीवन जीने के बाद ऋषि गौतम की सलाह पर उन्होंने अजा एकादशी का व्रत रखा। व्रत के प्रभाव से उनके सभी पाप नष्ट हो गए, मृत पुत्र जीवित हो उठा और पत्नी को राजसी रूप मिला। अंततः राजा अपने परिवार सहित स्वर्गलोक को प्राप्त हुए।

सीख: अजा एकादशी का व्रत श्रद्धा से करने पर समस्त पापों से मुक्ति और ईश्वर की कृपा प्राप्त होती है।


अजा एकादशी व्रत और पूजा विधि (Aja Ekadashi Vrat & Puja Vidhi)

अजा एकादशी का व्रत दशमी तिथि की शाम से ही शुरू हो जाता है। इस दिन व्रती को संयम रखकर एकादशी की सुबह संकल्प लेना चाहिए।

  • प्रातः ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नान आदि करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।

  • पूर्व दिशा की ओर एक चौकी पर पीला कपड़ा बिछाकर भगवान विष्णु की तस्वीर या मूर्ति स्थापित करें।

  • पास में मिट्टी का कलश रखें और दीप व धूप जलाएं।

  • श्रीहरि को फल, फूल, पान, सुपारी, नारियल, लौंग आदि समर्पित करें।

  • "ॐ अच्युताय नमः" मंत्र का 108 बार जाप करें।

  • दिनभर उपवास रखें और शाम को विष्णु जी के सामने गाय के घी का दीपक जलाकर पूजा करें।

  • पूजा के बाद अजा एकादशी व्रत की कथा अवश्य सुनें या पढ़ें।

  • इसके पश्चात फलाहार करें।

  • द्वादशी के दिन सुबह ब्राह्मणों को भोजन कराएं, दक्षिणा दें और फिर स्वयं भोजन ग्रहण करें।

इस तरह श्रद्धा और नियमपूर्वक किया गया अजा एकादशी व्रत शुभ फल और पापों से मुक्ति दिलाने वाला माना जाता है।

अजा एकादशी पारण विधि (Aja Ekadashi Paran Vidhi)

व्रत का समापन करना ही पारण कहलाता है। इसे सही समय पर करना बेहद जरूरी होता है।

  • पारण द्वादशी तिथि के भीतर ही कर लेना चाहिए, वरना यह नियमभंग माना जाता है।

  • व्रत तोड़ने से पहले “हरि वासरा” का अंत होना जरूरी है, क्योंकि इस दौरान पारण करना वर्जित होता है।

  • पारण के लिए सबसे उपयुक्त समय सुबह का होता है।

  • यदि किसी वजह से सुबह व्रत नहीं तोड़ पाएं, तो दोपहर के बाद ही पारण करें — लेकिन मध्याह्न में इसे टालना चाहिए।

सही समय पर और विधिपूर्वक पारण करने से व्रत का पूरा फल प्राप्त होता है।


अजा एकादशी व्रत के सरल और प्रभावी उपाय (Aja Ekadashi Remedies)

  1. आर्थिक समस्याओं से छुटकारा:
    अजा एकादशी के दिन भगवान विष्णु के मंदिर जाएं और एक पान के पत्ते पर "ॐ विष्णवे नमः" लिखकर भगवान को अर्पित करें। फिर इसे विधिवत पूजा के बाद अपनी तिजोरी में रख दें। मान्यता है कि इससे धन से जुड़ी परेशानियां दूर होती हैं। साथ ही, इस दिन किसी ज़रूरतमंद को अन्न और वस्त्र का दान करना भी शुभ माना गया है।

  2. भौतिक सुखों की प्राप्ति के लिए:
    भगवान विष्णु की पूजा में तुलसी के पत्ते अवश्य चढ़ाएं। ध्यान रखें, तुलसी के पत्ते एक दिन पहले ही तोड़ लें। विष्णु जी के साथ माता लक्ष्मी की भी पूजा करें — इस प्रकार पूजा करने से घर में सुख-शांति बनी रहती है।

  3. संतान सुख के लिए:
    यदि संतान से जुड़ी कोई परेशानी हो, तो अजा एकादशी (Aja Ekadashi) की सुबह स्नान कर पीले वस्त्र धारण करें। भगवान विष्णु को पीले फूलों की माला अर्पित करें और उनकी पूजा करें। पूजा के दौरान विष्णु मंत्र का जाप करें और संतान सुख की कामना करें। इससे सकारात्मक परिणाम मिलने की संभावना होती है।

  4. मनचाही नौकरी या तरक्की के लिए:
    इस दिन विष्णु जी की पूजा करते समय एक सिक्के पर रोली, अक्षत और फूल अर्पित करें। फिर इस सिक्के को लाल कपड़े में बांधकर अपने घर या ऑफिस में रखें। इससे करियर में उन्नति के योग बनते हैं और इच्छित कार्य में सफलता मिलने की संभावना बढ़ती है।


अजा एकादशी व्रत – निष्कर्ष 

अजा एकादशी (Aja Ekadashi 2025) केवल एक धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि आत्मिक शुद्धि, पुण्य अर्जन और जीवन में खुशहाली व समृद्धि प्राप्त करने का एक शुभ अवसर भी है। इस व्रत के माध्यम से व्यक्ति अपने पापों का प्रायश्चित कर सकता है और ईश्वर की कृपा प्राप्त कर सकता है। भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा, उपवास, रात्रि जागरण और व्रत कथा श्रवण से मन को शांति मिलती है और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

जो श्रद्धा और नियम से अजा एकादशी का पालन करता है, उसे न केवल धर्मलाभ मिलता है, बल्कि उसके जीवन की कई समस्याएं भी दूर होने लगती हैं। यह एकादशी हमें सत्कर्म, संयम और विश्वास का मार्ग दिखाती है।