Nag Panchami 2025: नाग पंचमी का पर्व नाग देवता को समर्पित है और इसे पूरे भारत में श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया जाता है। इस दिन नागों की पूजा और व्रत करने की परंपरा है। धार्मिक दृष्टि से सावन का महीना बेहद पवित्र माना जाता है, जो भगवान शिव को प्रिय है। इसी महीने में कई महत्वपूर्ण व्रत और त्योहार आते हैं, जिनमें से एक नाग पंचमी भी है।
हिंदू पंचांग के अनुसार, श्रावण माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को नाग पंचमी (Nag Panchami 2025) का पर्व मनाया जाता है। इस दिन विशेष रूप से नाग देवता की पूजा की जाती है। मान्यता है कि सावन में वर्षा के कारण नाग जमीन के भीतर से बाहर आ जाते हैं, इसलिए उनकी पूजा कर उन्हें प्रसन्न किया जाता है, ताकि वे किसी को हानि न पहुंचाएं। यह पर्व सांपों के प्रति सम्मान और प्रकृति के साथ संतुलन बनाए रखने का भी प्रतीक है।
नाग पंचमी का पर्व हर साल सावन माह में श्रद्धा और आस्था के साथ मनाया जाता है। यह त्योहार सावन के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को पड़ता है, जो आमतौर पर जुलाई या अगस्त के महीने में आती है। इस दिन विशेष रूप से महिलाएं नाग देवता की पूजा करती हैं और सर्पों को दूध अर्पित करती हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, श्रावण मास की पंचमी तिथि नाग देवताओं की आराधना के लिए बेहद शुभ मानी जाती है।
साल 2025 में सावन माह की शुरुआत 11 जुलाई से होगी और यह 9 अगस्त को समाप्त होगा। आइए जानते हैं कि नाग पंचमी 2025 (Nag Panchami 2025 date) में किस दिन मनाई जाएगी।
साल 2025 में नाग पंचमी का पर्व 29 जुलाई, मंगलवार को मनाया जाएगा। इस दिन पूजा के लिए शुभ मुहूर्त सुबह 5:41 से 8:23 तक रहेगा, यानी कुल 2 घंटे 43 मिनट का समय पूजा-अर्चना के लिए उपलब्ध होगा। इस पावन अवसर पर शिव योग और सिद्ध योग का संयोग रहेगा, जो इसे और भी शुभ और फलदायी बना देगा।
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नाग पंचमी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और पवित्र भाव से भगवान शिव का ध्यान करें। इसके बाद व्रत और पूजा का संकल्प लें।
यह पूजा नाग देवता का आशीर्वाद पाने और उनके प्रति श्रद्धा व्यक्त करने के लिए की जाती है।
श्रावण शुक्ल पंचमी के दिन पूरे भारत में नाग पंचमी का पर्व (Nag Panchami 2025) श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है। इस दिन विशेष रूप से नाग देवता की पूजा की जाती है, क्योंकि शास्त्रों के अनुसार पंचमी तिथि के स्वामी स्वयं नागदेव हैं। इस तिथि पर नागों की आराधना करने से धन, मनोवांछित फल और शक्ति की प्राप्ति होती है।
नाग पंचमी को नागों को प्रसन्न करने का सर्वोत्तम अवसर माना गया है। इस दिन नाग-नागिन के जोड़े को गाय के दूध से स्नान कराने और विधिपूर्वक पूजन करने की परंपरा है। ऐसा करने से व्यक्ति को सर्प भय से मुक्ति और पुण्य की प्राप्ति होती है।
नाग पंचमी (Nag Panchami 2025) के दिन विशेष रूप से आठ प्रमुख नाग देवताओं (अष्टनाग) की पूजा का विधान है, जिनके नाम इस प्रकार हैं:
इन अष्टनागों की पूजा से जीवन में सुख, समृद्धि और सुरक्षा का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
पौराणिक कथाओं के अनुसार, मां लक्ष्मी की रक्षा स्वयं नाग देवता करते हैं। इसके अलावा, नाग पंचमी के दिन श्रीया (धन-समृद्धि की देवी), नाग देवता और भगवान शिव (ब्रह्म) की उपासना करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
नाग पंचमी (Nag Panchami 2025) से जुड़ा एक पवित्र श्लोक भी भविष्योत्तर पुराण में उल्लेखित है:
"वासुकिः तक्षकश्चैव कालियो मणिभद्रकः।
ऐरावतो धृतराष्ट्रः कार्कोटकधनंजयौ ॥
एतेऽभयं प्रयच्छन्ति प्राणिनां प्राणजीविनाम् ॥"
इसका अर्थ है कि ये आठों नाग देवता संसार के समस्त प्राणियों को सुरक्षा और अभय प्रदान करते हैं।
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हिंदू धर्म में नागों को विशेष स्थान प्राप्त है, इसलिए इन्हें पूजनीय माना जाता है। नाग देवता का संबंध भगवान शिव और विष्णु दोनों से जुड़ा हुआ है—जहां भगवान शिव ने वासुकि नाग को अपने गले का आभूषण बनाया, वहीं भगवान विष्णु शेषनाग की शैया पर विराजमान रहते हैं।
श्रावण मास, जो भगवान शिव का प्रिय महीना माना जाता है, नाग देवता की आराधना के लिए भी अत्यंत शुभ माना जाता है।
मान्यता है कि जब देवताओं और असुरों ने समुद्र मंथन किया था, तब वासुकि नाग ने मंथन की रस्सी बनकर संसार के कल्याण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। कुछ मान्यताओं के अनुसार, नाग पंचमी (Nag Panchami 2025) के दिन ही नाग जाति की उत्पत्ति हुई थी, इसलिए इस दिन नाग देवता की पूजा का विशेष महत्व है।
भोलेनाथ के गले में सदैव वासुकि नाग विराजमान रहते हैं, जो यह दर्शाता है कि नागों को शिवजी का प्रिय दर्जा प्राप्त है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, नाग पंचमी (Nag Panchami ) के दिन विधिपूर्वक नाग देवता की पूजा करने से भक्तों को उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
पुराणों के अनुसार, सर्पों के दो प्रमुख प्रकार बताए गए हैं—दिव्य और भौम। इनमें वासुकि और तक्षक को दिव्य सर्प माना गया है, जो अपनी अपार शक्ति और तेजस्विता के लिए प्रसिद्ध हैं। मान्यता है कि यदि ये कुपित हो जाएं, तो मात्र अपनी फुफकार से पूरी सृष्टि को हिला सकते हैं।
हिंदू धर्मग्रंथों में उल्लेख मिलता है कि सृष्टि के रचयिता ब्रह्मा जी के पुत्र ऋषि कश्यप की चार पत्नियाँ थीं। इनमें से—
सभी नागों में आठ नागों को विशेष रूप से श्रेष्ठ माना गया है। इनके सामाजिक वर्गीकरण के अनुसार—
पौराणिक कथाओं के अनुसार, अर्जुन के पौत्र और राजा परीक्षित के पुत्र जन्मेजय ने नागों से बदला लेने के लिए नाग यज्ञ (सर्पसत्र यज्ञ) का आयोजन किया था। उन्होंने यह यज्ञ इसलिए कराया क्योंकि उनके पिता राजा परीक्षित की मृत्यु तक्षक नाग के काटने से हुई थी।
जब यह यज्ञ नाग जाति के विनाश की ओर बढ़ रहा था, तब ऋषि जरत्कारु के पुत्र आस्तिक मुनि ने नाग वंश की रक्षा हेतु इस यज्ञ को रोक दिया। यह घटना श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को हुई थी।
इसी दिन से नाग पंचमी (Nag Panchami festival) का पर्व मनाने की परंपरा प्रारंभ हुई, ताकि नागों को प्रसन्न कर उनका आशीर्वाद प्राप्त किया जा सके और सांपों के प्रकोप से रक्षा हो सके।
नाग पंचमी (Nag Panchami ) के दिन मनाए जाने वाले अनुष्ठानों में गुड़िया पीटने की अनोखी परंपरा भी शामिल है, जो कई लोगों के लिए रहस्यमय और दिलचस्प लग सकती है। इस परंपरा की जड़ें ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और धार्मिक मान्यताओं से जुड़ी हुई हैं।
यह प्रथा पुरानी लोककथाओं और पौराणिक घटनाओं से प्रेरित है। मान्यता है कि प्राचीन काल में मनुष्यों और नागों के बीच संघर्ष हुआ था। इस संघर्ष के दौरान, नागों को शांत करने और उनसे रक्षा की कामना के लिए गुड़िया पीटने की प्रथा आरंभ हुई।
पुराने समय में लोग सांपों को खतरनाक मानते थे और उनसे डरते थे। माना जाता था कि नाग पंचमी के दिन गुड़िया पीटने से सांपों का प्रतीकात्मक रूप से दमन होता है, जिससे सांपों के हमले और विषैले प्रकोप से बचाव हो सकता है। यह एक तरह से भय से मुक्ति और आत्मसुरक्षा की भावना को दर्शाता है।
ग्रामीण इलाकों में इस परंपरा का संबंध कृषि और फसलों की सुरक्षा से भी जोड़ा जाता है। मान्यता है कि गुड़िया पीटने से खेतों में मौजूद हानिकारक कीट-पतंगे और सांप भाग जाते हैं, जिससे फसल सुरक्षित रहती है।
यह परंपरा केवल सांपों के भय से जुड़ी नहीं है, बल्कि इसमें धार्मिक आस्था भी शामिल है। नाग पंचमी के दिन नाग देवता की पूजा की जाती है, और इस अनुष्ठान को एक प्रतीकात्मक उपाय माना जाता है जिससे नाग देवता प्रसन्न होते हैं और उनकी कृपा प्राप्त होती है।
हर समाज की अपनी अलग परंपराएँ होती हैं, जो पीढ़ी दर पीढ़ी आगे बढ़ती हैं। नाग पंचमी पर गुड़िया पीटने की परंपरा भी समय के साथ सांस्कृतिक और धार्मिक परंपरा का रूप ले चुकी है, जिसे लोग अपनी आस्था और मान्यता के अनुसार निभाते आ रहे हैं।
गुड़िया पीटने की यह परंपरा हमें यह भी दर्शाती है कि समाज में सांपों को लेकर एक मिश्रित भावना मौजूद है—जहां एक ओर उनसे भय जुड़ा है, वहीं दूसरी ओर उन्हें पूजनीय भी माना जाता है। यह परंपरा कहीं न कहीं इस संतुलन को बनाए रखने का एक प्रतीक भी है।
नाग पंचमी (Nag panchami 2025) केवल एक धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि प्रकृति, आस्था और परंपरा का संगम है। यह त्योहार हमें नागों के महत्व, उनसे जुड़ी पौराणिक कथाओं और सांस्कृतिक मान्यताओं से जोड़ता है। नाग देवता की पूजा करने से सांपों के भय से मुक्ति, सुख-समृद्धि और रक्षा का आशीर्वाद प्राप्त होता है। साथ ही, यह पर्व हमें प्रकृति के संतुलन और जीवों के प्रति सम्मान का संदेश भी देता है। नाग पंचमी की अनोखी परंपराएँ हमारी संस्कृति और आध्यात्मिक धरोहर का हिस्सा हैं, जो पीढ़ी दर पीढ़ी आगे बढ़ती जा रही हैं।
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Neha Jain is a festival writer with 7+ years’ experience explaining Indian rituals, traditions, and their cultural meaning, making complex customs accessible and engaging for today’s modern readers.