Akshaya Tritiya 2025: अक्षय तृतीया, जिसे आखा तीज, अक्ति या परशुराम जयंती के रूप में भी जाना जाता है, हिंदू और जैन धर्म के अनुयायियों द्वारा अत्यंत शुभ अवसर के रूप में मनाया जाता है। यह पर्व वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को आता है और धार्मिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है।
संस्कृत में 'अक्षय' का अर्थ होता है ‘अनंत’ या ‘शाश्वत’, जो इस दिन से जुड़ी असीम समृद्धि और सौभाग्य का प्रतीक है। यही कारण है कि इसे नए कार्यों की शुरुआत के लिए शुभ माना जाता है, चाहे वह नया व्यवसाय हो, नई नौकरी हो या नए घर में प्रवेश करना।
इस दिन भगवान विष्णु, देवी लक्ष्मी और भगवान गणेश की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। साथ ही, यह पर्व दिवंगत पूर्वजों को श्रद्धांजलि देने और उन्हें स्मरण करने का भी एक अवसर होता है।
अक्षय तृतीया (Akshaya Tritiya 2025) पर सोना, चांदी और अन्य कीमती धातुओं की खरीदारी का भी विशेष महत्व है, क्योंकि यह परिवार में सुख-समृद्धि और सौभाग्य लाने का प्रतीक माना जाता है। इस शुभ दिन पर लोग नई ऊर्जा और सकारात्मकता के साथ जीवन में आगे बढ़ने का संकल्प लेते हैं। वर्ष 2025 में अक्षय तृतीया किस दिन पड़ेगी, आइए जानते हैं।
वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि 30 अप्रैल को शाम 5:29 बजे से शुरू होकर दोपहर 2:12 बजे तक रहेगी। उदया तिथि के अनुसार, अक्षय तृतीया का पावन पर्व (Akshaya Tritiya 2025 Date) इस वर्ष बुधवार, 30 अप्रैल को मनाया जाएगा। इस दिन पूजा-अर्चना के लिए शुभ मुहूर्त इस प्रकार रहेगा –
अक्षय तृतीया (Akshaya Tritiya 2025) पूजन का शुभ मुहूर्त प्रातः 5:41 मिनट से दोपहर 12:18 मिनट तक रहेगा।
जप-तप, यज्ञ, पितृ-तर्पण और दान-पुण्य जैसे धार्मिक कार्य इस दिन विशेष महत्व रखते हैं और इनका अक्षय फल प्राप्त होता है। इसके अलावा, इस दिन भगवान परशुराम जी की जयंती भी मनाई जाती है।
सबसे खास बात यह है कि अक्षय तृतीया को अबूझ मुहूर्त माना जाता है, जिसका अर्थ है कि इस दिन विवाह, सगाई, गृह प्रवेश और मुंडन जैसे शुभ कार्य बिना किसी विशेष मुहूर्त के किए जा सकते हैं। यही कारण है कि अक्षय तृतीया को हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र और मंगलकारी दिन माना जाता है।
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अक्षय तृतीया (Akshaya Tritiya 2025) को अत्यंत शुभ और सौभाग्यशाली दिन माना जाता है। इस दिन का विशेष महत्व खेती, व्यापार और धार्मिक अनुष्ठानों से जुड़ा हुआ है।
अक्षय तृतीया (Akshaya Tritiya 2025) का यह विशेष महत्व इसे पूरे वर्ष के सबसे शुभ दिनों में से एक बनाता है।
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महाभारत के अनुसार, अक्षय तृतीया के दिन भगवान सूर्य ने पांडवों को एक दिव्य बर्तन (अक्षय पात्र) प्रदान किया था। यह पात्र कभी खाली नहीं होता था और इसमें असीमित भोजन की आपूर्ति होती थी। एक दिन, जब एक ऋषि पांडवों के आश्रम में आए, तो द्रौपदी को उनके भोजन की चिंता हुई। उसने भगवान कृष्ण से सहायता की प्रार्थना की। भगवान कृष्ण ने जब अक्षय पात्र देखा, तो उसमें एक अन्न का दाना चिपका हुआ पाया। उन्होंने उस दाने को ग्रहण कर लिया, जिससे न केवल उनकी भूख तृप्त हुई, बल्कि ऋषि और सभी उपस्थित लोगों की भूख भी शांत हो गई।
शास्त्रों के अनुसार, देवी दुर्गा और महिषासुर के बीच भयंकर युद्ध हुआ था, जो लंबे समय तक चला। अंततः अक्षय तृतीया के दिन, देवी दुर्गा ने महिषासुर का वध किया और अधर्म पर धर्म की विजय हुई। इसी दिन सतयुग का समापन हुआ और त्रेता युग का शुभारंभ हुआ। इस प्रकार, अक्षय तृतीया को नए युग की शुरुआत के रूप में भी मनाया जाता है।
अक्षय तृतीया (Akshaya Tritiya 2025) का दिन भगवान कृष्ण और उनके बचपन के मित्र सुदामा के पुनर्मिलन का प्रतीक भी माना जाता है। आर्थिक तंगी के कारण सुदामा अपनी पत्नी के आग्रह पर भगवान कृष्ण से सहायता मांगने द्वारका पहुंचे। लेकिन कृष्ण के वैभवशाली जीवन को देखकर संकोचवश वे अपनी स्थिति का उल्लेख नहीं कर सके। वे मात्र मुट्ठीभर चावल भगवान कृष्ण के लिए ले गए थे। भगवान कृष्ण ने प्रेमपूर्वक उन चावलों को ग्रहण किया। जब सुदामा अपने घर लौटे, तो उन्होंने पाया कि उनकी झोपड़ी एक भव्य महल में बदल गई है और उनका परिवार संपन्न हो गया है। यह भगवान कृष्ण के आशीर्वाद का चमत्कार था। तभी से अक्षय तृतीया को शुभता और समृद्धि प्राप्ति का प्रतीक माना जाता है।
इन पौराणिक कथाओं के अनुसार, अक्षय तृतीया (Akshaya Tritiya 2025) का दिन न केवल धार्मिक दृष्टि से बल्कि जीवन में सुख-समृद्धि और उन्नति के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है।
अक्षय तृतीया (Akshaya Tritiya 2025) के दिन शुभ फल प्राप्त करने के लिए कुबेर देव और मां लक्ष्मी की विधिवत पूजा-अर्चना अवश्य करें। इस दिन सोना, आभूषण और नया वाहन खरीदना अत्यंत शुभ माना जाता है, जिससे धन और समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इसके अलावा, इस पावन अवसर पर दान-पुण्य करने से जीवनभर इसका लाभ मिलता है और सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है।
इस वर्ष अक्षय तृतीया (Akshaya Tritiya 2025) पर विवाह के शुभ योग नहीं बन रहे हैं, क्योंकि इस दिन गुरु और शुक्र, दोनों ही ग्रह अस्त रहेंगे। ज्योतिष शास्त्र में गुरु और शुक्र को विवाह के कारक ग्रह माना जाता है, और इनके अस्त होने की स्थिति में विवाह समारोह को शुभ नहीं माना जाता। यही कारण है कि 2025 में अक्षय तृतीया पर विवाह संपन्न नहीं हो सकेंगे। इसी तरह, पिछले वर्ष 2024 में भी इन दोनों ग्रहों के अस्त होने के कारण अक्षय तृतीया पर विवाह के लिए शुभ मुहूर्त उपलब्ध नहीं था।
अक्षय तृतीया (Akshaya Tritiya 2025) का पर्व न केवल हिंदू धर्म में बल्कि जैन धर्म में भी अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन दान-पुण्य और धार्मिक कार्यों को विशेष रूप से बढ़ावा दिया जाता है। जैन समाज में इसे तीर्थंकर आदिनाथ से जुड़ा हुआ माना जाता है, जिनकी स्मृति में लोग इस दिन विशेष दान और पुण्य कर्म करते हैं। इस तरह, अक्षय तृतीया एक ऐसा पर्व है जो विभिन्न समुदायों को एकजुट करते हुए समाज में शांति और समृद्धि का संदेश देता है।
अक्षय तृतीया (Akshaya Tritiya 2025) एक अत्यंत शुभ और पावन पर्व है, जो समृद्धि, सौभाग्य और धार्मिक आस्था का प्रतीक माना जाता है। इस दिन किए गए दान-पुण्य, पूजा-अर्चना और शुभ कार्य जीवनभर अक्षय फल प्रदान करते हैं। चाहे यह नया व्यवसाय शुरू करना हो, सोना-चांदी खरीदना हो या पूर्वजों को श्रद्धांजलि अर्पित करना, हर कार्य इस दिन विशेष महत्व रखता है। यह पर्व न केवल भौतिक समृद्धि, बल्कि आध्यात्मिक उन्नति और अच्छे कर्मों की प्रेरणा भी देता है, जिससे जीवन में सुख, शांति और सकारात्मकता बनी रहती है।
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