November 29, 2024 Blog

Shani Ki Sade Sati 2025: इस साल किन राशियों पर होगा शनि की साढ़े साती का प्रभाव

BY : STARZSPEAK

क्या होती है शनि की साढ़े साती? (What Is Shani Sade Sati)

जब शनि किसी राशि के दूसरे या बारहवें भाव में प्रवेश करते हैं, तो उस राशि पर साढ़ेसाती (Shani ki Sade Sati) की शुरुआत होती है। साढ़ेसाती के तीन चरण होते हैं, जिनमें हर चरण लगभग ढाई साल का होता है, इसलिए इसकी कुल अवधि साढ़े सात साल मानी जाती है। वहीं, जब शनि जन्मकालीन राशि से चतुर्थ या अष्टम भाव में गोचर करते हैं, तो इसे शनि की ढैय्या कहा जाता है, जो ढाई वर्ष तक चलती है। ज्योतिष के अनुसार, साढ़ेसाती और ढैय्या का समय अक्सर चुनौतियों और कठिनाइयों से भरा माना जाता है, जिससे व्यक्ति को सावधानी और धैर्य से गुजरने की सलाह दी जाती है।


शनि की साढ़ेसाती का पहला चरण ( First Phase Of Shani Ki Sade Sati) 

शनि की साढ़ेसाती (Shani ki Sade Sati) और ढैय्या को ज्योतिष शास्त्र में कठिनाइयों का समय माना जाता है। इन स्थितियों का प्रभाव व्यक्ति की कुंडली में शनि की स्थिति पर निर्भर करता है, जिससे यह तय होता है कि साढ़ेसाती और ढैय्या शुभ होंगे या अशुभ। इन दौरों में व्यक्ति को आर्थिक, मानसिक, पारिवारिक और शारीरिक समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। हालांकि, इन नकारात्मक प्रभावों को कम करने के लिए कई उपाय भी बताए गए हैं।


शनि साढ़ेसाती का दूसरा चरण (Second phase of Shani Ki Sade Sati )

शनि साढ़ेसाती (Shani ki Sade Sati) का दूसरा चरण सबसे ज्यादा कष्टकारी माना जाता है, खासकर जब शनि बारहवें घर से पहले या मूल चंद्र घर में प्रवेश करते हैं। इस दौरान जातक को धन की समस्याएं आ सकती हैं, और वह कर्ज के बोझ तले दब सकता है। इसके अलावा, गलतफहमियों की वजह से रिश्तों में तकरार और टूटने के आसार बन सकते हैं। साथ ही, इस समय में आंखों से जुड़ी परेशानियां भी उत्पन्न हो सकती हैं।


 2025 में शनि की साढ़ेसाती का प्रभाव (Effect Of Shani Ki Sade Sati 2025) 

वैदिक ज्योतिष के अनुसार, शनि मकर और कुंभ राशियों के स्वामी होते हैं। शनि तुला राशि में उच्च के और मेष राशि में नीच के माने जाते हैं। शनि का गति अत्यंत धीमी होती है, जिससे उनका प्रभाव लंबे समय तक बना रहता है। शनि एक राशि में लगभग ढाई साल रहते हैं, इसके बाद वे अगली राशि में गोचर करते हैं। जब भी शनि का राशि परिवर्तन होता है, इसका असर सभी राशियों पर पड़ता है। शनि के राशि परिवर्तन के दौरान कुछ राशियों पर साढ़ेसाती (Shani ki Sade Sati) और कुछ पर ढैय्या का प्रभाव शुरू हो जाता है, जबकि जिन राशियों पर पहले से साढ़ेसाती या ढैय्या चल रही होती है, वह समाप्त हो जाती है। वर्तमान में शनि कुंभ राशि में हैं, और वे मार्च 2025 में मीन राशि में प्रवेश करेंगे। शनि का कुंभ से मीन राशि में गोचर कुछ राशियों के लिए साढ़ेसाती और ढैय्या के प्रारंभ का इशारा होगा। आइए देखते हैं कि इस वर्ष 2025 में कौन सी राशियों पर साढ़ेसाती (Shani ki Sade Sati) और कौन सी राशियों पर ढैय्या का प्रभाव पड़ेगा।


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2025 में रहेगी इन राशियों पर साढ़े साती 

कर्म और न्याय का ग्रह माने जाने वाले शनि मार्च 2025 में अपनी राशि बदलेंगे। वैदिक ज्योतिष के अनुसार शनि अपनी मूल त्रिकोण राशि से निकलकर बृहस्पति द्वारा शासित मीन राशि में प्रवेश करेंगे। शनि के मीन राशि में गोचर करने के बाद, मेष राशि के जातकों पर शनि की साढ़ेसाती (Shani ki Sade Sati) की शुरुआत हो जाएगी, मकर राशि वालों पर शनि की साढ़ेसाती समाप्त हो जाएगी। इसके अलावा मीन राशि वालों पर साढ़ेसाती का दूसरा चरण शुरू हो जाएगा और कुंभ राशि वालों पर साढ़ेसाती का अंतिम चरण शुरू हो जाएगा। शनि मीन राशि में ढाई साल तक रहेंगे, और उनके राशि परिवर्तन का असर सभी राशियों पर पड़ेगा। कुछ राशियों के जातकों को विशेष लाभ हो सकता है, लेकिन इन तीन राशियों के जातकों को विशेष सावधानी बरतने की जरूरत होगी।

 

मेष राशि पर साढ़े साती का पहला चरण (First phase of Sade Sati on Aries)

शनिदेव के राशि परिवर्तन के बाद मेष राशि वालों पर साढ़ेसाती (Shani Ki Sade Sati) का पहला चरण शुरू हो जाएगा। इस राशि में सूर्य देव उच्च के होते हैं, लेकिन सूर्य और शनिदेव के बीच शत्रुतापूर्ण संबंध होता है। इसके परिणामस्वरूप मेष राशि के जातकों को करियर और व्यवसाय में उतार-चढ़ाव का सामना करना पड़ सकता है। हालांकि, गुरु के धन भाव में स्थित होने के कारण आर्थिक स्थिति में कोई बड़ा बदलाव नहीं होगा। इस समय विवेक से काम करना और बड़े बुजुर्गों की सलाह लेकर कार्य करना बेहतर रहेगा। साथ ही, हनुमान जी की पूजा करें और मंगलवार को उपवास रखें, क्योंकि हनुमान जी की उपासना से शनि की बाधाएं दूर होती हैं।

 

कुम्भ राशि पर साढ़े साती का अंतिम चरण (Last phase of Sade Sati on Aquarius)

शनि के मीन राशि में गोचर के दौरान, कुंभ राशि के जातकों पर साढ़ेसाती (Shani Ki Sade Sati) का अंतिम चरण शुरू होगा। वर्तमान में, कुंभ राशि के जातकों पर साढ़ेसाती का दूसरा चरण चल रहा है। साढ़ेसाती के अंतिम चरण में शनि की कृपा से जातक को मनचाही सफलता प्राप्त हो सकती है। शनिदेव कर्मफल दाता होते हैं, इसलिए इस समय कर्म पथ पर निरंतर अग्रसर रहना जरूरी है। भगवान शिव की पूजा करें और प्रत्येक सोमवार और शनिवार को जल में काले तिल मिलाकर उनका अभिषेक करें। इस पूजा से निश्चित रूप से लाभ मिलेगा और जो कार्य रुक गए थे, वे भी बनने लगेंगे।

 

मीन राशि पर साढ़े साती का दूसरा चरण (Second phase of Sade Sati on Pisces)

शनि के मीन राशि में गोचर के साथ ही साढ़ेसाती (Shani ki Sade Sati) का पहला चरण समाप्त हो जाएगा, लेकिन साढ़ेसाती का दूसरा चरण शुरू हो जाएगा। इस चरण में आपको मानसिक रूप से मजबूत रहना होगा, क्योंकि जीवन में कई बदलाव आ सकते हैं, जो मानसिक और शारीरिक रूप से चुनौतीपूर्ण हो सकते हैं। ऐसे में सोच-समझकर निर्णय लें, क्योंकि कुछ काम जो पहले बनते दिख रहे थे, वे अब बिगड़ भी सकते हैं। इस समय भगवान विष्णु की पूजा करना लाभकारी रहेगा। हर गुरुवार को भक्ति भाव से भगवान विष्णु की पूजा करें और पूजा के दौरान विष्णु चालीसा का पाठ करें। इस दिन पीले रंग का चंदन ग्रीवा पर लगाएं और शनिवार को शनिदेव की पूजा भी अवश्य करें।

 

शनि की साढ़े साती के प्रभाव से बचने के उपाय (Shani Ki Sade Sati Ke Upay) 

साढ़ेसाती के प्रभाव से बचाव के लिए ज्योतिष शास्त्र में कुछ विशेष उपाय बताए गए हैं। शनिवार के दिन काले जूते, चमड़े की चप्पल, सरसों का तेल, नमक, लोहा, अनाज और बर्तन का दान करना शुभ माना जाता है। साथ ही, धन का दान भी किया जा सकता है। हर शनिवार स्नान के बाद जल में काले तिल मिलाकर भगवान शिव का अभिषेक करें। यह उपाय साढ़ेसाती के नकारात्मक प्रभावों को कम करने में सहायक होता है।


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