Shiv Ji Ki Aarti- सोमवार के दिन शिवलिंग पर जल चढ़ाने से व्यक्ति के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। हिंदू धर्म में पूजा के बाद आरती करने की परंपरा है इसलिए भगवान शिव की आरती करने से पहले कुछ जरूरी बातें जानना जरूरी है।
सावन के सोमवार व्रत के दिन ब्रह्म मुहूर्त में पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करें। इसके बाद साफ कपड़े पहनें और व्रत का संकल्प लें। घर या मंदिर में शिवलिंग पर गंगा जल मिलाकर जलाभिषेक करें। फिर भगवान शिव को पंचामृत अर्पित करें। शिवलिंग पर सफेद चंदन से दाहिने हाथ की तीन अंगुलियों से त्रिपुण बनाएं और अन्य पूजा सामग्री चढ़ाएं। व्रत के बाद भगवान श्री गणेश जी, भगवान शिव, माता पार्वती और नंदी देव की पूजा करें। इसके बाद सोमवार व्रत की कथा सुनें.
पूजन सामग्री में जल, दूध, दही, चीनी, घी, शहद, पंचामृत, मोली, वस्त्र, जनेऊ, चंदन, रोली, चावल, फूल, बेलपत्र, भांग, आक-धतूरा, कमल गट्टा, प्रसाद, सुपारी शामिल हैं। लौंग, इलायची, सूखे मेवे और दक्षिणा अर्पित की जाती है।
श्रावण मास में दूध, चीनी, दही, तेल, बैंगन, पत्तेदार सब्जियां, प्याज, लहसुन, नमकीन या मसालेदार भोजन, मिठाई, मांस और शराब का सेवन नहीं करना चाहिए। जिस व्यक्ति की शारीरिक स्थिति ठीक न हो, व्रत करने से उत्तेजना बढ़ती हो और व्रत रखने पर व्रत टूटने की संभावना हो, उसे व्रत नहीं करना चाहिए। व्रत के दौरान सूर्यास्त तक निराहार रहता है और नमक का सेवन नहीं किया जाता, सेंधा नमक ही स्वीकार्य है।
जय शिव ओंकारा, स्वामी ॐ जय शिव ओंकारा ।
ब्रह्मा विष्णु सदा शिव अर्द्धांगी धारा ॥ ॐ जय शिव…॥
एकानन चतुरानन पंचानन राजे ।
हंसानन गरुड़ासन वृषवाहन साजे ॥ ॐ जय शिव…॥
दो भुज चार चतुर्भुज दस भुज अति सोहे।
त्रिगुण रूपनिरखता त्रिभुवन जन मोहे ॥ ॐ जय शिव…॥
अक्षमाला बनमाला रुण्डमाला धारी ।
चंदन मृगमद सोहै भाले शशिधारी ॥ ॐ जय शिव…॥
श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे ।
सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे ॥ ॐ जय शिव…॥
कर के मध्य कमण्डलु चक्र त्रिशूल धर्ता ।
जगकर्ता जगभर्ता जगसंहारकर्ता ॥ ॐ जय शिव…॥
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका ।
प्रणवाक्षर मध्ये ये तीनों एका ॥ ॐ जय शिव…॥
काशी में विश्वनाथ विराजत नन्दी ब्रह्मचारी ।
नित उठि भोग लगावत महिमा अति भारी ॥ ॐ जय शिव…॥
त्रिगुण शिवजी की आरती जो कोई नर गावे ।
कहत शिवानंद स्वामी मनवांछित फल पावे ॥ ॐ जय शिव…॥
जय शिव ओंकारा हर ॐ शिव ओंकारा|
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव अद्धांगी धारा॥ ॐ जय शिव ओंकारा…॥
।। Shiv Ji Ki Aarti।।