July 14, 2017 Blog

कुंडली में शनि से बनने वाले योग!

BY : Dr. Sandeep Ahuja – Ayurvedic Practitioner & Wellness Writer

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लेखक: सोनू शर्मा

कुंडली में शनि की स्थिति ग्रहों की युति तथा वह किस भाव में स्थित है और उसपर किस ग्रह की दृष्टि है, इन सब के अनुसार विभिन्न योगों का निर्माण होता है । वह योग अलग - अलग फल देने वाले होते है, जानते है ऐसी ही कुछ योगों के बारे में -

१) रवियोग - यदि किसी कुंडली में सूर्य दशम भाव में स्थित हो तथा शनि दशम भाव के स्वामी के साथ तीसरे भाव में बैठा हो तो रवि योग बनता है । ऐसे व्यक्ति को सरकार से लाभ प्राप्त होता है, व्यक्ति सुन्दर होता है और उसके विचार बहुत अच्छे होते है ।

२) अपकीर्ति योग - यदि कुंडली में दशम भाव में सूर्य व शनि हो तथा दशम भाव पर अशुभ ग्रह बैठा हो या दशम भाव पर अशुभ ग्रहों की दृष्टि हो तो अपकीर्ति योग बनता है, ऐसा जातक कुख्यात होता है और गलत कार्य करता है ।

३) शश योग - यदि शनि केंद्र में स्वराशि का या उच्च का होकर स्थित हो तो शश योग बनता है, इस योग वाले जातक नौकर चाकर युक्त होते है, वह व्यक्ति किसी संस्थान का प्रमुख होता है तथा अनेकगुणों से परिपूर्ण होता है ।

४) बंधन योग - यदि कुंडली में लग्न का स्वामी तथा छटे भाव का स्वामी केंद्र में स्थित हो और शनि या राहु से युति हो तो बंधन योग का निर्माण होता है । ऐसे व्यक्ति को जेल की सज़ा भुगतनी पड़ती है ।

५) जड़बुद्धि योग - यदि कुंडली में पंचम भाव का स्वामी अशुभ ग्रह से दृष्टि बनाए या उसके साथ युति करे तथा शनि, पंचम में स्थित होकर लग्नेश शनि को देखे तो जड़बुद्धि योग का निर्माण होता है । ऐसा व्यक्ति जन्म से ही जड़बुद्धि होता है और किसी बात को आसानी से नहीं समझ पाता ।

Author: Dr. Sandeep Ahuja – Ayurvedic Practitioner & Wellness Writer

Dr. Sandeep Ahuja, an Ayurvedic doctor with 14 years’ experience, blends holistic health, astrology, and Ayurveda, sharing wellness practices that restore mind-body balance and spiritual harmony.