June 20, 2017 Blog

कुंडली में पितृदोष!

BY : Dr. Sandeep Ahuja – Ayurvedic Practitioner & Wellness Writer

लेखक: सोनू शर्मा

कुंडली में पितृदोष !

प्रत्येक व्यक्ति जन्म के समय अपने द्वारा किये गए पूर्व कर्मो को साथ लेकर आता है, कुंडली में बनने वाले योगों के माध्यम से जाना जा सकता है की व्यक्ति का जीवन कैसा होगा, कुछ लोगों की कुंडली में ऐसे योग बनते है जिन्हे पितृ दोष कहा जाता है । माना जाता है की जो व्यक्ति अपने पूर्वजों की इच्छा पूरी नहीं करते, उनको कष्ट देते है, उसके फलस्वरूप वह पितृ दोष से ग्रसित होते है, ऐसे व्यक्ति हर क्षेत्र में विफल होते है, मेहनत करने पर भी उन्हें अनुकूल फल नहीं मिलता । जानते है ऐसे कुछ योगों के बारे में –

- यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में जिस भाव में सूर्य स्थित हो और उसपर एक से अधिक पाप ग्रहों का प्रभाव हो तो, पितृदोष का निर्माण करता है ।

- यदि कुण्डली में लग्न भाव, दूसरेभाव, चौथे भाव , पांचवें या सातवें भाव में सूर्य और राहु तथा सूर्य और शनि की युति पितृ दोष का निर्माण करती है, जिस भाव में यह योग बनता है व्यक्ति को उसी भाव संबंधित कष्ट मिलते है ।

- यदि किसी जातक की कुंडली में लग्न भाव और पंचम भाव में सूर्य, शनि और मंगल स्थित हो और आठवे भाव या बारहवे भाव में गुरु और राहु स्थित हो तो कुंडली में पितृदोष माना जाता है।

- यदि किसी की कुंडली में सूर्य और मंगल किसी पाप भाव में स्थित हो तो व्यक्ति को पितृदोष होता है।

- यदि किसी की कुंडली में सूर्य पंचम भाव में राहु से साथ बैठा हो तथा साथ में शनि भी हो या शनि की दृष्टि हो तो पितृदोष का निर्माण होता है, यही स्थिति अगर दशम या नवम भाव में हो तब भी ये दोष होता है ।

Author: Dr. Sandeep Ahuja – Ayurvedic Practitioner & Wellness Writer

Dr. Sandeep Ahuja, an Ayurvedic doctor with 14 years’ experience, blends holistic health, astrology, and Ayurveda, sharing wellness practices that restore mind-body balance and spiritual harmony.