मंगल दोष कुंडली में बनने वाला वह योग है जिसमे मंगल यदि लग्न भाव, चतुर्थ भाव, सप्तम, अष्टम या बारहवें भाव में स्थित हो तो इसे मंगल दोष कहा जाता है । यह योग विवाह के लिए देखा जाता है, यदि लड़की की कुंडली में ये योग हो तो लड़के की कुंडली में इनमे से किसी भाव में मंगल का होना अनिवार्य माना जाता है अन्यथा इसके प्रभाव से बचा नहीं जा सकता ।
पहले मंगल को क्रूर गृह की श्रेणी में रखा जाता था क्यों की इस पाँच भावों में मंगल के होने से मंगल उस भाव से मिलने वाले सुख से उस व्यक्ति को वंचित रखता है । कुछ परिस्थितियों में मंगल दोष समाप्त हो जाता है, जानते है ऐसे ही कुछ योग जिनसे मंगल का प्रभाव काम हो जाता है -
- यदि मंगल स्वग्रही या उच्च का हो तो उसका दोष प्रभाव समाप्त हो जाता है ।
- यदि कुंडली में लग्न भाव, चतुर्थ, सप्तम या बारहवे भाव में शनि हो तो मंगल का प्रभाव कम हो जाता है ।
- यदि जिस भाव में मंगल स्थित हो उसमे चन्द्रमा और शनि भी बैठा हो तो मंगल दोष का असर कम हो जाता है ।
- यदि कुंडली में केंद्र व त्रिकोण में शुभ ग्रह हो तथा तीसरे, छटे व ग्यारहवे भाव में पाप ग्रह हो और सप्तम भाव का स्वामी सप्तम में हो तो ये दोष समाप्त हो जाता है ।
- यदि मंगल के साथ शुभ ग्रह की युति हो तो भी ये दोष समाप्त हो जाता है ।
- जातक की कुंडली में जिस भाव में मंगल स्थित है उसमे कोई अशुभ ग्रह बैठा हो तो ये दोष ख़त्म हो जाता है ।
Dr. Sandeep Ahuja, an Ayurvedic doctor with 14 years’ experience, blends holistic health, astrology, and Ayurveda, sharing wellness practices that restore mind-body balance and spiritual harmony.