July 29, 2019 Blog

श्रावण मास का महामृत्युंजय मंत्र देता है अद्धभुत फल,  क्या है इसकी विशेषताएं

BY : STARZSPEAK




हिन्दू धर्म में भगवान शि‍व को सबसे महत्वपूर्ण देवताओं में से एक और त्रिदेवों में एक देव के नाम से जाना जाता हैं। देवों के देव महादेव जी के पूजन में कई तरह के मंत्रों से जाप किया जाता है लेकिन भगवान् शिव का सबसे प्रिय और सबसे बड़ा मंत्र "महामृत्युंजय मंत्र" है जिसका श्रावण मास में अत्यंत महत्व होता हैं। शिव के मंत्रो का जाप पूजा के समय करने का बहुत महत्व होता है। अगर कोई भी मनुष्य सच्चे मन से "महामृत्युंजय मंत्र" का जाप करे तो उसकी सारी समस्याओं का नाश हो जाता है। प्राण रक्षक और महामोक्ष मंत्र का जाप करने से जातक से मृत्यु भी डरती है। जो व्यक्ति इस मंत्र को सिद्ध कर लेता है वो मोक्ष को प्राप्त करता है। इस मंत्र का निर्माण ऋषि मार्कंडेय ने किया था जो ऋग्वेद का एक श्लोक है। 


||महामृत्युंजय सम्पूर्ण मंत्र :||

ॐ ह्रौं जूं सः। ॐ भूः भुवः स्वः। ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्‌। उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्‌। स्वः भुवः भूः ॐ। सः जूं ह्रौं ॐ॥


|| महा मृत्युंतजय मंत्र ||

ॐ त्र्यम्बक यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धन्म। उर्वारुकमिव बन्धनामृत्येर्मुक्षीय मामृतात् !!


||संपुटयुक्त महा मृत्युंतजय मंत्र ||

ॐ हौं जूं सः ॐ भूर्भुवः स्वः ॐ त्र्यम्ब्कं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धरनान् मृत्योजर्मुक्षीय मामृतात् ॐ स्वः भुवः भूः ॐ सः जूं हौं ॐ !!


||लघु मृत्युं्जय मंत्र ||

ॐ जूं स माम् पालय पालय स: जूं ॐ। किसी दुसरे के लिए जप करना हो तो-ॐ जूं स (उस व्यक्ति का नाम जिसके लिए अनुष्ठान हो रहा हो) पालय पालय स: जूं ॐ



श्रावण मास में महा मृत्युंकजय जाप की विधि - 


श्रावण मास  और महाशिवरात्रि पर ऋग्वेद के प्रसिद्ध और सिद्ध मंत्र महा मृत्युंजय को करने की एक विधि है जिसका पालन करना चाहिए। आइये जानते है विधि - 

श्रावण मास में सुबह उठकर स्नान आदि से निपटकर पूजा वाल्व स्थान पर आसान जमाएं। 

इस मंत्र का जाप करने के लिए  रुद्राक्ष की माला पहले से अपने साथ रखे लें। 

इस मंत्र का जाप श्रावण मास शुरू होने पर या श्रावण मास के पहले सोमवार से करना शुरू करें। 

ध्यान रहें आप इस मंत्र का जाप सुबह 12 बजे से पहले कर लें अन्यथा दोपहर 12 बजे के बाद इस मंत्र के जाप का फल प्राप्त नहीं होता है। 

पूजा के स्थान पर महामृत्युंजय यन्त्र या शिवलिंग की स्थापना  करें। अब इस पर दूध, फल और धतूरा चढ़ाकर घी का दीपक जलायें। अगर आपके घर में पूजा का स्थान नहीं है तो आप ये प्रक्रिया मंदिर जाकर दोहरा सकते हैं। 

घर या मंदिर में शिवलिंग के सामने बैठकर मंत्र का जाप शुरू करें और कम से कम 11 माला का जप करें। 

आपको इस मंत्र का जाप एक लाख पूरा होने तक करना है जो आप पूरा श्रावण मास में कर सकते हैं।  


महामृत्युंजय मंत्र की विशेषताएं


सुबह सवेरे स्नान करते समय महामृत्युंजयमंत्र का जप करने से व्यक्ति स्वस्थ और खुश रहता है।

नव विवाहित जोड़ें अगर दुह का गिलास हाथ में लेकर इस मंत्र का जाप करें और बाद में आधा-आधा इस दूध को पी लें तो जल्दी ही संतान की प्राप्ति होती हैं। 

जो भक्त श्रद्धानुसार इस मंत्र का जाप करते है उनके सभी दुखों का नाश हो जाता हैं। 

जो जातक ग्रहबाधा, ग्रहपीड़ा, जमीन-जायदाद के विवाद, धन-हानि से पीड़ित होते है वो इस मंत्र का जाप करें तो उन्हें लाभ होता हैं। 

विवाहित जोड़ों के आपसी कलेश, विवाहित जीवन में बाधाओं को नाश करने के लिए ये मंत्र रामबाण का काम करता हैं। 

किसी धार्मिक भूल चूक और समस्त गलतियों के नाश के लिए महामृत्युंजय मंत्र का जाप करने से लाभ होता हैं।

महामृत्युंजय मंत्र के जाप से आप शोक,मृत्यु भय,अनिश्चता और किसी पुराने दोष के प्रभाव को कम कर सकते हैं।

महामारी,हैजा-प्लेग आदि से पीड़ित होने पर महामृत्युंजय मंत्र के जाप से लाभ होता हैं।



महामृत्युंजय मंत्र का जाप करते समय निम्न बातों का ध्यान रखना चाहिए-


महामृत्युंजय मंत्र का जाप के समय उच्चारण बहुत महत्व होता है और इसका उच्चारण सही और शुद्ध करें। 

मंत्र का उच्चारण धीमे स्वर में करें।

महामृत्युंजय मंत्र का जाप  करने से पहले पूजा के स्थान पर धूप-दीप अवश्य जलाये और वो मंत्र जाप के पुरे समय जलते रहना चाहिए।

महामृत्युंजय मंत्र का जाप करने से पहले पूजा के स्थान पर शिव यन्त्र या शिव प्रतिमा या शिवलिंग अवश्य रखें। 

महामृत्युंजय मंत्र का जाप रुद्राक्ष की माला के द्वारा ही करें और  जाप के समय माला को गौमुखी से बाहर न निकालें।

महामृत्युंजय मंत्र जाप के समय मुख पूर्व दिशा की तरफ और किसी आसान पर बैठकर करें। 

महामृत्युंजय मंत्र जाप के समय अपना ध्यान पूजा में लगाएं और किसी से बातचीत या इशारे आदि ना करें।