March 1, 2019 Blog

क्या आप जानते हैं कुंडली में मौजूद इन 8 प्रकार की योगिनी दशाओं के बारे में

BY : Dr. Sandeep Ahuja – Ayurvedic Practitioner & Wellness Writer

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हमारी जन्म कुंडली (Get free kundli)में कुल 8 योगिनी दशाएं होती हैं। किसी भी राशि के जातक के लिए उसकी शुभ-अशुभ योगिनियों का ज्ञान होना आवश्यक है। ताकि वह अपनी अशुभ योगिनी के लिए हल ढूंढ सके। इन योगिनी दशाओं की कुल अवधि 36 वर्ष की होती है। यानि कि इनका एक सम्पूर्ण चक्र 36 वर्ष के अन्दर पूरा हो जाता है।

सभी ग्रह एक-एक योगिनी के स्वामी माने जाते हैं, जिसमें केतु एक अपवाद है। यदि इनकी अवधि की बात की जाए तो मंगला एक वर्ष, पिंगला दो वर्ष, धान्या तीन वर्ष, भ्रामरी चार, भद्रिका पांच, उल्का छः वर्ष, सिद्धा सात और संकटा आठ वर्ष की होती है। आइये विस्तार से समझते हैं इन आठों योगिनी दशाओं के बारे-

1) मंगला दशा- मंगला दशा की अवधि एक वर्ष की होती है। चंद्रमा इसके स्वामी होते हैं। इस दशा में मन शांत एवं पवित्र होता है। इस दौरान जातक को सफलता, धन, यश आदि की प्राप्ति होती है। धार्मिक कार्यों में रूचि बढ़ती है। घर में मंगल कार्य संपन्न होते हैं। मित्रों एवं सम्बन्धियों का सहयोग प्राप्त होता है। आपको एक निष्ठावान पत्नी और आज्ञाकारी संतान की प्राप्ति होती है।

2) पिंगला दशा- इसकी अवधि 2 वर्ष की होती है। इसके स्वामी सूर्य होने के कारण यह समय कष्टों से भरा होता है। इस दशा के दौरान जातक ह्रदय रोग, देह कष्ट, ज्वर, पित्त रोग आदि से गुज़रते हैं। गलत संगती के चलते धन व यश की हानि का भी सामना करना पड़ सकता है। इसके अलावा जमीन-जायदाद में नुक्सान, भाइयों और मित्रों की परेशानियाँ, अपनापित होने का डर आपको चिंतित कर सकता है।   

3) धान्या दशा- धान्या की अवधि तीन वर्ष की होती है। इसके स्वामी गुरु हैं और इसका सम्बन्ध उन्नति, विकास, धन-मान में वृद्धि आदि से माना गया है। गुरु को धर्म और आध्यात्म का कारक कहा जाता है, जिसके चलते इसका जातक उपासना एवं तीर्थाटन से सुख पाता है। इसमें धन प्राप्ति के भी योग होते हैं। ग्रंथों में धान्या को मधुर और स्वास्थ्यवर्धक माना गया है। इस दौरान आपके शत्रुओं का भी नाश होता है।

4) भ्रामरी दशा- भ्रामरी दशा 4 वर्ष की होती है और इसका स्वामी मंगल को माना गया है। मंगल ग्रह के क्रूर होने के कारण इस अवधि में आपको अशुभ यात्रा का कष्ट भोगना पड़ सकता है। ज्योतिष विद्वानों के अनुसार भ्रामरी घर परिवार के सुख में दखल डालती है। इस दौरान व्यापार में हानि एवं कर्ज संबंधी समस्याएं भी देखने को मिलती हैं। जातक यदि परिश्रम, साहस और धैर्य को अपना हथियार बना ले तो वह अपनी प्रतिष्ठा की रक्षा कर सकता है और अपने सुख को बांधकर रख सकता है।

5) भद्रिका दशा- भद्रिका पाँच वर्ष की होती है। इसके स्वामी बुध हैं। यह दशा आपके परिवार में स्नेह और सहयोग की भावना को बढ़ावा देती है। इस दशा के जातकों को धन-संपत्ति का लाभ होता है। घर में मांगलिक कार्य संपन्न होते हैं। सम्मान और प्रतिष्ठा बढ़ती है। राजकीय कर्मचारियों की पदोन्नति का भी योग बनता है। सिद्ध पुरुषों का आशीर्वाद प्राप्त होता है, जिसके सभी कार्य सफलतापूर्वक संपन्न होते हैं।

6) उल्का दशा- उल्का दशा की आयु 6 वर्ष की होती है और इसके स्वामी शनि होते हैं। इस दौरान परिवार में तनाव की स्थिति पैदा होती है। इसके अलावा धन, यश तथा वाहन आदि की भी हानि होती है। जातक को शत्रुओं का भय बना रहता है। मुँह, सिर, ह्रदय, पैर, कान, दांत आदि की पीड़ा कष्टदायक हो सकती है। इसके अलावा कोर्ट केस एवं मानहानि जैसी परेशानियों का भी सामना करना पड़ सकता है।

7) सिद्धा दशा- इस योगिनी की अवधि 7 वर्ष की होती है। शुक्र इस दशा के स्वामी होते हैं। इसे एक शुभ दशा माना गया है। यह सफलता एवं सम्पन्नता की प्रदाता होती है। इसका जातक सुख, सौभाग्य और पद-प्रतिष्ठा पाता है। इस दौरान व्यापार में भी वृद्धि होती है। घर में संतान आदि के विवाह कार्य संपन्न होते हैं। मनोवांछित फल प्राप्त होता है।

8) संकटा दशा- संकटा की अवधि आठ वर्ष और सभी योगनियों में सबसे अधिक  होती है। इसे राहू की दशा कहा गया है। यह धन, यश और प्रतिष्ठा को कम करती है। इसके कारण जातकों को परिवार से जुड़े कष्ट भोगने पड़ते हैं। इसके जातक हठी होते हैं। इसमें जातक की मृत्यु तक होने की संभावना होती है। लालच और स्वार्थ के चलते वह खुद ही अपनी परेशानियों का कारण बन जाते हैं। उपाय हेतु बनारस में स्थित संकटा देवी की पूजा-अर्चना करें

Author: Dr. Sandeep Ahuja – Ayurvedic Practitioner & Wellness Writer

Dr. Sandeep Ahuja, an Ayurvedic doctor with 14 years’ experience, blends holistic health, astrology, and Ayurveda, sharing wellness practices that restore mind-body balance and spiritual harmony.