By: Deepika
अक्सर हमने हिन्दू धर्म के अनुसार और हमारे कई ज्योतिषों के अनुसार शनि दशा के बारे कई बातें सुनी है । जिस भी व्यक्ति की कुंडली में शनि की खराब दशा होती है वह इंसान का जीवन कई संघर्षों से भरा होता है। शनि ग्रह की चाल सबसे ज्यादा मजबूत और घातक होती है। प्रत्येक ग्रह अशान्त होने के बाद शान्त हो सकते है लेकिन अगर शनि क्रोधित हो जाते है तो मनुष्य का बुरा हाल कर देते है। पुराणों के अनुसार ऐसा कहा जाता है कि इस पृथ्वी पर एक भी जीव-जन्तु ,पशु-पक्षी, मानव, दैत्य, देवता सभी को शनि की दशा अवश्य लगती है। कहते है कि शनि के प्रकोप से खुद देवों के देव महादेव और नाराण विष्णु भगवान , ब्रहाजी कोई भी नहीं बच पाया है तो मानव क्या चीज़ है। शनि इस संसार में उपस्थित प्रत्येक जाति पर अपनी दृष्टि जरूर डालते है चाहे वह फिर एक पहर, दो पहर या चौबीस घंटे, ढैय्या, साढ़े साती या 19 वर्ष की दशा क्यों ना हों। शनि की दृष्टि पड़ने से जरूरी नहीं कि हमेशा बुरा हो अच्छा भी प्राप्त किया जा सकता है यदि उस व्यक्ति पर शनि प्रसन्न हो।
शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए और कुंडली से शनि दोष हटाने के लिए शनि शान्ति की पूजा बेहद आवश्यक होती है। इसलिए चलिए आपकों बताते है किस प्रकार से शनि दोष शान्ति पूजा की जाती है।
शनि शान्ति की पूजा सामग्री-
शनि देव की पूजा करने के लिए धूप, फूल पान के पत्ते, सुपारी, देशी घी, पूर्ण हवन आहुति सामग्री, मिठाईयां , गंगाजल , कलावा, हवन के लिए लकड़ी यदि हवन के लिए आम की लकड़ी प्रयुक्त हो तो अच्छा होता है), आम के पत्ते, चावल, रोली , जनेऊ, कपूर , शहद, चीनी , हल्दी और काला कपड़ा। शनि शान्ति में इन पूजन सामग्रियों का होना आवश्यक है।
शनि शान्ति की पूजा की विधि-
शनि दोष से शान्ति प्राप्त करने के लिए पूजा करने की अनेक विधि है। लेकिन सबसे उत्तम विधि वैदिक मंत्रों द्वारा किया जाने वाला विधान है। शनि ग्रह को शान्त करने के लिए शनि के मंत्रों द्वारा जाप करवाना चाहिए। ध्यान रहें कि शनिदेव को श्राप है कि उनसे जो नजरे मिलाएंगे उस व्यक्ति का अनिष्ट हो जाएगा। इसलिए शास्त्रों के अनुसार घर पर कभी शनिदेव की मूर्ति स्थापित ना करें। शनि का देव का मूर्त रूप ही मन में धारण कर पूजा करना श्रेष्ठ माना गया है। शनि देव की मूर्ति या फोटो ना खरीदें और यदि गलती से खरीद ली है तो शनिदेव से माफी मांग कर यह मूर्ति या फोटो मंदिर में स्थापित करवा दें।
शनि शान्ति की पूजा के लिए जातक को कई नियमों का पालन करना पड़ता है। इस अवधि के भीतर जातक को मांस,मदिरा , धुम्रपान या किसी भी प्रकार के नशा से दूर रहना होगा। इस समय के अन्तराल अपनी पत्नि या किसी अन्य स्त्री के साथ भी संबंध बनाना निषेध है। साथ ही सारे दुष्ट कर्म और घृणात्मक कार्यों से दूर रहना होगा। और साथ ही जातक को मानसिक संकल्प के साथ-साथ प्रत्येक दिन स्नान कर शुद्ध होकर पूजा करनी होगी। और शनि पूजा को किसी ज्ञानी पंडित जो शास्त्रों का ज्ञान रखता हो द्वारा करवानी चाहिए। ताकि आपकी पूजा आपके संकल्प के अनुरूप ही पूर्ण हो। इससे आपके ऊपर शनि का उल्टा प्रभाव होने के चांस भी नहीं होते है। यदि आपने शनि देव की पूजा में किसी भी तरह का विघ्न डाला या आपकी पूजा अधूरी रही तो आपका द्वारा लिया गया संकल्प भी कभी नही पूरा होगा, बल्कि शनि देव रूष्ट भी हो सकते है।