By: Deepika
वैसे तो श्री कृष्ण लीला, और कृष्ण भक्ति से हर कोई परिचित है, लेकिन फिर भी आपकों भगवान श्री कृष्ण की भक्ति और शक्ति के बारें में थोड़ी सी जानकारी बताते है साथ ही यह भी बताते है कि वह कौनसा कृष्ण मंत्र है जिसके द्वारा अपार सफलता प्राप्त की जा सकती है। लेकिन उससे पहले आपकों बताते है कि भगवान श्री विष्णु जिन्हें नारायण भी कहकर पुकारा जाता है, ने पाप का संहार करने के लिए कई अवतार लिए। भगवान नारायण के प्रत्येक अवतारों की एक अलग महिमा होती है लेकिन सबसे अहम और लोकप्रिय अवतार कृष्ण अवतार कहा गया है।
भगवान विष्णु का यह अवतार द्वापर युग में धरती को पाप तले दबे बोझ से मुक्त करने के लिए त्वरित हुआ। इस अवतार से ना सिर्फ धरती पर कंस रूपी बुराई का सर्वनाश किया, बल्कि अपने अद्भुत आकर्षण से पूरी मनुष्य जाति, पशु-पक्षियों आदि को अपना मुरीद भी बनाया।
मथुरा और वृंदावन के कण-कण में कृष्ण ऐसे समाए कि आज भी वहां पर श्री कृष्ण भगवान के साक्षात् होने का अहसास होता है। और आज भी ऐसा माना जाता है कि वृदांवन में कुछ जगह ऐसी भी है जहां पर श्री कृष्ण भगवान गोपियों के साथ रास-लीला करने आते है। वास्तव में यदि यह कहें कि प्रेम करना श्री कृष्ण ने ही सिखाया है। सबसे प्रेम करना ही कृष्ण भक्ति के बराबर माना जाता है। प्रेम की महिमा और भाषा भी श्री कृष्ण भगवान ने ही सिखलाई और जो वर्षों से राधे-कृष्ण के रूप में बयां की जाती है।
इसलिए हमारे देश में जन्माष्टमी बड़े ही धूमधाम के साथ मनाई जाती है। और कहते है कि इस दिन भगवान श्री कृष्ण की भक्ति और शक्ति दोनों प्राप्त होती है। भक्ति और शक्ति के साथ-साथ इस दिन अपार धन संपत्ति भी प्राप्त होती है लेकिन इसके लिए भगवान श्री कृष्ण के इस मंत्र का जाप करना होगा।
चलिए आपकों बताते है कि वह कौनसा मंत्र है जिसके द्वारा आप भी खूब धन -दौलत के मालिक बन सकते हैं.
यत्र योगेश्वर: श्री कृष्ण: यत्र पार्थो धनुर्धर:।
तत्र श्रीर्विजियो भूतिध्रुवा नीतिर्मर्तिर्मम।।
जनमाष्टमी का त्यौहार हर मनोकामना पूर्ण करने के लिए सबसे उत्तम दिन माना जाता है। इस दिन ऊपर दिए गए मंत्र का 108 बार जप करें। चाहे तो आप इसी दिन से इस मंत्र का प्रतिदिन सही उच्चारण के साथ जप करने का संकल्प लें। इससे आने वाले जीवन में हर संकट दूर होगा और धन-संपत्ति में वृद्धि होगी।
इस मंत्र के अलावा श्री कृष्ण के तीन मंत्र और है जिससे जपने से जीवन के सभी संकट दूर हो जाते है।
पहला मंत्र- ऊँ कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने।
प्रणत: क्लेशनाय गोविंदाय नमो नम:।।
इस मंत्र को जपने के लिए पवित्रता का पूरा ध्यान रखना आवश्यक है।स्नान के बाद कुश के आसन पर बैठकर सुबह और शाम संध्या के समय इस मन्त्र का जाप 108 बार करें।
दूसरा मंत्र- ॐ नमः भगवते वासुदेवाय कृष्णाय क्लेशनाशाय गोविंदाय नमो नमः।
इस मंत्र को जब दोहराना चाहिए जब किसी भी व्यक्ति को आकस्मिक संकट का सामना करना पड़ रहा हो इस मंत्र के द्वारा तत्काल उस संकट से उबर सकते है।
तीसरा मंत्र- हरे राम हरे राम, राम-राम हरे हरे।
हरे कृष्णा हरे कृष्णा, कृष्ण-कृष्ण हरे हरे।।
जिस किसी को भी किसी भी मन्त्रो का उच्चारण नहीं करना आता हो या फिर कोई व्यक्ति को मंत्रो का ज्ञान ना हो तो उसे इस मंत्र का नियमित रूप से जाप करना चाहिए। इससे आप सर्वदा कृष्ण की शरण में होते है।और आप पर भगवान कृष्ण का हाथ सदैव होता है।