August 7, 2018 Blog

भारत की जन्म कुंडली 2019

BY : STARZSPEAK

By: Deepika

जन्मकुंडली’ जिसे कई लोग ‘जन्मपत्रिका’ भी कहते है, की चर्चा आज 21 वीं सदी में भी चर्चित है। हिन्दु धर्म के अनुसार व्यक्ति अपने जन्म पर आधारित ग्रह- नक्षत्र को देखते हुए जीवन में आगे बढ़ता है। कहते है कि ग्रह-नक्षत्र को देखकर मनुष्य अपना जीवन जीता है तो बड़े से बड़े अनर्थ को टाल सकता है और जीवन को गहरे संघर्ष से बचाकर आसान जिदंगी जी सकता है। लेकिन यह भी सच है कि मनुष्य अपने कर्मों की सज़ा जरूर भुगतता है, जन्म कुंडली के आधार पर पीड़ा को पहचान कर उसका उपाय कर पीड़ा कम करने की कोशिश की जा सकती है।

यह तो हो गई इंसान की जन्मकुंडली की बात, अब बात करते है हमारे देश भारतदेश की जन्मकुंडली की। इतिहास के अनुसार भारत देश की रचना कोई हज़ार-दो हज़ार साल नहीं है बल्कि पुराणों और वेदों के अनुसार यह कहा जाता है कि जब पृथ्वी पर मनुष्य जीवन संभव हुआ और साथ ही जब से मानव जाति को जीवन जीने की समझ आई तभी से भारत की रचना हुई। अर्थात् सबसे पहले इंसानों द्वारा भारत देश ही पैदा हुआ। परन्तु यह भी सच है कि भारत देश का समय-समय पर पहले से नाम बदलता हुआ आ रहा है। जहां पहले भारत को आर्यवर्त नाम से पुकारा जाता था , तो फिर वहीं धीरे-धीरे समयानुसार इसका नाम बदलता गया और अब इसका नाम भारत हो गया।


भारत देश के उदय होने के समय से जन्मकुंडली को बताना कोई सहज काम नही है। वेदों और पुराणों के अनुसार भी इसके सही समय़ का पता लगाना भी नामुमूकिन है। हां यदि हम स्वतंत्र भारत की बात करे और इसकी जन्मकुंडली की चर्चा करें तो विद्वानों और ज्योतिषियों द्वारा आज़ाद भारत की जन्मकुंडली ज्ञात की जा सकती है।

जन्मकुंडली जानने के लिए इसका विवरण इस प्रकार से है-

कुंडली विवरण – तिथि 15 अगस्त 1947, 

समय रात्रि 00:00, 

स्थान- दिल्ली

इस तारीख और समय विवरण से आज़ाद भारत देश का वृषभ लग्न और कर्क राशि की कुंडली बनती है।

अगर हम शास्त्रों के अनुसार वृषभ लग्न की प्रकृति पर चर्चा करे तो वृषभ लग्न का स्वाभाव बड़ा ही शर्मिला, शांति प्रिय, तमाम प्रकार के कष्ट सहने वाला, समझोता करने वाला, दबाव झेल कर भी कुछ ना बोलने वाला, मेहनती और संघर्षरत, पड़ोसियों द्वारा प्रताड़ित, सहज ही मित्र बनाने वाला, किसी के भी विश्वास में आ जाने वाला, भोले स्वाभाव वाला, शोषित और चुप रह कर समाज को ढोने वाला होता है, और यही सब गुण भारत की प्रक्रति और स्वाभाव को दर्शाते है |

इसी प्रकार शास्त्रों के अनुसार कर्क राशि के स्वभाव पर चर्चा करें तो हम पाते है की यह एक कुटिल व सफल राजनीतिक, बात का धनी , चतुर स्वाभाव वाला होता है | 

15 अगस्त, 1947 को रात्रि 12 बजे आधिकारिक तौर पर नए भारत का जन्म हुआ या यूं कहिए कि यह भारत देश का पुनर्जन्म हुआ। तो इस पर भी कई विद्वानों के कई सवाल यह भी थे, क्या 15 अगस्त, 1947 ही भारत देश का वास्तविक उद्भव समय है? इस बात पर विद्वानों में मतभेद रहें, परन्तु यह सत्य है कि उस दिन एक बहुत ही बड़ी और ऐतिहासिक घटना घटी, और वर्तमान में भारत की सामाजिक, राजनैतिक, आर्थिक, भौगोलिक; अर्थात लगभग सभी परिस्थितियों की एक नई परिभाषा बनाई गई। यह भी एक पुनर्जन्म तो कहा ही जायेगा। 

देश की जन्म कुंडली के अनुसार 15.08.1947 को चंद्रमा पुष्य नक्षत्र में था जिसके स्वामी शनि हैं। इसलिए भारत को आजादी शनि की महादशा में प्राप्त हुई थी।  शनि की महादशा भारत के लिए शुभ फलदायी रही। शनि की महादशा में 1947 से 1965 तक भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध में दोनों बार भारत को सफलता प्राप्त हुई।