July 30, 2018 Blog

ये तिथियां होती है बहुत अशुभ|

BY : Dr. Sandeep Ahuja – Ayurvedic Practitioner & Wellness Writer

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By: Rajnisha                    

भारत विश्व में  अपने ज्ञान , सभ्यता और संस्कृति के लिए विख्यात है। भारत अपने ज्ञान के कारण प्राचीन काल से ही विश्व में शीर्ष स्थान पर रहा है । भारत के लोग प्राचीन काल से ही ग्रहो और सौर मंडल के विषय में विस्तृत जानकारी रखते थे । इसी आधार पर वे अपने कार्यो को संचालित करते थे । भारत के हिंदी महीनो के दिन चन्द्रमा के घटने एवं बढ़ने के आधार पर आधारित है । वर्ष में सूर्य की भी अहम भूमिका होती है । भारत के 18 पुराणों में से गरुण पुराण में तिथियों का विस्तृत वर्णन मिलता है । आइये आज हम जानते है की किन तिथियों में कार्य करने से हमे सफलता के स्थान पर असफलता का मुँह देखना पड़ सकता है -


तिथियां जो देती है अशुभ फल -

शुभ कार्यो के लिए चौथी , षष्ठी , अष्टमी ,नवमी ,द्वादश , चतुर्दशी एवं कुछ अमावस्या भी विशेष परिस्थितियों  में अशुभ फल देती है । पुराणों के अनुसार इन तिथियों में कोई भी शुभ कार्य करने से बचना चाहिए । कुछ विशेष स्थितियों  को छोड़ दे तो ये तिथियां शुभ फल नहीं देती है । इन तिथियों को पक्ष चित्रा  तिथियां अर्थात कमजोर तिथियों के नाम से जाना जाता है । इन तिथियों में व्यक्ति बुरे विचारो से ग्रसित रहता है । इन तिथियों से व्यक्ति के कमजोर मन और व्यवहार का विश्लेषण किया जाता है ।


             चतुर्थ ,अष्टम ,द्वादश एवं पंचदश  तथा संक्रांति काल के समय पड़ने वाली तिथियों को पर्व तिथि अर्थात टूटने वाली तिथियों के नाम से जाना जाता है । इन तिथियों में बदलाव एवं किये गए परिवर्तन अच्छे परिणाम नहीं देते है । इस समय किये गए कार्य अच्छे परिणाम नहीं देते है । किन्तु मुलभुत बदलावों के लिए ये तिथियां अच्छे परिणाम प्राप्त होते है ।


                शुक्ल पक्ष की प्रथमा एवं कृष्ण पक्ष की एकादश ,द्वादश ,त्रयोदश ,चतुर्दस एवं अमावस्या को किसी अच्छे कार्य की शुरूआत के लिए अच्छा नहीं माना जाता है । इन तिथियों के समय डूबा चन्द्रमा होने के कारण ये तिथियां सूक्ष्म फलदायी होती है ।


                 शुक्ल पक्ष की प्रथम पांच तिथियां शुभ फलदायी मानी जाती है । कृष्ण पक्ष की अंतिम पांच तिथियां अंधी तिथियां मानी जाती है इन तिथियों में कोई शुभ कार्य करने से बचना चाहिए । सूर्योदय के साथ समाप्त हो जाने वाली तिथि शुभ मानी जाती है । यदि कोई तिथि दो सूर्यो तक रहे तो ऐसी तिथि को अंधी तिथि माना जाता है ।


                   व्यक्ति के जन्म का पक्ष एवं तिथि उस व्यक्ति के कर्यो की पूर्ति के लिए शुभ फलदायी नहीं मानी जाती ।इसी प्रकार  शून्य तिथि में कोई भी कार्य करने से व्यक्ति को बचना चाहिए ।

Author: Dr. Sandeep Ahuja – Ayurvedic Practitioner & Wellness Writer

Dr. Sandeep Ahuja, an Ayurvedic doctor with 14 years’ experience, blends holistic health, astrology, and Ayurveda, sharing wellness practices that restore mind-body balance and spiritual harmony.