लेखक: सोनू शर्मा
हमारे शास्त्रों में ऐसे बहुत से मंत्रो के बारे में बताया गया है जिनका जाप करने से व्यक्ति के मन में सकारात्मकता रहती है तथा मन शांत रहता है धर्म । शास्त्रों के अनुसार, श्रीमद्भागवत का पाठ करने से व्यक्ति के पापों का नाशहोता है और पुण्य प्राप्त होता है लेकिन आज के इस आधुनिक युग में जहाँ व्यक्ति के पास समय का आभाव है वहाँ लोग पूजा अर्चना के लिए समय नहीं निकाल पाते । कहा जाता है कि श्रीमद्भागवत में लिखे सिर्फ एक मंत्र कोपढ़ने से भी व्यक्ति को पूरी श्रीमद्भागवत पढ़ने का फल मिल सकता है, इस मंत्र को एक श्लोकी भागवत कहा गया है। यह मंत्र इस प्रकार है-
मंत्र
आदौ देवकी देव गर्भजननं, गोपी गृहे वद्र्धनम्।
माया पूज निकासु ताप हरणं गौवद्र्धनोधरणम्।।
कंसच्छेदनं कौरवादिहननं, कुंतीसुपाजालनम्।
एतद् श्रीमद्भागवतम् पुराण कथितं श्रीकृष्ण लीलामृतम्।।
अच्युतं केशवं रामनारायणं कृष्ण:दामोदरं वासुदेवं हरे।
श्रीधरं माधवं गोपिकावल्लभं जानकी नायकं रामचन्द्रं भजे।।
पूजन विधि
प्रातः काल उठकर स्नान करने के पश्चात् साफ़ सुधरे वस्त्र धारण करे और भगवान श्रीराम की पूजा अर्चना करें। भगवान श्रीराम की मूर्ति के सामने बैठे और तुलसी की माला से ऊपर लिखे हुए मंत्र का जाप करें। रोजाना पांच माला का जाप करे, यदि आप रोजाना एक ही समय उसी आसन पर बैठकर जाप करेंगे तो अच्छा रहेगा । ध्यान रखे की जाप करते वक़्त आपका मन शांत हो और आप एकाग्रता के साथ जाप करे । मन की शुद्धि के लिए इससे बेहतर कुछ नहीं है ।
कहा जाता है की जिस घर में नित्य श्रीमद्भागवत का पाठ होता है वहाँ हमेशा खुशहाली रहती है और उस घर में कभी भी आर्थिक तंगी नहीं होती । श्रीमद्भागवत एक ज्ञान यज्ञ है, इसका पाठ करने से जीवन धन्य हो जाता है और मनुष्य अपना कल्याण कर सकता है।