हर व्यक्ति की भोजन करने की आदते अलग - अलग होती है । ज्योतिष शास्त्र के अध्यन के माध्यम से व्यक्ति को कैसा खाना पसंद है यह जाना जा सकता है । व्यक्ति की कुंडली में दूसरा भाव भोजन सम्बन्धी आदतों को दर्शाता है । यदि दूसरे भाव का स्वामी उच्च का हो या अपनी मूल त्रिकोण राशि में स्थित हो या उस पर शुभ ग्रहों की दृष्टि हो तो वह व्यक्ति भोजन धीरे - धीरे स्वाद लेकर करता है ।
यदि किसी कुंडली में छटे भाव में बुध या गुरु स्थित हो तो ऐसे व्यक्ति नमकीन पदार्थ अधिक रुचिकर होते है, यदि बुध पाप ग्रहों के साथ युति करे तो उस व्यक्ति को मीठा भोजन बिलकुल रुचिकर नहीं लगता । इसी प्रकार छटे भाव में सिंह राशि हो तो ऐसे व्यक्ति को मांसाहारी भोजन में रूचि होती है ।
अगर किसी कुंडली में लग्न भाव में गुरु स्थित हो तो ऐसा व्यक्ति खाने का शौकीन होता है तथा वह भोजन बहुत अधिक मात्रा में करता है, इसी प्रकार दूसरे भाव में यदि मेष, तुला, मकर या कर्क राशि हो और दूसरे भाव को शुभ ग्रह देखे तो वह व्यक्ति भोजन करने में आतुरता नहीं दिखता और वह इत्मीनान से भोजन करता है । दूसरे भाव में पाप ग्रह स्थित हो तो वह व्यक्ति भोजन करने में बहुत समय लगाता है ।
दूसरे भाव का स्वामी यदि पाप ग्रह हो या उसका सम्बन्ध पाप ग्रहों से बने तो ऐसा व्यक्ति भोजन लोलुपी होता है । भोजन करने के बाद भी उसका मन नहीं भरता। यदि लग्न में गुरु हो लेकिन मंगल, सूर्य और गुरु कमजोर हो तो ऐसे व्यक्ति का पाचन तंत्र ठीक काम नहीं करता और उसे भोजन ठीक से नहीं पचता ।
Dr. Sandeep Ahuja, an Ayurvedic doctor with 14 years’ experience, blends holistic health, astrology, and Ayurveda, sharing wellness practices that restore mind-body balance and spiritual harmony.