रुद्राक्ष के वृक्ष अधिकतर हिमालय और पश्चिमी घाटों में पाए जाते है | प्राचीन मान्यता के अनुसार रुद्राक्ष की उत्पत्ति भगवान शिव के अश्रु से मानी जाती है | भगवान शिव की आँखों से निकले अश्रु पृथ्वी पर जहाँ भी गिरे उस जगह जो वृक्ष उत्पन्न हुए वे रुद्राक्ष के वृक्ष और इन वृक्षों पर लगने वाले फल रुद्राक्ष अर्थात रूद्र अक्षि कहलाये |
रुद्राक्ष धारण करने वाले व्यक्ति के पापो का नाश हो जाता है | पुण्य में वृद्धि होती है | नकारात्मक ऊर्जा निष्प्र्भाव हो जाती है | रोग शोक का नाश हो जाता है | सभी देवी देवता प्रसन्न रहते है | रुद्राक्ष गोल, चिकने , दृण कांटेदार एवं सीधी रेखा वाले होते है | रुद्राक्ष किसी भी प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा से रक्षा के लिए एक असरदार एवं मजबूत कवच है | ये जरूरी नहीं की कोई आपका अहित करे तभी आपको सुरक्षा की आवश्यकता होगी आप यदि अधिक यात्रा करते है तब भी रास्ते में मिलने वाली हर नकारात्मक ऊर्जा से रुद्राक्ष आपकी रक्षा करता है | किसी भी वातावरण को आसानी से आपके अनुकूल बना सकता है |
सन्यासी गण रुद्राक्ष को इस लिए ही धारण करते थे क्योकि वे एक स्थान पर अधिक समय तक नहीं रूकते , अनजान जगह में रुद्राक्ष हर प्रकार से उनकी रक्षा करता है | रुद्राक्ष से स्वच्छ जल का पता लगाया जा सकता है ,सन्यासी रुद्राक्ष की सहायता से जल पीने योग्य है या नहीं इसका पता लगाते थे | इसके अतिरिक्त विषाक्त भोजन को भी रुद्राक्ष से पहचाना जा सकता है |
* एक रेखा वाले रुद्राक्ष को एक मुखी रुद्राक्ष कहते है , इसी प्रकार जिस रुद्राक्ष में जितनी रेखा होती है वह उतने मुखी रुद्राक्ष कहलाता है | एक मुखी रुद्राक्ष शिव रूप माना जाता है यह सबसे अच्छा रुद्राक्ष माना जाता है इसे सन्यासी धारण करते है मोक्ष प्राप्ति के लिए |
* दो मुखी रुद्राक्ष शिव पार्वती स्वरूप माना जाता है ,इसे हर मनोकामना की पूर्ति के लिए धारण किया जाता है |
* तीन मुखी रुद्राक्ष ब्रह्मा , विष्णु एवं शिव तीनो देवो का स्वरूप माना जाता है , इसे धारण करने से ज्ञान की प्राप्ति होती है |
* चार मुखी रुद्राक्ष ब्रह्मरूपी रुद्राक्ष माना जाता है , इसे धारण करने से चतुर्विध फल की प्राप्ति होती है |
* पंचमुखी रुद्राक्ष पांचमुख वाले भगवान शिव का प्रतीक है | यह सभी पापो एवं शोको का नाश करने वाला है |
* छह मुखी रुद्राक्ष भगवान कार्तिक स्वरूप है जो शत्रुओ से मुक्ति दिलाता है |
* सातमुखी रुद्राक्ष कामरूपी रुद्राक्ष माना जाता है जो धन ,सुख एवं ऐश्वर्य में वृद्धि करता है |
* नौ मुखी रुद्राक्ष देवी के नव स्वरूपों को दर्शाता है यह मनुष्यो को सर्वसिद्धि प्रदान करता है |
* दशमुखी रुद्राक्ष भगवान विष्णु के दश अवतारों का प्रतीक स्वरूप है , यह सभी मनोकामना को पूर्ण करता है |
* ग्यारह मुखी रुद्राक्ष भगवान शिव के रूद्र स्वरूप का प्रतीक है , यह विजय का मार्ग प्रशस्त करता है और असमय कष्टों से रक्षा करता है |
* बारह मुखी रुद्राक्ष सूर्य का प्रतीक है जो यश वृद्धि करता है |
* तेरह मुखी रुद्राक्ष भगवान के विश्व रूप का प्रतीक है जो सौभग्य में वृद्धि करता है और मंगलकारी है |
* और मानसिक शांति के लिए चौदह मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए |
Dr. Sandeep Ahuja, an Ayurvedic doctor with 14 years’ experience, blends holistic health, astrology, and Ayurveda, sharing wellness practices that restore mind-body balance and spiritual harmony.