August 10, 2017 Blog

क्या कहता है ओरा शास्त्र!

BY : STARZSPEAK

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लेखक: सोनू शर्मा

ओरा या आभामंडल एक ऐसी ऊर्जा है जो निरंतर हमारे शरीर से प्रवाहित होती है और हमारे चारों ओर एक चक्र के रूप में घूमती रहती है । यह चक्र देवी - देवताओं, भगवान ओर सिद्ध पुरुषों के सिर के पीछे निरंतर घूमता रहता है, हम इस आभामंडल को देख नहीं सकते लेकिन महसूस कर सकते है ।

जब हम किसी व्यक्ति से मिलते है तो हमे उससे मिलकर बहुत सकून महसूस होता है, अच्छा लगता है तथा हम चाहते है की वह व्यक्ति हमे दोबारा मिले लेकिन इसके बिलकुल विपरीत किसी से मिलकर हमे बेचैनी का अनुभव होने लगता है तथा हम ऐसा महसूस करते है की वह व्यक्ति वहाँ से जल्दी चला जाए तथा हम उससे दोबारा नहीं मिलना चाहते, यह सब उस व्यक्ति में विद्यमान ओरा के कारण होता है जो हमे सकारात्मक व नकारात्मक अनुभूति देती है  ।

इसी प्रकार किसी जगह या किसी भगवान के दर्शन से या किसी गुरु से मिलकर इतनी आत्मिक शांति महसूस होती है की हम बार - बार वहाँ जाना चाहते है, यह सब वहाँ के ओरा की वजह से होता है । जो लोग नियमित मैडिटेशन करते है, सात्विक जीवन जीते है उनमे ओरा को महसूस करने की क्षमता बहुत अधिक होती है । जिन व्यक्तियों का ओरा जितना सशक्त होता है वह रोगों से बचाव करता है क्योकि ओरा हमारे शरीर की कवच की तरह रक्षा करता है ।

ओरा में अलग - अलग रंग होते है । लाल रंग का ओरा व्यक्ति में सफल जीवन, शक्ति, साहस तथा संघर्ष वृति दर्शाता है, वही ऑरेंज रंग भावना, आत्मविश्वास तथा अंतर्मन बताता है । पीला रंग व्यक्ति कितना आशावादी है ओर कितना हँसमुख है यह बताता है ।