कोई भी व्यक्ति जब नौकरी करता है तो उसका स्थानांतरण होना एक स्वाभाविक बात है । कभी - कभी यह स्थानांतरण प्रमोशन की वजह से होता है, कभी यह उच्च पोस्ट पर बैठे लोगों से तालमेल न बैठने की वजह से होता है । कभी - कभी ऐसी जगह स्थानांतरण होता है जहाँ व्यक्ति की इच्छा न होते हुए भी कार्य करना पड़ता है और स्थिति बहुत दुखद हो जाती है ।
कुंडली में केंद्र भाव अर्थात पहला भाव, चौथा भाव, सप्तम भाव तथा दशम भाव पीड़ित हो तो या अशुभ हो तो यह स्थानांतरण दर्शाता है, यदि किसी जातक की लग्नेश की, दशमेश की तथा उच्च के ग्रह की दशा चल रही हो तो उसमे भी स्थानांतरण हो सकता है । यदि लग्न से दशम भाव में नीच का ग्रह या अस्त ग्रह बैठा हो तथा उसकी दशा या अन्तर्दशा चल रही हो तो नौकरी में बाधा उत्पन्न होती है ।
यदि किसी जातक की कुंडली में चौथा भाव प्रभावित है तो यह स्थानांतरण का संकेत है । यदि लग्न से दशम तथा दशमांश कुंडली में दशम भाव में स्थित ग्रह, केंद्र या त्रिकोण से सम्बन्ध बनाए तथा वह पाप ग्रह हो तब उसकी दशा में भी नौकरी में रूकावट आती है और स्थानांतरण की सम्भावना होती है ।
यदि किसी कुंडली में सूर्य नीच का होकर केंद्र या त्रिकोण में स्थित हो तथा अशुभ ग्रहों से दृष्टि हो तो नौकरी में स्थानांतरण होता है । दशमेश यदि तृतीय भाव में चला जाए तो व्यक्ति का सबोर्डिनेट उसके खिलाफ हो जाता है और वह ग्रह नकारात्मक प्रभाव देता है ।
Dr. Sandeep Ahuja, an Ayurvedic doctor with 14 years’ experience, blends holistic health, astrology, and Ayurveda, sharing wellness practices that restore mind-body balance and spiritual harmony.