August 7, 2017 Blog

क्या है रक्षाबंधन का धार्मिक एवं पौराणिक महत्व!

BY : Dr. Sandeep Ahuja – Ayurvedic Practitioner & Wellness Writer

Table of Content

लेखक: सोनू शर्मा

सावन मास में आने वाला तीज के बाद रक्षाबंधन हिन्दुओं का पवित्र त्यौहार है, यह पर्व श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है और यह पर्व भाई बहन के अटूट बंधन का पर्व है । इसमें श्रद्धा व विश्वास के साथ बहन भाई को राखी बांधती है, यह त्यौहार भावनाओं का त्यौहार है ।

पुराणों के अनुसार जो कोई भी किसी की रक्षा करना चाहता है वह उससे रक्षा सूत्र बांध सकते है जैसे गुरु - शिष्य को, मित्र - मित्र को, भाई - भाई को, बहन - बहन को यह धागा बांध सकते है । इसका सामाजिक, सांस्कृतिक महत्व के साथ - साथ ऐतिसाहिक महत्व भी है । चितौड़ की महारानी कर्णावती ने अपने राज्य की रक्षा के लिए हुमायूं को राखी भेजी थी । महाभारत कालीन प्रसंग के अनुसार एक बार युद्ध करते समय श्री कृष्ण की तर्जनी ऊँगली में चोट लग गई थी तब द्रौपदी ने अपनी साड़ी का किनारा फाड़कर कृष्ण जी को बांध दिया था, इसी का ऋण कृष्ण जी ने द्रौपदी के चिर हरण से उसकी रक्षा करके चुकाया था ।

इसी प्रकार का एक प्रसंग जैन मत में आता है की विष्णुकुमार मुनि ने सात सौ मुनियो पर आए उपसर्ग को दूर करने के लिए वामन भेष धारण किया था तथा इस दिन उनकी रक्षा कि थी, ये त्यौहार जैन लोग अपने साधुओं को सेवई का आहार करा के मनाते है ।

वर्तमान परिपेक्ष्य में बहन पूजा कि थाली सजाती है, भाई की आरती उतारती है तथा भाई को तिलक लगाकर रक्षा सूत्र बांधती है । भाई बहन को उपहार देते है तथा बहन कि रक्षा का वचन देता है । इस दिन बहने अपने भाई कि लम्बी आयु कि कामना करती है ।

Author: Dr. Sandeep Ahuja – Ayurvedic Practitioner & Wellness Writer

Dr. Sandeep Ahuja, an Ayurvedic doctor with 14 years’ experience, blends holistic health, astrology, and Ayurveda, sharing wellness practices that restore mind-body balance and spiritual harmony.