April 11, 2025 Blog

नजर से बचाने वाला Evil Eye Bracelet: आस्था, असर और आज की जरूरत

BY : STARZSPEAK

Evil Eye Bracelet: भारत में एक कहावत बहुत सुनी जाती है — किसी की नज़र लग गई है। जब बच्चे अचानक बीमार पड़ जाएं, घर में कलह शुरू हो जाए, या काम में रुकावटें आने लगें — तो अक्सर लोग मानते हैं कि किसी की बुरी नज़र लगी है। यही वजह है कि सदियों से हमारे यहाँ नजर से बचने के कई उपाय अपनाए जाते रहे हैं। उन्हीं में से एक है — Evil Eye Bracelet, जिसे आजकल न केवल बड़े-बुज़ुर्ग, बल्कि युवा भी बड़े विश्वास के साथ पहनते हैं।

तो चलिए समझते हैं कि ये कंगन (Evil Eye Bracelet) आखिर है क्या, क्यों पहना जाता है, और क्या वाकई यह कुछ असर करता है या बस एक मन का भ्रम है?


नजरबट्टू की परंपरा और बदलता रूप (Tradition and changing form of Evil Eye Bracelet)

भारत में तो ‘नजर बट्टू’ कोई नई चीज़ नहीं है। पहले घरों के बाहर काले निशान बनाए जाते थे, बच्चों के माथे पर काजल का टीका लगाया जाता था, और कभी-कभी पुराने जूते तक लटकाए जाते थे ताकि नज़र न लगे। यह सब हमारी परंपरा का हिस्सा रहा है।

Evil Eye Bracelet उसी सोच का एक आधुनिक रूप है। फर्क बस इतना है कि अब ये दिखने में स्टाइलिश होता है, मोतियों और धातुओं से बना होता है, और इसे पहनना ट्रेंड बन चुका है। लेकिन इसका असली उद्देश्य आज भी वही है — बुरी नज़र से बचाव।


ये कंगन कैसे काम करता है? (How does the Evil Eye Bracelet work?)

अब बात करें इसके काम करने की — तो सीधी बात ये है कि इसका आधार पूरी तरह वैज्ञानिक नहीं है। लेकिन मानसिक और सांस्कृतिक रूप से इसका बहुत गहरा असर माना जाता है। कहा जाता है कि जब कोई आपके बारे में जलन या नकारात्मक सोच रखता है, तो उसकी ऊर्जा आपको नुकसान पहुंचा सकती है। इस Bracelet को पहनने का मतलब है — खुद के चारों ओर एक सुरक्षा घेरा बनाना, जिससे ये बुरी ऊर्जा आपके पास आने से पहले ही रुक जाए।

इसके केंद्र में होती है एक खास “नीली आँख” जो प्रतीक होती है बुरी नज़र को लौटाने की। जैसे ही कोई नकारात्मक ऊर्जा आती है, ये प्रतीक उसे वापिस भेज देता है — ऐसी मान्यता है।

evil eye bracelet


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कौन-से हाथ में पहना जाए और कैसे? 

अक्सर लोग कंफ्यूज़ रहते हैं कि इसे किस हाथ में पहनना चाहिए। मान्यता के अनुसार, बायां हाथ ऊर्जा को ग्रहण करता है, इसलिए Evil Eye Bracelet को बाएं हाथ में पहनना सबसे अच्छा माना जाता है। यह शरीर में आने वाली नकारात्मक ऊर्जा को रोकने का काम करता है।

सुबह नहाने के बाद, शुद्ध मन से इसे (Evil Eye Bracelet) पहनना शुभ माना जाता है। कुछ लोग इसे विशेष दिनों पर पहनना पसंद करते हैं, जैसे मंगलवार या शनिवार, जब हम खुद को आध्यात्मिक रूप से मज़बूत करने की कोशिश करते हैं।


पहनते समय किन बातों का रखें ध्यान?

क्या करें:
  • हर कुछ दिन बाद Bracelet को धो लें या धूप में थोड़ी देर रखें ताकि उसमें जमी नकारात्मकता साफ हो जाए।
  • जब भी टूट जाए, उसे फेंक दें और नया लें — माना जाता है कि टूटना इस बात का संकेत है कि उस Bracelet ने आपके लिए कोई नकारात्मक असर रोका।
  • पहनते समय एक प्रार्थना या सकारात्मक सोच मन में जरूर रखें।

क्या न करें:

  • किसी और को अपना Bracelet न पहनाएं।
  • टूटे हुए कंगन को दोबारा उपयोग में न लाएं।
  • इसे पहनकर शराब पीने या अपवित्र स्थानों पर जाने से बचें।

बुरी नजर कंगन के फायदे (Benefits Of Evil Eye Bracelet)

1. मानसिक सुरक्षा का एहसास

जब इंसान को लगे कि वह किसी बुरी शक्ति से सुरक्षित है, तो मन अपने आप शांत हो जाता है। यह Bracelet एक तरह से आपके मन को विश्वास देता है कि अब सब ठीक रहेगा।

2. तनाव और डर में कमी

कई बार हमारी परेशानियों का कारण बाहरी नहीं, बल्कि आंतरिक डर और चिंता होती है। जब हमें लगे कि कोई चीज़ हमें बचा रही है, तो हमारा दिमाग थोड़ा हल्का महसूस करता है। यह असर छोटा दिख सकता है, पर बहुत गहरा होता है।

3. घर-परिवार में शांति

ऐसा देखा गया है कि कई लोग Bracelet पहनने के बाद कहते हैं कि घर में पहले से ज़्यादा सुकून और तालमेल महसूस होने लगा है। यह ऊर्जा का असर हो सकता है या केवल मन की शांति — पर फर्क ज़रूर पड़ता है।


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कैसे जानें कि बुरी नजर कंगन असली है? (How to know the Evil Eye Bracelet is real)

आजकल बाज़ार में इतने विकल्प हैं कि असली-नकली का फर्क समझना मुश्किल हो जाता है। यहां कुछ बातें हैं जो ध्यान में रखें:

  • सामग्री की क्वालिटी देखें: असली Bracelet आमतौर पर कांच, क्रिस्टल या किसी प्रामाणिक धातु से बना होता है। अगर वो बहुत हल्का, प्लास्टिक जैसा लग रहा है — तो सावधान रहें।
  • उसकी फिनिशिंग देखें: असली कंगनों में नीली आँख स्पष्ट, गहरे रंग की और बराबर बनी होती है।
  • ब्रांड या विश्वसनीय स्रोत से खरीदें: लोकल स्टॉल की बजाय किसी ऐसे विक्रेता से खरीदें जिसकी पहचान हो।
  • बहुत सस्ते प्रोडक्ट से बचें: अगर कोई Bracelet बहुत ही कम कीमत में मिल रहा है, तो उसकी असली गुणवत्ता पर शक करना लाज़मी है।

क्या इसमें कोई साइंस है?

वैज्ञानिक नजरिए से अगर देखें तो यह Bracelet किसी रेडिएशन को नहीं रोकता या ऊर्जा को मापता नहीं। लेकिन मनोविज्ञान कहता है कि अगर किसी चीज़ में आपका विश्वास है, तो वह चीज़ आपके मनोबल को बढ़ा सकती है। इसे ही “Placebo Effect” कहते हैं — जहाँ चीज़ का असर उसके पीछे की सोच से होता है।

जब आप किसी चीज़ को सुरक्षा मानकर पहनते हैं, तो आपका दिमाग आपको वैसे ही संकेत भेजता है। आपकी चिंता कम होती है, मन शांत रहता है, और यही मानसिक स्थिति आपके फैसलों और जीवन में स्थिरता लाती है।

भारतीय समाज में क्यों है इतनी प्रासंगिकता?

35 से 55 की उम्र वो समय होता है जब इंसान सबसे ज्यादा मानसिक और सामाजिक ज़िम्मेदारियों में उलझा होता है — घर की शांति, बच्चों का भविष्य, रिश्तों की स्थिरता और खुद का स्वास्थ्य। ऐसे में एक छोटी सी चीज़ — जैसे Evil Eye Bracelet — अगर मन को भरोसा दे दे कि मैं सुरक्षित हूं, तो उसका असर बहुत बड़ा हो सकता है।

भारत जैसे देश में, जहां संस्कृति और आस्था एक-दूसरे से जुड़े हैं, वहां ये Bracelet सिर्फ एक फैशन नहीं, बल्कि मानसिक और आत्मिक सहारा बन चुका है।


निष्कर्ष: पहनें या न पहनें?

Evil Eye Bracelet को लेकर मतभेद हो सकते हैं — कोई इसे अंधविश्वास माने, तो कोई इसे आस्था। लेकिन अगर इससे आपको मानसिक सुकून मिलता है, आत्मविश्वास बढ़ता है, और जीवन में स्थिरता आती है — तो इसे पहनना कोई गलत बात नहीं।

बस ध्यान रखें कि इसे सिर्फ ट्रेंड के तौर पर न पहनें, बल्कि समझ के साथ पहनें। और हाँ, इसे पहनने के साथ-साथ अपने विचार और कर्म भी सकारात्मक रखें — क्योंकि असली सुरक्षा वहीं से आती है।


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