हिन्दू धर्म में कई तरह के व्रत और पूजा का प्रावधान है | विशेष इच्छा पूर्ति के लिए विशेष देव की विशेष पूजा का प्रावधान है | इसी प्रकार 3 अगस्त की पुत्रदा एकादशी है | पुत्रदा एकादशी को निःसंतान दम्पत्तियो के लिए वरदान समझा जाता है और जिनकी संतान है वे अपनी संतान की समृद्धि और उन्नति के लिए यह व्रत कर सकते है | पुत्रदा एकादशी भगवान विष्णु की व्रत विधि है | भगवान विष्णु गृहस्थ जीवन का पालने करने वालो के मुख्य देवता है | भगवान विष्णु जहाँ पालक देवता है वहीं उनकी पत्नी माँ लक्ष्मी धन की देवी है | भगवान विष्णु की पूजा से धन- वैभव और सुख संम्पत्ति की प्राप्ति होती है | गृहस्थ जीवन का पालन करने वाले मनुष्यो को शुक्ल पक्ष की एकादशी का व्रत करना चाहिए | शुक्ल पक्ष की हर एकादशी का व्रत गृहस्थ रख सकते है | पुत्रदा एकादशी सावन मास और पौष मास में शुक्ल पक्ष में एकादशी को मनाई जाती है |
पूजा विधि -
* एकादशी के व्रत के लिए एक दिन पहले से ही सात्विक नियमो का पालना शुरू कर देना चाहिए | भोजन में लहसुन और प्याज का सेवन ना करे |
* एकादशी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठ कर शौच आदि नित्य कर्म से निवृत होकर स्नान करे |
* पुष्प , दीप , धुप आदि सामग्री से भगवान विष्णु के सहस्र नामो का जाप कर पूजन करे और मन में भगवान विष्णु से अपनी कामना कहे |
* इस व्रत में 24 घंटे के उपवास का प्रावधान है किन्तु यदि सम्भव ना हो पाए तो फल और दूध का सेवन एक समय सूर्यास्त से पूर्व कर सकते है |
* अगले दिन व्रत खोलने पर चावल ,लहसुन और प्याज का सेवन ना करे |
* रात्रि में मंदिर जाकर भगवान का दर्शन, पूजन अवश्य करे |
* व्रत के समय किसी भी अनैतिक कार्य से बचे ,ना झूठ बोले और ना किसी को अपशब्द कहे |
* व्रत में दिन में सोना भी नहीं चाहिए |