March 27, 2025 Blog

Raksha Bandhan 2025: इस साल कब है रक्षाबंधन जानिए राखी बांधने का शुभ समय और भद्रा काल

BY : Neha Jain – Cultural & Festival Content Writer

Raksha Bandhan 2025: रक्षा बंधन का पर्व भाई-बहन के अटूट प्रेम और विश्वास का प्रतीक है, जिसे हर साल सावन मास की पूर्णिमा तिथि पर मनाया जाता है। बहनें इस खास दिन का बेसब्री से इंतजार करती हैं और अपने भाई की कलाई पर राखी बांधकर उसकी लंबी उम्र और सुख-समृद्धि की कामना करती हैं। बदले में भाई भी अपनी बहनों की सुरक्षा और साथ निभाने का वचन देते हैं और उन्हें उपहार देते हैं।

साल 2025 में रक्षा बंधन (Raksha Bandhan 2025) को लेकर एक अच्छी बात यह है कि इस बार भद्रा का साया नहीं रहेगा। ज्योतिषीय मान्यताओं के अनुसार, भद्राकाल में राखी बांधना अशुभ माना जाता है, लेकिन इस साल बिना किसी विघ्न के भाई-बहन पूरे शुभ मुहूर्त में यह त्योहार मना सकेंगे। आइए जानते हैं कि 2025 में रक्षा बंधन किस दिन पड़ रहा है…

रक्षा बंधन 2025 कब है? (Raksha Bandhan Kab hai In 2025)

साल 2025 में रक्षा बंधन (Raksha Bandhan 2025 date) का पावन पर्व 9 अगस्त, शनिवार को मनाया जाएगा।

  • पूर्णिमा तिथि शुरू – 8 अगस्त, दोपहर 2:12 बजे

  • पूर्णिमा तिथि समाप्त – 9 अगस्त, दोपहर 1:24 बजे


रक्षा बंधन 2025 – राखी बांधने का शुभ मुहूर्त और भद्रा काल (Raksha Bandhan 2025 Muhurat & Bhdra Kaal)

रक्षा बंधन के दिन राखी बांधने के लिए शुभ मुहूर्त का इंतजार किया जाता है, क्योंकि भद्रा काल में राखी बांधना अशुभ माना जाता है। साल 2025 में, 9 अगस्त को राखी बांधने का शुभ समय (Raksha Bandhan 2025 Muhurat) सुबह 5:47 बजे से दोपहर 1:30 बजे तक रहेगा।

इस साल 7 घंटे से अधिक का शुभ समय उपलब्ध होगा, जिसमें बहनें बिना किसी बाधा के अपने भाई की कलाई पर राखी बांध सकती हैं। इस दौरान बहनें अपने भाइयों को राखी बांध सकती हैं और शुभ मंत्रों के साथ पूजा-अर्चना कर सकती हैं।
महत्वपूर्ण सूचना:
राखी हमेशा शुभ मुहूर्त में ही बांधनी चाहिए। भद्रा काल के दौरान राखी बांधने से बचें, क्योंकि इसे अशुभ माना जाता है। इस साल विशेष बात यह है कि भद्रा सूर्योदय से पहले ही समाप्त हो जाएगी, जिससे पूरे दिन राखी बांधने के लिए शुभ समय रहेगा और किसी भी तरह की बाधा नहीं होगी।


raksha bandhan 2025


यह भी पढ़ें - Nag Panchami 2025: इस साल कब है नाग पंचमी तथा क्या इसकी पूजाविधि एवं महत्त्व

रक्षा बंधन 2025 के शुभ योग (Auspicious Yogas of Raksha Bandhan 2025)

साल 2025 में रक्षा बंधन (Raksha Bandhan 2025) के दिन कई शुभ संयोग बन रहे हैं, जो इस पर्व को और भी खास बना देंगे। इस दिन सौभाग्य योग और शोभन योग जैसे शुभ योग बन रहे हैं, जो किसी भी कार्य के लिए बेहद मंगलकारी माने जाते हैं।

इसके अलावा, इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग भी बन रहा है, जो हर कार्य को सफल बनाने वाला योग माना जाता है। ऐसे शुभ योगों में रक्षा बंधन का पर्व मनाने से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है।


रक्षा बंधन का महत्व (Significance Of Raksha Bandhan)

रक्षा बंधन भाई-बहन के प्यार और स्नेह का अनमोल त्योहार है। इस दिन बहनें अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती हैं और उनकी लंबी उम्र और सुख-समृद्धि की कामना करती हैं। बदले में भाई अपनी बहनों को सुरक्षा का वचन देते हैं और प्यार भरे उपहार भी देते हैं।

रक्षा बंधन न केवल भाई-बहन के रिश्ते को गहरा करता है, बल्कि पारिवारिक एकता को भी मजबूत करता है। खासकर वे बहनें जो शादी के बाद अपने ससुराल चली जाती हैं, वे भी इस दिन अपने मायके जरूर आती हैं। इस लिहाज से, इसे "बिछड़ों को मिलाने वाला पर्व" भी कहा जा सकता है।

हमारे पूर्वजों ने जो भी त्योहार बनाए हैं, उनके पीछे कोई न कोई गहरा उद्देश्य होता है, और रक्षा बंधन भी उन्हीं विशेष पर्वों में से एक है, जो प्रेम, सुरक्षा और आपसी विश्वास का संदेश देता है।

यह पर्व सावन महीने की पूर्णिमा को मनाया जाता है, इसलिए इसे "राखी पूर्णिमा" भी कहा जाता है। भाई-बहन इस खास दिन का साल भर इंतजार करते हैं, क्योंकि यह न केवल उनके रिश्ते को मजबूत करता है बल्कि समाज और संस्कृति में भी इसका खास महत्व है।

ज्योतिषीय दृष्टि से रक्षा बंधन हमेशा शुभ मुहूर्त में मनाना चाहिए। खासतौर पर दोपहर का समय इस पर्व के रीति-रिवाजों के लिए शुभ माना जाता है। साथ ही, भद्रा काल में राखी बांधने से बचना चाहिए, क्योंकि इस दौरान कोई भी शुभ कार्य करना उचित नहीं माना जाता।


रक्षा बंधन का इतिहास (History Of Raksha Bandhan)

रक्षा बंधन हमें हजारों साल पुराने इतिहास और अपनी समृद्ध संस्कृति से जोड़ता है, जिससे हम अपने पूर्वजों की परंपराओं को समझने और अपनाने का अवसर पाते हैं।

रक्षा बंधन से जुड़ी कई प्राचीन कथाएं प्रचलित हैं, जिनमें से सबसे प्रसिद्ध कथा भगवान श्रीकृष्ण और द्रौपदी की है।

जब युधिष्ठिर के राज्याभिषेक के दौरान श्रीकृष्ण ने शिशुपाल के 100 अपराधों को क्षमा किया, लेकिन 101वां अपराध होते ही अपने सुदर्शन चक्र से उसका वध कर दिया। इस दौरान श्रीकृष्ण की उंगली कट गई और खून बहने लगा।

यह देखकर द्रौपदी ने तुरंत अपनी साड़ी का टुकड़ा फाड़कर उनकी उंगली पर बांध दिया। इस स्नेहपूर्ण gesture से श्रीकृष्ण भावुक हो गए और उन्होंने द्रौपदी को वचन दिया, "जब भी तुम्हें मेरी जरूरत होगी, मैं तुम्हारी रक्षा करूंगा।"

समय बीतने के साथ जब द्रौपदी का चीरहरण हो रहा था, तब श्रीकृष्ण ने अपने वचन को निभाते हुए उन्हें अखंड वस्त्र प्रदान किए और उनकी लाज बचाई।

इसी घटना को भाई-बहन के प्रेम, रक्षा और समर्पण का प्रतीक माना जाता है, और तभी से रक्षा बंधन का पर्व प्रचलन में आया।

निष्कर्ष

रक्षा बंधन 2025 (Raksha Bandhan 2025) केवल एक त्योहार नहीं, बल्कि भाई-बहन के प्रेम, विश्वास और सुरक्षा के अटूट बंधन का प्रतीक है। यह पर्व हमारी संस्कृति, परंपराओं और पारिवारिक मूल्यों को संजोकर रखता है।  इस पावन पर्व पर सभी को स्नेह, समर्पण और सुरक्षा का यह बंधन सदैव मजबूत बना रहे, यही कामना है।


यह भी पढ़ें - Hariyali Teej 2025: इस साल कब है हरियाली तीज, जानिए पूजा विधि, तिथि एवं मुहूर्त

Author: Neha Jain – Cultural & Festival Content Writer

Neha Jain is a festival writer with 7+ years’ experience explaining Indian rituals, traditions, and their cultural meaning, making complex customs accessible and engaging for today’s modern readers.