रंग पंचमी का पर्व होली के पांच दिन बाद धूमधाम से मनाया जाता है। यह हिंदू पंचांग के अनुसार चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि को आता है, जो ग्रेगोरियन कैलेंडर में आमतौर पर फरवरी या मार्च के महीनों में पड़ता है। यह दिन रंगों और उत्सव का प्रतीक है, जहां लोग गुलाल उड़ाते हैं और रंगों से खेलते हैं।
इस साल रंग पंचमी का पर्व (Rang Panchami Date) 19 मार्च 2025, बुधवार को मनाया जाएगा।
18 मार्च, सुबह 10:09 बजे से 20 मार्च, दोपहर 12:37 बजे तक
अब इस उल्लास भरे आयोजन में बस कुछ ही दिन शेष हैं, तो तैयार हो जाइए रंगों से सराबोर होने के लिए!
'रंग' का अर्थ है रंग, और 'पंचमी' का तात्पर्य पंचम यानी पांचवें दिन से है। इसलिए, देश के कुछ हिस्सों में रंग पंचमी के दिन भी होली खेलने की परंपरा है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार, यह पर्व ‘रज-तम’ गुणों पर विजय का प्रतीक है, जो आध्यात्मिक उन्नति में बाधा उत्पन्न करते हैं। इसे विशेष रूप से मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, गोवा और उत्तर भारत के कुछ इलाकों में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है।
यह भी पढ़ें: Holika Dahan 2025 : इस साल कब किया जायेगा होलिका दहन और क्या है दहन का शुभ मुहूर्त
रंग पंचमी का उत्सव होली की तरह ही उमंग और उल्लास से भरा होता है। इस दिन लोग अपने परिवार और दोस्तों के साथ रंग खेलते हैं और खुशियां मनाते हैं। इसके अलावा, हिंदू भक्त भगवान कृष्ण और देवी राधा की विशेष पूजा-अर्चना करते हैं। यह अनुष्ठान उनकी दिव्य एकता और प्रेम को श्रद्धांजलि देने के लिए किया जाता है।
सूर्योदय – 19 मार्च, सुबह 6:35 बजे
सूर्यास्त – 19 मार्च, शाम 6:33 बजे
पंचमी तिथि का समय – 18 मार्च, रात 10:09 बजे से 20 मार्च, रात 12:37 बजे तक
रंग पंचमी एक आनंदमय पर्व है, जो भारत के विभिन्न हिस्सों में पूरे जोश और उल्लास के साथ मनाया जाता है। होली के ठीक पांच दिन बाद आने वाला यह त्योहार भी रंगों और हर्षोल्लास से भरपूर होता है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, होलिका दहन (Holika Dahan) के दौरान जलने वाली अग्नि वातावरण में मौजूद रज-तम (नकारात्मक ऊर्जा) तत्वों को नष्ट कर देती है। इससे वातावरण में शुद्धता और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। इस दिन रंगों के माध्यम से देवताओं का आह्वान किया जाता है, जिससे आध्यात्मिक ऊर्जा और सौहार्द का विस्तार होता है।
रंग पंचमी (Rang Panchami 2025) का एक और महत्वपूर्ण पहलू ‘पंच तत्व’ से जुड़ा है। इस पर्व का मुख्य उद्देश्य ब्रह्मांड को बनाने वाले पाँच तत्वों – पृथ्वी, प्रकाश, जल, आकाश और वायु – को सक्रिय करना है। ऐसा माना जाता है कि मानव शरीर भी इन्हीं तत्वों से निर्मित होता है, और इनका संतुलन जीवन में समृद्धि और सकारात्मकता बनाए रखने में सहायक होता है। रंग पंचमी का त्योहार इन तत्वों को जागृत कर जीवन में संतुलन और खुशहाली लाने का प्रतीक माना जाता है।प्राचीन काल से ही होली का उत्सव फाल्गुन माह में कई दिनों तक मनाया जाता था। एक समय ऐसा भी आया जब रंग पंचमी (Rang Panchami 2025) ने होली के समापन उत्सव के रूप में अपनी पहचान बना ली थी। हालांकि, इसका मूल उद्देश्य होली के रंगीन पर्व को और आगे बढ़ाना और आनंद को बढ़ाना था। यह त्योहार फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है।
मान्यता है कि इस दिन श्रद्धा और भक्ति के साथ पूजा करने से मां दुर्गा की विशेष कृपा प्राप्त होती है। देवी दुर्गा का स्मरण करने से न केवल जीवन में सुख-समृद्धि आती है, बल्कि कुंडली में मौजूद नकारात्मक प्रभाव और दोष भी समाप्त हो जाते हैं।
रंग पंचमी (Rang Panchami 2025) का हिंदू संस्कृति में विशेष महत्व है। जैसे होली से पहले होलिका दहन किया जाता है, जिससे वातावरण की रजसिक और तामसिक ऊर्जा नष्ट होती है और एक शुद्ध और सकारात्मक वातावरण का निर्माण होता है। इसी तरह, रंग पंचमी भी सकारात्मकता और आनंद फैलाने का पर्व है।
इसके अलावा, यह पर्व रजस और तमस पर विजय का प्रतीक भी माना जाता है। यह ब्रह्मांड के पांच मूल तत्वों – पृथ्वी, अग्नि, जल, आकाश और वायु – का सम्मान करता है, जो न केवल सृष्टि बल्कि मानव शरीर का भी आधार हैं। इस दिन देवताओं की पूजा की जाती है और इसे शुभ संस्कारों और धार्मिक आयोजनों के लिए भी विशेष रूप से पवित्र माना जाता है।
यह भी पढ़ें: तमिल कैलेंडर 2025