Annaprashan Ceremony: जानिए क्या है 2025 में अन्नप्राशन के शुभ मुहूर्त
BY : STARZSPEAK
क्या होता है अन्नप्राशन संस्कार (What is Annaprashan Ceremony)
सनातन धर्म में जीवन के सोलह संस्कारों का विशेष महत्व है, जिनमें से सातवाँ संस्कार अन्नप्राशन (Annaprashan Ceremony) है। हर माता-पिता के लिए यह अपने बच्चे की पहली गतिविधियों में से एक विशेष क्षण होता है। चाहे वह पहला कदम हो, पहली आवाज़, पहला शब्द या पहला भोजन—हर माता-पिता इन क्षणों को संजोते हैं और अक्सर इन्हें यादगार बनाने के लिए रिकॉर्ड भी करते हैं। जन्म के बाद पहले छह महीनों तक शिशु का पोषण माँ के दूध पर ही निर्भर रहता है। लेकिन जब शिशु पहली बार ठोस आहार ग्रहण करता है, तो इसे शुभ मुहूर्त में, उसके जन्म नक्षत्र या राशि के आधार पर करने की परंपरा है।
अन्नप्राशन शब्द संस्कृत से आया है, जिसका अर्थ है "पहली बार भोजन ग्रहण करना।" यह संस्कार बच्चे के जीवन में ठोस आहार की शुरुआत का प्रतीक है, जैसे जन्म के बाद पहली बार मां का दूध देना। इस विशेष अवसर पर बच्चे को विभिन्न प्रकार के स्वाद जैसे मीठा, नमकीन, खट्टा और मसालेदार भोजन औपचारिक रूप से चखाए जाते हैं, हालांकि बच्चा इसे पूरी तरह नहीं खाता। यह एक सांकेतिक प्रक्रिया है जो ठोस भोजन की ओर बढ़ने का संकेत देती है।
अलग-अलग क्षेत्रों में अन्नप्राशन (Annaprashan Ceremony) को विभिन्न नामों और परंपराओं के साथ मनाया जाता है। केरल में इसे चोरोनू, बंगाल में मुखे भात, और गढ़वाल की पहाड़ियों में भातखुलाई रस्म के रूप में जाना जाता है, प्रत्येक स्थान पर अपनी विशिष्ट रीति-रिवाजों के साथ यह संस्कार मनाया जाता है।
अन्नप्राशन संस्कार का महत्व (Importance Of Annaprashan Ceremony)
इससे पहले कि हम 2025 के अन्नप्राशन शुभ मुहूर्त (Annaprashan Muhurat 2025) पर बात करें, अन्नप्राशन के महत्व को समझना ज़रूरी है, । भगवद् गीता में उल्लेख है कि भोजन न केवल शरीर का, बल्कि मन, बुद्धि, तेज और आत्मा का भी पोषण करता है। भोजन जीवन का आधार है और यही वजह है कि शास्त्रों में केवल शुद्ध और सात्त्विक आहार ग्रहण करने पर ज़ोर दिया गया है। शुद्ध आहार से शरीर के साथ-साथ मन की शुद्धता भी बनी रहती है, जिससे सकारात्मक विचार और भावनाओं का विकास होता है।
अन्नप्राशन संस्कार (Annaprashan Ceremony) का उद्देश्य शिशु को शुद्ध, सात्विक और पोषक भोजन से परिचित कराना है, ताकि उसके मानसिक और शारीरिक विकास पर अनुकूल प्रभाव पड़े। यही कारण है कि इस संस्कार को जीवन के प्रारंभिक चरण में अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है।
अन्नप्राशन संस्कार कब किया जाता है (When is Annaprashan Ceremony performed?)
अब सवाल उठता है कि अन्नप्राशन संस्कार (Annaprashan Ceremony) कब किया जाए? इस संबंध में अनुभवी ज्योतिषी अन्नप्राशन मुहूर्त 2025 (Annaprashan Muhurat 2025) के बारे में सटीक जानकारी प्रदान कर सकते हैं। अन्नप्राशन मुहूर्त को "चावल खिलाने की रस्म" के रूप में भी जाना जाता है। शास्त्रों के अनुसार, यह संस्कार (Annaprashan Ceremony) तब करना उत्तम माना जाता है जब शिशु छह से सात महीने का हो जाता है। लड़कों के लिए यह आमतौर पर सम महीनों में किया जाता है, जैसे, छटवें, आंठवे, दसवें या बारहवें महीने में, जबकि लड़कियों के लिए विषम महीनों में, जैसे पांचवे, सातवें, नवें या ग्यारहवें महीने में। इस उम्र तक आमतौर पर शिशु के दांत आने लगते हैं और उसका पाचन तंत्र हल्का भोजन पचाने के लिए तैयार हो जाता है। इस आधार पर मुहूर्त की तारीखों में बदलाव किया जा सकता है।
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अन्नप्राशन शुभ मुहूर्त 2025 (Annaprashan Muhurat 2025)
जनवरी 2025 : अन्नप्राशन मुहूर्त (Annaprashan Muhurat 2025 Of January)
- 1 जनवरी 2025
शुभ मुहूर्त: सुबह 7:50 से सुबह 10:20 तक, उत्तराषाढ़ा
शुभ मुहूर्त: शाम 7:05 से रात 11:30 तक, उत्तराषाढ़ा
- 2 जनवरी 2025
शुभ मुहूर्त: सुबह 7:50 से सुबह 10:15 तक, श्रवण
शुभ मुहूर्त: शाम 6:59 से रात 11:30 तक, श्रवण
- 6 जनवरी 2025
शुभ मुहूर्त: सुबह 8:25 से दोपहर 12:50 तक, उत्तरा भाद्रपद
- 8 जनवरी 2025
शुभ मुहूर्त: शाम 4:20 से शाम 6:30 तक, भरणी
- 13 जनवरी 2025
शुभ मुहूर्त: रात 8:35 से रात 10:50 तक, आर्द्रा
- 15 जनवरी 2025
शुभ मुहूर्त: सुबह 7:55 से दोपहर 12:15 तक, पुष्य
- 30 जनवरी 2025
शुभ मुहूर्त: शाम 5:10 से रात 10:30 तक, धनिष्ठा
- 31 जनवरी 2025
शुभ मुहूर्त: सुबह 7:45 से सुबह 9:50 तक, पूर्वा भाद्रपद
शुभ मुहूर्त: दोपहर 11:20 से शाम 5:00 तक, पूर्वा भाद्रपद
शुभ मुहूर्त: शाम 7:25 से रात 11:55 तक, पूर्वा भाद्रपद
फरवरी 2025 : अन्नप्राशन मुहूर्त (Annaprashan Muhurat 2025 Of Febuary)
- 7 फरवरी 2025
शुभ मुहूर्त: सुबह 7:40 से सुबह 7:50 तक, रोहिणी
शुभ मुहूर्त: सुबह 9:20 से दोपहर 2:18 तक, रोहिणी
शुभ मुहूर्त: शाम 4:40 से रात 11:25 तक, रोहिणी, मृगशिरा
- 10 फरवरी 2025
शुभ मुहूर्त: सुबह 7:40 से सुबह 9:10 तक, पुनर्वसु
शुभ मुहूर्त: सुबह 10:40 से शाम 6:40 तक, पुनर्वसु
- 17 फरवरी 2025
शुभ मुहूर्त: सुबह 8:40 से दोपहर 1:40 तक, चित्रा
शुभ मुहूर्त: शाम 3:59 से रात 10:40 तक, चित्रा
- 26 फरवरी 2025
शुभ मुहूर्त: सुबह 8:15 से दोपहर 1:00 तक, श्रवण, धनिष्ठा
मार्च 2025 : अन्नप्राशन मुहूर्त (Annaprashan Muhurat 2025 Of March)
- 3 मार्च 2025
शुभ मुहूर्त: रात 9:59 से रात 12:05 तक, अश्विनी
- 6 मार्च 2025
शुभ मुहूर्त: सुबह 7:40 से दोपहर 12:30 तक, रोहिणी
- 24 मार्च 2025
शुभ मुहूर्त: सुबह 6:55 से सुबह 9:25 तक, उत्तराषाढ़ा
शुभ मुहूर्त: दोपहर 1:40 से शाम 6:10 तक, उत्तराषाढ़ा
- 27 मार्च 2025
शुभ मुहूर्त: सुबह 7:45 से दोपहर 1:30 तक, शतभिषा
शुभ मुहूर्त: शाम 3:50 से रात 10:30 तक, शतभिषा
- 31 मार्च 2025
शुभ मुहूर्त: सुबह 7:30 से सुबह 9:00 तक, अश्विनी
शुभ मुहूर्त: सुबह 10:59 से दोपहर 3:25 तक, अश्विनी, भरणी
अप्रैल 2025 : अन्नप्राशन मुहूर्त (Annaprashan Muhurat 2025 Of April)
- 2 अप्रैल 2025
शुभ मुहूर्त: दोपहर 1:05 से शाम 7:50 तक, कृतिका
- 10 अप्रैल 2025
शुभ मुहूर्त: दोपहर 2:55 से शाम 5:00 तक, उत्तरा फ़ाल्गुनी
शुभ मुहूर्त: शाम 7:35 से रात 1:25 तक, उत्तरा फ़ाल्गुनी
- 14 अप्रैल 2025
शुभ मुहूर्त: सुबह 10:05 से दोपहर 12:10 तक, स्वाति
शुभ मुहूर्त: दोपहर 2:46 से रात 11:25 तक, विशाखा
- 25 अप्रैल 2025
शुभ मुहूर्त: शाम 4:20 से रात 10:20 तक, उत्तरा भाद्रपद
- 30 अप्रैल 2025
शुभ मुहूर्त: सुबह 7:10 से सुबह 8:45 तक, रोहिणी
शुभ मुहूर्त: दोपहर 11:20 से शाम 3:40 तक, रोहिणी
मई 2025 : अन्नप्राशन मुहूर्त (Annaprashan Muhurat 2025 Of May)
- 1 मई 2025
शुभ मुहूर्त: दोपहर 1:35 से शाम 3:40 तक, मृगशिरा, आर्द्रा
- 9 मई 2025
शुभ मुहूर्त: शाम 7:55 से रात 10:00 तक, हस्त
- 14 मई 2025
शुभ मुहूर्त: सुबह 7:05 से दोपहर 12:30 तक, अनुराधा
- 19 मई 2025
शुभ मुहूर्त: शाम 7:15 से रात 11:30 तक, श्रवण
- 28 मई 2025
शुभ मुहूर्त: सुबह 9:28 से शाम 6:30 तक, मृगशिरा
शुभ मुहूर्त: शाम 8:59 से रात 10:50 तक, मृगशिरा
जून 2025: अन्नप्राशन मुहूर्त (Annaprashan Muhurat 2025 Of June)
- 5 जून 2025
शुभ मुहूर्त: सुबह 8:55 से शाम 3:40 तक, हस्त
शुभ मुहूर्त: शाम 6:10 से रात 10:35 तक, हस्त
- 16 जून 2025
शुभ मुहूर्त: सुबह 8:08 से शाम 5:20 तक, धनिष्ठा
- 20 जून 2025
शुभ मुहूर्त: दोपहर 12:39 से शाम 7:20 तक, रेवती
- 23 जून 2025
शुभ मुहूर्त: शाम 4:58 से रात 10:35 तक, रोहिणी
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जुलाई 2025 : अन्नप्राशन मुहूर्त (Annaprashan Muhurat 2025 Of July)
- 2 जुलाई 2025
शुभ मुहूर्त: सुबह 7:10 से दोपहर 1:55 तक, उत्तरा फ़ाल्गुनी
- 4 जुलाई 2025
शुभ मुहूर्त: शाम 6:35 से रात 10:10 तक, चित्रा
- 17 जुलाई 2025
शुभ मुहूर्त: सुबह 10:48 से शाम 5:35 तक, रेवती
- 31 जुलाई 2025
शुभ मुहूर्त: सुबह 7:38 से दोपहर 2:20 तक, चित्रा
शुभ मुहूर्त: शाम 4:40 से रात 9:50 तक, चित्रा
अगस्त 2025 : अन्नप्राशन मुहूर्त (Annaprashan Muhurat 2025 Of August)
- 4 अगस्त 2025
शुभ मुहूर्त: सुबह 9:39 से सुबह 11:40 तक, ज्येष्ठा
- 11 अगस्त 2025
शुभ मुहूर्त: सुबह 6:49 से दोपहर 1:40 तक, शतभिषा
- 13 अगस्त 2025
शुभ मुहूर्त: सुबह 8:59 से शाम 3:50 तक, उत्तरा भाद्रपद, रेवती
शुभ मुहूर्त: शाम 5:59 से रात 10:25 तक, उत्तरा भाद्रपद, रेवती
- 20 अगस्त 2025
शुभ मुहूर्त: शाम 3:30 से रात 10:00 तक, पुनर्वसु
सितंबर 2025: अन्नप्राशन मुहूर्त (Annaprashan Muhurat 2025 Of September)
- 5 सितंबर 2025
शुभ मुहूर्त: सुबह 7:29 से सुबह 9:40 तक, श्रवण
शुभ मुहूर्त: दोपहर 12:09 से शाम 6:10 तक, श्रवण
शुभ मुहूर्त: शाम 8:20 से रात 11:40 तक, श्रवण
शुभ मुहूर्त: सुबह 6:45 से सुबह 10:40 तक, चित्रा
शुभ मुहूर्त: दोपहर 01:09 से शाम 6:18 तक, चित्रा,स्वाति
शुभ मुहूर्त: शाम 7:49 से रात 11:12 तक, स्वाति
अक्टूबर 2025: अन्नप्राशन मुहूर्त (Annaprashan Muhurat 2025 Of October)
- 1 अक्टूबर 2025
शुभ मुहूर्त: रात 8:56 से रात 10:49 तक, उत्तराषाढ
- 2 अक्टूबर 2025
शुभ मुहूर्त: सुबह 7:42 से सुबह 7:57 तक, उत्तराषाढ़ा
शुभ मुहूर्त: सुबह 10:16 से शाम 4:21 तक, श्रवण
शुभ मुहूर्त: शाम 5:49 से रात 8:49 तक, श्रवण
- 8 अक्टूबर 2025
शुभ मुहूर्त: सुबह 7:36 से सुबह 2:19 तक (अगले दिन), अश्विनी
शुभ मुहूर्त: दोपहर 3:58 से रात 8:22 तक, अश्विनी
- 10 अक्टूबर 2025
शुभ मुहूर्त: रात 8:19 से रात 10:10 तक, कृतिका
- 22 अक्टूबर 2025
शुभ मुहूर्त: रात 9:28 से रात 11:38 तक, स्वाति
- 24 अक्टूबर 2025
शुभ मुहूर्त: सुबह 7:16 से सुबह 11:02 तक, अनुराधा
शुभ मुहूर्त: दोपहर 1:17 से शाम 5:40 तक, अनुराधा
शुभ मुहूर्त: शाम 7:25 से रात 11:30 तक, अनुराधा
- 29 अक्टूबर 2025
शुभ मुहूर्त: सुबह 8:32 से सुबह 10:44 तक, उत्तराषाढ़ा
- 31 अक्टूबर 2025
शुभ मुहूर्त: सुबह 10:45 से दोपहर 3:50 तक, धनिष्ठा
शुभ मुहूर्त: शाम 5:25 से रात 10:12 तक, धनिष्ठा, शतभिषा
नवंबर 2025: अन्नप्राशन मुहूर्त (Annaprashan Muhurat 2025 Of November)
- 3 नवंबर 2025
शुभ मुहूर्त: सुबह 7:08 से सुबह 10:24 तक, उत्तरा भाद्रपद
शुभ मुहूर्त: दोपहर 12:39 से शाम 5:00 तक, उत्तरा भाद्रपद, रेवती
शुभ मुहूर्त: शाम 6:46 से रात 10:52 तक, उत्तरा भाद्रपद, रेवती
- 7 नवंबर 2025
शुभ मुहूर्त: सुबह 7:59 से दोपहर 2:00 तक, रोहिणी
शुभ मुहूर्त: दोपहर 3:27 से रात 8:20 तक, रोहिणी
- 17 नवंबर 2025
शुभ मुहूर्त: सुबह 7:19 से दोपहर 1:20 तक, चित्रा
शुभ मुहूर्त: दोपहर 2:49 से रात 9:55 तक, चित्रा
- 27 नवंबर 2025
शुभ मुहूर्त: सुबह 7:27 से दोपहर 12:41 तक, धनिष्ठा
शुभ मुहूर्त: दोपहर 2:09 से रात 9:19 तक, धनिष्ठा
दिसंबर 2025: अन्नप्राशन मुहूर्त (Annaprashan Muhurat 2025 Of December)
- 4 दिसंबर 2025
शुभ मुहूर्त: रात 8:56 से रात 11:11 तक, रोहिणी
- 8 दिसंबर 2025
शुभ मुहूर्त: शाम 6:27 से रात 10:52 तक, पुष्य
- 17 दिसंबर 2025
शुभ मुहूर्त: शाम 5:49 से रात 10:21 तक, अनुराधा
- 22 दिसंबर 2025
शुभ मुहूर्त: सुबह 7:45 से सुबह 9:21 तक, उत्तराषाढ़ा
शुभ मुहूर्त: दोपहर 12:32 से शाम 5:22 तक, उत्तराषाढ़ा
शुभ मुहूर्त: शाम 7:46 से रात 12:00 तक (अगले दिन), उत्तराषाढ़ा
- 24 दिसंबर 2025
शुभ मुहूर्त: दोपहर 1:49 से शाम 5:12 तक, धनिष्ठा
शुभ मुहूर्त: शाम 7:36 से रात 12:02 तक (अगले दिन), धनिष्ठा
- 25 दिसंबर 2025
शुभ मुहूर्त: सुबह 7:47 से दोपहर 12:12 तक, शतभिषा
शुभ मुहूर्त: दोपहर 1:46 से शाम 3:15 तक, शतभिषा
- 29 दिसंबर 2025
शुभ मुहूर्त: दोपहर 12:06 से दोपहर 3:01 तक, अश्विनी
शुभ मुहूर्त: शाम 4:59 से रात 11:50 तक, अश्विनी, भरणी
अन्नप्राशन संस्कार की सही विधि (Method of Annaprashan Ceremony)
अन्नप्राशन संस्कार (Annaprashan Ceremony) को सही विधि से करने पर ही यह पूरे परिवार के लिए शुभ और फलदायक साबित होता है। इस संस्कार को पूर्ण रूप से निभाने के लिए माता-पिता को सबसे पहले अपने पसंदीदा देवता की पूजा करनी चाहिए, विशेष रूप से अन्नप्राशन मुहूर्त 2025 के दौरान।
इसके बाद, माता-पिता को बच्चे को चावल की खीर परोसनी चाहिए, जो इस संस्कार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। खीर को चांदी की कटोरी में परोसते हुए बच्चे को यह पकवान देना शुभ माना जाता है। यह इसलिए, क्योंकि खीर को देवताओं का भोजन माना जाता है और इसे भगवान का प्रिय प्रसाद भी माना जाता है।
अन्नप्राशन संस्कार (Annaprashan Ceremony) करते समय इस विशेष मंत्र का उच्चारण करना अत्यंत लाभकारी माना जाता है: "हे बालक! ये जौ और चावल तुम्हारे शरीर को शक्ति और पोषण प्रदान करें, यह भगवान की कृपा से तुम्हारे शरीर को सुदृढ़ और स्वस्थ बनाएं।" इस मंत्र का अर्थ है कि चावल और जौ से न केवल शारीरिक बल में वृद्धि होती है, बल्कि यह पापों और रोगों को भी नष्ट करने का कार्य करते हैं।
अन्नप्राशन संस्कार (Annaprashan Ceremony) का उद्देश्य बच्चे को ठोस आहार देने की शुरुआत करना है, और यह संस्कृत शब्द "अन्नप्राशन" से लिया गया है। इसके बाद, बच्चे को दूध, चावल, अनाज और अन्य खाद्य पदार्थों का सेवन करने की अनुमति दी जाती है, ताकि शरीर के विकास में मदद मिल सके। इस दौरान गाय के दूध और मां का दूध भी अत्यधिक महत्व रखते हैं, क्योंकि ये आहार बच्चे के शारीरिक और मानसिक विकास में योगदान करते हैं।
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