December 3, 2024 Blog

Saraswati Puja 2025: माँ सरस्वती की पूजा एवं वंदना से होता है बुद्धि का विकास

BY : STARZSPEAK

Saraswati Puja 2025: हिंदू धर्म में माता सरस्वती को ज्ञान, विद्या और कला की देवी के रूप में पूजा जाता है। ऐसा माना जाता है कि उनकी आराधना से साधक को बुद्धि, विवेक और रचनात्मकता की प्राप्ति होती है। सरस्वती पूजा को बसंत पंचमी के नाम से भी जाना जाता है, जो हर साल माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि पर बड़े ही उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाई जाती है।

इस दिन, विशेष रूप से छात्र, देवी सरस्वती की पूजा (Saraswati Puja 2025) करते हैं और अपनी पुस्तकों व अध्ययन सामग्री को भी आशीर्वाद के लिए उनके चरणों में अर्पित करते हैं। माना जाता है कि यह दिन विद्या, संगीत और कला के क्षेत्र में नई शुरुआत के लिए अत्यंत शुभ होता है। आइए जानते हैं, 2025 में सरस्वती पूजा किस दिन मनाई जाएगी।


क्या है सरस्वती पूजा 2025 तिथि एवं मुहूर्त (Saraswati Puja 2025 Date And Auspicious Time)


हिंदू पंचांग के अनुसार, सरस्वती पूजा हर साल माघ महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि पर मनाई जाती है। पंचमी तिथि 2 फरवरी को सुबह 9:14 बजे से शुरू होकर 3 फरवरी को सुबह 6:52 बजे समाप्त होगी। इस वजह से सरस्वती पूजा (Saraswati Puja 2025 Date) का महान पर्व इस वर्ष 2 फरवरी 2025 को पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ मनाया जायेगा।

इस दिन देवी सरस्वती की आराधना के लिए सुबह 7:08 बजे से दोपहर 12:34 बजे तक का समय अत्यंत शुभ माना गया है। इस अवधि में पूजा करने से माता सरस्वती की कृपा प्राप्त होती है और ज्ञान, बुद्धि व कला में वृद्धि होती है।


सरस्वती पूजा विधि (Saraswati Puja Vidhi)

  • सरस्वती पूजा (Saraswati Puja 2025) के दिन विद्यार्थियों को प्रातः स्नान कर शुद्ध हो जाना चाहिए।
  • इसके बाद पीले वस्त्र पहनना शुभ माना जाता है।
  • माता सरस्वती की प्रतिमा को एक स्वच्छ चौकी पर स्थापित करें।
  • मां को सफेद वस्त्र अर्पित करें, जो उनकी पवित्रता और ज्ञान का प्रतीक है।
  • पूजन के दौरान सरस्वती मंत्रों का जाप करें।
  • पूजा के अंत में आरती करें और माता को भोग अर्पित करें।
  • इस दिन पुस्तकों की विशेष पूजा की जाती है, इन्हें माता सरस्वती के सामने रखकर उनका आशीर्वाद लिया जाता है।


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सरस्वती पूजा का महत्व (Significance Of Saraswati Puja) 

सरस्वती पूजा (Saraswati Puja 2025) का धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से विशेष महत्व है। इस दिन विद्या की देवी मां सरस्वती की आराधना की जाती है, जो छात्रों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। सरस्वती पूजा के अवसर पर विद्यारंभ संस्कार भी किया जाता है, जिसमें छोटे बच्चों को पहला अक्षर लिखना सिखाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि मां सरस्वती की पूजा (Saraswati Puja 2025) से बच्चों को ज्ञान और बुद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है। यह दिन न केवल छात्रों के लिए बल्कि कला से जुड़े व्यक्तियों के लिए भी खास होता है, क्योंकि मां सरस्वती को कला और संगीत की देवी के रूप में भी पूजा जाता है।

सरस्वती वंदना (Saraswati Vandana)


हिंदू धर्म में सरस्वती वंदना का विशेष महत्व है। यह माना जाता है कि मां सरस्वती की कृपा से मूर्ख भी ज्ञानी बन सकते हैं। प्राचीन कथाओं के अनुसार, वरदराजाचार्य और कालिदास जैसे महान विद्वान, जो पहले मंद बुद्धि माने जाते थे, सरस्वती उपासना के बाद उच्च कोटि के विद्वान बने। मां सरस्वती हिंदू धर्म की प्रमुख देवियों में से एक हैं, और उनकी वंदना संगीतकारों, छात्रों और जटिल विषयों में रुचि रखने वाले लोगों द्वारा विशेष रूप से की जाती है। उन्हें शारदा, शतरूपा और वीणावादिनी जैसे कई नामों से भी पुकारा जाता है, जो उनके विविध स्वरूपों और गुणों का प्रतीक हैं।

किसी भी शैक्षणिक कार्य की शुरुआत से पहले मां सरस्वती की पूजा को अत्यंत शुभ और फलदायी माना जाता है। सरस्वती पूजा (Saraswati Puja 2025) के दिन सरस्वती वंदना जरूर करनी चाहिए इससे माँ सरस्वती प्रशन्न होती है। 

Saraswati Vandana Lyrics

सरस्वती वंदना
या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता
या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना।
या ब्रह्माच्युत शंकरप्रभृतिभि र्देवैः सदा वन्दिता
सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा ॥1॥


अनुवाद :
इस वंदना के माध्यम से भक्त देवी सरस्वती से प्रार्थना करते हैं कि वे अपनी श्वेत वर्ण वाली, जो कुंद के फूल, चंद्रमा, हिम और मोती के हार जैसी हैं, और जो सफेद वस्त्र धारण करती हैं, हमें आशीर्वाद दें। उनके हाथों में वीणा और दंड सुशोभित हैं, और उनका आसन श्वेत कमल पर स्थित है। ब्रह्मा, विष्णु और महेश जैसे त्रिदेवों द्वारा हमेशा पूजा जाने वाली देवी सरस्वती, जो सभी अज्ञान और जड़ता को नष्ट करने वाली हैं, हम पर अपनी कृपा बनाए रखें और हमारी रक्षा करें।

 

शुक्लां ब्रह्मविचार सारपरमामाद्यां
जगद्व्यापिनींवीणापुस्तकधारिणीमभयदां।
जाड्यान्धकारापहाम्‌हस्ते स्फटिकमालिकां विदधतीं
पद्मासने संस्थिताम्‌वन्दे तां परमेश्वरीं
भगवतीं बुद्धिप्रदां शारदाम्‌॥2॥


अनुवाद
: मैं शुक्लवर्ण वाली, जो चराचर संसार में व्याप्त हैं, आदि-शक्ति और परब्रह्म के विषय में किए गए विचारों और चिंतन के सार रूप में परम उत्कर्ष को धारण करने वाली, सभी भय से मुक्ति देने वाली, अज्ञान के अंधकार को नष्ट करने वाली, हाथों में वीणा, पुस्तक और स्फटिक की माला धारण करने वाली, पद्मासन पर विराजमान बुद्धि की दात्री, सर्वोच्च ऐश्वर्य से सज्जित माता सरस्वती की वंदना करता/करती हूँ।


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सरस्वती वंदना का महत्व (Significance Of Saraswati Vandana) 


सरस्वती वंदना शिक्षा और ज्ञान के प्रति लोगों के मन में जागरूकता और उत्साह जगाने में विशेष भूमिका निभाती है:

  • यह वंदना हमें यह सिखाती है कि बुद्धि सबसे मूल्यवान धन है और समाज में शिक्षा का प्रसार अत्यावश्यक है।
  • नियमित रूप से वंदना करने से मन की अस्थिरता कम होती है, जिससे व्यक्ति अपने विचारों पर बेहतर नियंत्रण पा सकता है।
  • वंदना से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, जो न केवल व्यक्ति के जीवन में बल्कि समाज में भी सकारात्मकता लाने में सहायक होती है।


इस प्रकार एक विधार्थी के जीवन में और सभी के लिए सरस्वती पूजा (Saraswati Puja 2025) का विशेष विधान होता है। पूजा के साथ साथ सरस्वती वंदना करने से माँ सरस्वती का आशीर्वाद प्राप्त होता है। आज भी बच्चो के स्कूलों में सुबह सुबह सरस्वती वंदना गायी जाती है और पूजा होती है जिससे शिक्षा प्राप्त करने का मुख्य स्तोत्र विद्यालओं को ही माना जाता है। 

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