November 6, 2024 Blog

Gita Jayanti 2024: जानें क्या है गीता जयंती मनाने का महत्त्व

BY : STARZSPEAK

गीता जयंती 2024 कब है ? (When is Gita Jayanti 2024) 

गीता जयंती (Gita Jayanti 2024) हर साल उस दिन को मनाने के लिए मनाई जाती है, जब भगवान कृष्ण ने अर्जुन को जीवन का सबसे गहरा और अद्भुत ज्ञान दिया था। यह मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को पड़ता है, जिसे 'मोक्षदा एकादशी' भी कहा जाता है। इस साल गीता जयंती 11  दिसंबर 2024, दिन बुधवार को मनायी जाएगी। इस खास दिन को मनाने का उद्देश्य सिर्फ धार्मिक परंपरा का पालन करना ही नहीं है, बल्कि यह हमें श्रीमद् भगवद्गीता के अमूल्य संदेशों को अपने जीवन में अपनाने की प्रेरणा भी देता है।

Gita Jayanti: श्रीमद् भगवद्गीता सिर्फ धार्मिक ग्रंथ नहीं है; यह एक अनूठा जीवन मार्गदर्शक ग्रंथ है। इसमें भगवान कृष्ण ने न सिर्फ युद्ध के मैदान में अर्जुन को आत्मविश्वास दिया, बल्कि उसे कर्म, भक्ति और धर्म के मार्ग पर चलने की शिक्षा भी दी। गीता जयंती हमें इस दिव्य ज्ञान के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने और इसे अपने जीवन का हिस्सा बनाने का अवसर देती है।

गीता जयंती के दिन क्या करते है? (What do we do on Gita Jayanti?)

इस दिन मंदिरों में विशेष पूजा-पाठ और गीता पाठ का आयोजन किया जाता है। अनेक श्रद्धालु गीता के श्लोकों का पाठ करते हैं, उनके अर्थ समझते हैं और उन्हें जीवन में अपनाने का प्रयास करते हैं। यह पर्व हमें याद दिलाता है कि जीवन में चाहे कितनी भी कठिन परिस्थितियां क्यों न हों, हमें अपने कर्तव्यों से विमुख नहीं होना चाहिए और अपने कर्म पर विश्वास रखना चाहिए। गीता की शिक्षाएं न केवल हमें सही मार्ग दिखाती हैं, बल्कि हमारे मन को शांति और स्थिरता भी प्रदान करती हैं। गीता जयंती का पर्व एक ऐसा दिन है जो हमें सिखाता है कि जीवन के सच्चे मार्ग पर चलने के लिए हमें बाहरी आडंबरों से ऊपर उठकर अपनी अंतरात्मा की आवाज सुननी होगी। तो आइए इस गीता जयंती पर हम सभी गीता की शिक्षाओं को अपने जीवन में अपनाने का संकल्प लें और इसे सुखी, संतुलित और आध्यात्मिक जीवन की ओर मार्गदर्शन का माध्यम बनाएं।


गीता जयंती कुरुक्षेत्र का महत्व (Importance of Gita Jayanti Kurukshetra)

गीता जयंती (Gita Jayanti) सिर्फ एक धार्मिक त्योहार नहीं है, बल्कि यह जीवन के मार्ग का दरवाज़ा खोलती है। इसमें महत्वपूर्ण ज्ञान छुपा है जो हमें अच्छे जीवन की दिशा में मार्गदर्शन करता है। चलिए, आइए गीता जयंती के महत्व को निम्नलिखित प्रमुख बिन्दुओं में समझें:

  1. भगवान श्रीकृष्ण ने गीता में कर्म और कर्तव्य के संतुलन का प्रशिक्षण दिया है, जिसमें उन्होंने बताया है कि कर्म करना चाहिए और उसके फल को ईश्वर को समर्पित करना चाहिए। यही कर्मयोग का आधार है।
  2. गीता से प्राप्त अध्यात्मिक ज्ञान इसका मूल स्रोत है। यहां आत्मा, परमात्मा और उनके संबंधों पर विस्तार से चर्चा की गई है। गीता के उपदेश मानव को मोह-माया के पास से उबरकर आत्मज्ञान प्राप्त करने में सहायता करते हैं।
  3. सर्वधर्म समानता का सन्देश है: गीता सभी धर्मों की सार्थकता है। यहाँ किसी भी धर्म, जाति या लिंग के भेद की चर्चा नहीं की गई है। गीता का सन्देश यह है कि सभी मानव समान हैं और हमें सबके साथ प्यार और सम्मान से रहना चाहिए।
  4. गीता धर्म और आध्यात्मिकता से ही नहीं, बल्कि राजनीति, समाज, व्यवहार और पारिवारिक जीवन से जुड़े सभी क्षेत्रों में मार्गदर्शन प्रदान करती है।

Gita Jayanti 2024

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गीता जयंती पर विशेष आयोजन (Special event on Gita Jayanti)

गीता जयंती (Gita Jayanti) के पावन अवसर पर देशभर में श्रद्धा और भक्ति का अद्भुत माहौल बन जाता है। इस दिन को विशेष रूप से भगवान श्रीकृष्ण द्वारा अर्जुन को दिए गए अमूल्य गीता उपदेशों का स्मरण और उनके आदर्शों को जीवन में उतारने के उद्देश्य से मनाया जाता है। आइए, जानते हैं गीता जयंती के कुछ विशेष आयोजनों के बारे में:

पवित्र स्नान का महत्व: गीता जयंती पर गंगा और अन्य पवित्र नदियों में स्नान का विशेष महत्व है। मान्यता है कि इस दिन पवित्र नदी में स्नान करने से व्यक्ति के पिछले कर्मों से मुक्ति मिलती है और आत्मिक शुद्धि होती है। यह आस्था का प्रतीक है और भक्तजन इस अवसर को भगवान से जुड़े रहने के अवसर के रूप में मानते हैं।

मंदिरों और घरों में गीता पाठ:  इस दिन घरों और मंदिरों में गीता के श्लोकों का पठन विशेष रूप से किया जाता है। कई भक्त पूरे गीता का पाठ करते हैं, जबकि कुछ लोग चुनिंदा अध्यायों का पठन करते हैं। इस आयोजन से जीवन में शांति, ध्यान, और संतुलन प्राप्त होता है।

धार्मिक प्रवचन और सत्संग: गीता जयंती  पर विभिन्न मंदिरों और सभाओं में धार्मिक प्रवचन, कीर्तन और सत्संग का आयोजन किया जाता है। इन आयोजनों में प्रसिद्ध संत और विद्वान गीता के श्लोकों का विश्लेषण करते हैं और उनके गहरे अर्थों को सरलता से समझाते हैं। 

गोष्ठियों और व्याख्यानों का आयोजन: कई शैक्षणिक संस्थानों और सांस्कृतिक संगठनों में गीता जयंती पर गोष्ठी और व्याख्यानों का आयोजन किया जाता है। इन गोष्ठियों में गीता के दार्शनिक, सामाजिक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर चर्चा होती है। इन आयोजनों में गीता के उपदेशों का आधुनिक जीवन में उपयोग और प्रभाव पर विचार किया जाता है, जिससे लोग गीता के ज्ञान को व्यावहारिक रूप से अपने जीवन में अपना सकें।

दान-पुण्य और समाज सेवा का महत्व: गीता जयंती पर दान-पुण्य का विशेष महत्व माना जाता है। इस दिन लोग जरूरतमंदों को भोजन, वस्त्र और अन्य आवश्यक वस्त्र दान करते हैं। गीता में दान को धर्म का एक महत्वपूर्ण अंग बताया गया है। इस दिन किए गए सेवा कार्य केवल सामाजिक सेवा नहीं, बल्कि आत्मिक शांति का माध्यम भी होते हैं।

सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व: गीता जयंती का सामाजिक महत्व भी अनूठा है। गीता के उपदेश हमें आपसी प्रेम, समानता और भाईचारे का संदेश देते हैं। गीता जयंती का यह पर्व हमें समाज में नैतिकता और सद्भाव को बढ़ावा देने का अवसर प्रदान करता है। अगर हम गीता के आदर्शों को अपनाएं, तो हम एक सभ्य, शांतिपूर्ण और समृद्ध समाज का निर्माण कर सकते हैं। 

गीता जयंती का यह पवित्र दिन हमें हमारे कर्म, धर्म और आध्यात्मिकता को पुनः स्थापित करने और जीवन में सच्ची दिशा प्राप्त करने की प्रेरणा देता है।


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